पूर्णिया में नहीं पहुंचे खरीदार, मक्का किसान बेहाल, किसानों को पहुंची आर्थिक चोट
कोरोना संक्रमण के बीच मक्का के खरीदार नहीं पहुंचे जिसका नतीजा है कि पूर्णिया जिले के तीन स्टेशनों के रैक प्वाइंट से इस वर्ष पिछले अन्य वर्षों की तुलना में मक्का का निर्यात कम हुआ।
पूर्णिया, जेएनएन। कोरोना संकट के बीच कोसी-सीमांचल के किसान दोहरी मार झेल रहे हैं। एक तो लाखों की संख्या में प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी से दूसरे प्रदेशों से आने वाली रकम रुक गई है। दूसरी तरफ यहां की प्रमुख नकदी फसल मक्का का उचित मूल्य पर निर्यात नहीं होने के कारण किसानों को आर्थिक चोट पहुंची है।
कोरोना संक्रमण के बीच मक्का के खरीदार नहीं पहुंचे, जिसका नतीजा है कि पूर्णिया जिले के तीन स्टेशनों के रैक प्वाइंट से इस वर्ष पिछले अन्य वर्षों की तुलना में मक्का का निर्यात कम हुआ। पिछले वर्ष पूर्णिया जंक्शन, रानीपतरा और जलालगढ़ से 108 रैक मक्का आंध्रप्रदेश, हरियाणा, दिल्ली सहित अन्य प्रदेशों में भेजा गया था। इस वर्ष 85 रैक मक्का का ही निर्यात हो पाया है। कोरोना संकट के कारण मक्के की अच्छी पैदावार के बावजूद कीमत नहीं मिली। लॉकडाउन के कारण बाहर की कंपनियां मक्के की खरीदारी को नहीं पहुंचीं। रेलवे अधिकारी बताते हैं कि शुरुआती दौर में रैक से मक्का का निर्यात काफी कम रहा। लॉकडाउन में थोड़ी राहत मिलने के बाद निर्यात शुरू हुआ जो पिछले अन्य वर्षों की तुलना कम है।
किसानों को पहुंची आॢथक चोट : इलाके में किसान मक्के की फसल को नकदी फसल मानते हैं। इस कारण क्षेत्र में मक्के की खेती का क्षेत्रफल अधिक होता है। लॉकडाउन के कारण पिछले वर्ष जहां मक्का 1700-2100 रुपये प्रति क्विंटल खरीदा जा रहा था, वहीं इस वर्ष 1100-1300 रुपये क्विंटल पर ही इसकी कीमत सिमट कर रह गई। क्षेत्र के किसान एवं मक्का व्यवसायी बताते हैं कि मक्का के सीजन में ही लॉकडाउन लग गया। सभी जगहों पर कल-कारखाने बंद हो गए। इससे असंगठित क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी बंद हो गए। व्यवसायी रोहित गुलाटिया बताते हैं कि लॉकडाउन के कारण अन्य राज्यों में फूड प्रोसेसिंग का काम ठप होने के कारण खरीदार कम हो गए। बड़ी कंपनियों ने मक्के की खरीदारी में रुचि नहीं दिखाई।
मक्का निर्यात पर एक नजर
(वर्ष 2020)
पूर्णिया जंक्शन - 41 रैक
रानीपतरा - 20 रैक
जलालगढ़ - 24
(वर्ष 2019)
पूर्णिया जंक्शन - 45 रैक
रानीपतरा - 32
जलालगढ़ - 31