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मंडल कार्यालय का निर्माण लटका पर ओएसडी कर रहे काम

भले ही रेल मंत्रालय ने भागलपुर रेल मंडल कार्यालय के मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया हो, पर ओएसडी को अभी तक वापस नहीं लिया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Jan 2018 02:57 AM (IST)Updated: Sat, 20 Jan 2018 02:57 AM (IST)
मंडल कार्यालय का निर्माण लटका पर ओएसडी कर रहे काम
मंडल कार्यालय का निर्माण लटका पर ओएसडी कर रहे काम

भागलपुर। भले ही रेल मंत्रालय ने भागलपुर रेल मंडल कार्यालय के मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया हो, पर ओएसडी को अभी तक वापस नहीं लिया है। भागलपुर रेल मंडल कार्यालय के ओएसडी का प्रभार मालदा रेल मंडल के डीआरएम के पास है।

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यह खुलासा रेल मंत्रालय के एक पत्र से हुआ है। यह पत्र मंत्रालय के जनसंपर्क अधिकारी एससी कुमार ने भागलपुर के आरटीआइ कार्यकर्ता अजीत कुमार सिंह को भेजा है।

रेल बजट में हुई थी घोषणा

फरवरी 2009 के अनुपूरक रेल बजट के दौरान रेलमंत्री लालू प्रसाद ने भागलपुर रेल मंडल कार्यालय की घोषणा की थी। पर थोड़े दिनों बाद ही विरोध शुरू हो गया था।

पश्चिम बंगाल के कांग्रेसी सांसद एएच खान चौधरी ने 17 फरवरी 2009 को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिका गांधी को पत्र लिख इसका विरोध किया था। उन्होंने पत्र में लिखा था कि मालदा रेल मंडल से अलग भागलपुर रेल मंडल कार्यालय बनाया जा रहा है। इससे हमलोगों को परेशानी होगी। मालदा क्षेत्र से कांग्रेस के दो सांसद हैं। दोनों सीट हार सकते हैं। सीपीएम वाले गलत प्रचार-प्रसार में लगे हुए हैं। खान के पत्र को सोनिया गांधी ने 25 फरवरी 2009 को रेलमंत्री लालू प्रसाद के पास अग्रसारित कर दिया। लेकिन लालू ने सोनिया के पत्र को नजरअंदाज करते हुए 27 फरवरी 2009 को पूर्व रेलवे कोलकाता के माध्यम से खुशीराम को भागलपुर रेल मंडल का ओएसडी बना दिया। साथ ही एक मार्च भागलपुर पहुंचकर ओएसडी को पद्भार ग्रहण कराने के साथ ही सैंडिस कंपाउंड में मंडल कार्यालय का शिलान्यास कर दिया। ओएसडी के कार्यालय में टीआइ राजीव शंकर, ट्रैक मैन प्रभात कुमार व स्टेनो अंकित कुमार सिन्हा को नियुक्त कर दिया। अप्रैल 09 से सितंबर 10 तक ओएसडी को छोड़कर शेष कर्मियों के वेतन पर 11 लाख 41 हजार 770 रुपये खर्च किए गए। साथ ही सीनियर डीएमओ, एरिया मैनेजर, असिस्टेंट कमर्शियल मैनेजर के अलावा इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, कमर्शियल विभाग में अधिकारियों की नियुक्ति की गई। लालू प्रसाद के बाद तृणमूल कांग्रेस के दो सांसद रेलमंत्री बने और उन्होंने इसपर कोई कार्रवाई नहीं की।

इस बीच भागलपुर से जुड़े नेता रेलमंत्री आदि से पत्राचार व मुलाकात कर रेल मंडल कार्यालय बनाने की मांग करते रहे। पवन बंसल के रेल मंत्री बनने के बाद भागलपुर रेल मंडल कार्यालय बनाने को लेकर तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मालदा रेल मंडल कार्यालय हल्के लोड में है। भार कम है। यहां स्वीकृत स्टॉफ 10140 हैं। भागलपुर रेल मंडल कार्यालय खुलने से ऑपरेशनल बेनिफिट नहीं है। भागलपुर रेल मंडल कार्यालय औचित्यहीन है। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि कमेटी की रिपोर्ट के बाद रेल मंत्रालय भी भागलपुर रेल मंडल को औचित्यहीन मान रही तो ओएसडी अभी तक क्यों कार्यरत है। ओएसडी खुशी राम ने अपना चार्ज मालडा रेल मंडल के डीआरएम को 2010 में दिया था। तब से लेकर अबतक ओएसडी का चार्ज डीआरएम के ही पास है। रेल मंत्रालय भी मान रहा है कि भागलपुर रेल मंडल कार्यालय का ओएसडी का चार्ज डीआरएम के पास है। भागलपुर के आरटीआइ कार्यकर्ता अजीत कुमार सिंह को इससे संबंधित पत्र रेल मंत्रालय ने भेजा है। उन्होंने कहा है कि अभी रेल मंडल से संबंधित और भी जानकारी का इंतजार है। इस मामले को लेकर जल्द से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी।


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