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TMBU: यहां के दो कॉलजों का एफिलिएशन होगा रद, जानिए वजह

टीएमबीयू के दो कॉलेजों का एफिलिएशन रद करने का आदेश कोर्ट ने किया है। हालांकि विश्वविद्यालय ने दोनों कॉलेजों को कार्रवाई से बचाने की कवायद शुरू कर दी है। कोर्ट में जवाब देने के लिए विवि के लीगल सेल ने सभी तरह के जवाब तैयार किए हैं।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 08:23 AM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 08:23 AM (IST)
टीएमबीयू के दो कॉलेजों का एफिलिएशन रद करने का आदेश कोर्ट ने किया है।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) के दो और मुंगेर विश्वविद्यालय के एक अंगीभूत कॉलेज का एफिलिएशन रद करने का आदेश हाइकोर्ट ने दिया है। इसे लेकर हड़कंप मचा हुआ है। हालांकि विश्वविद्यालय ने दोनों कॉलेजों को कार्रवाई से बचाने की कवायद शुरू कर दी है। प्रति-कुलपति प्रो. रमेश कुमार ने इसके लिए लीगल सेल की बैठक की। जिसमें इस मामले को सुलझाने को लेकर विचार हुआ। टीएमबीयू की तरफ से हाइकोर्ट में वर्तमान स्थिति बताई जाएगी।

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जिन कॉलेजों पर कार्रवाई को लेकर हाइकोर्ट ने आदेश दिया है, उसमें टीएमबीयू का मारवाड़ी कॉलेज और मदन अहिल्या कॉलेज के अलावा मुंगेर विश्वविद्यालय का एक अन्य कॉलेज शामिल है। हाइकोर्ट ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि उक्त कॉलेज यूजीसी द्वारा विभिन्न प्लान पीरियड में मिले अनुदान का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देते हैं तो उन्हें डिएफिलिएट कर दें। हाइकोर्ट के सख्त रुख के कारण दस्तावेजों को खंगालने का काम शुरू हो गया है।

इस मामले में प्रतिकुलपति प्रो. रमेश कुमार ने कहा है कि ऐसे मामलों को पूर्व में नजरअंदाज करने के कारण ये परिस्थिति हुई है। दोनों कॉलेजों से पर्याप्त दस्तावेज मांगे गए हैं। ताकि उपयोगिता प्रमाण पत्र को लेकर जवाब तैयार किया जा सके। प्रतिकुलपति ने कहा कि वे लोग हाइकोर्ट में जवाब देकर अपील करेंगे ताकि टीएमबीयू के दोनों कॉलेजों को कार्रवाई के दायरे बचाया जा सके। उन्होंने बताया कि इसमें मुंगेर विश्वविद्यालय का एक कॉलेज भी था। जिसकी जानकारी वहां के प्रशासन को दे दी गई है।

इस संबंध में मारवाड़ी कॉलेज प्राचार्य ने बताया कि उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं भेजे जाने का मामला पुराना है। एक फरवरी को प्राचार्य का पद ग्रहण करने के ठीक नौ दिन बाद मेल मिला था। जिसमें यूजीसी को भेजे जाने वाले उपयोगिता प्रमाण पत्र और डिएफिलिएशन की कार्रवाई करने संबंधी पत्राचार था। इसमें कॉलेज का नाम गलत था। मारवाड़ी कॉलेज भागलपुर की जगह मारवाड़ी कॉलेज सालमारी था। बाद में इसमें सुधार कर भागलपुर किया गया। प्राचार्य ने कहा है कि सारे दस्तावेजों को टीएमबीयू को उपलब्ध करा दिया गया है।

बता दें कि यूजीसी ने वर्ष 2008 से 2012 के बीच कॉलेजों को करीब 22 करोड़ 16 लाख 26 हजार 104 रुपये दिए थे। जिसमें 20 करोड़ का हिसाब नहीं मिल रहा है। छपरा निवासी सेना से सेवानिवृत विंग कमांडर ने इसे लेकर आरटीआइ दायर किया था। जवाब आने के बाद उन्होंने हाइकोर्ट में पीआइएल दाखिल किया। यूजीसी की टीम मार्च में इस कारण भी टीएमबीयू आ चुकी है। जिन कॉलेजों ने उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं सौंपा था, उन पर कार्रवाई की भी बात कही थी।

कौन-कौन से कॉलेज हैं दायरे में

- टीएमबीयू का मारवाड़ी कॉलेज और मदन अहिल्या कॉलेज के अलावा मुंगेर विश्वविद्यालय का एक अन्य कॉलेज।


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