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नई सरकार के गठन से बढ़ी सीमांचल के एनडीए नेताओं की बेचैनी, मंत्री बनने की वाट जोर रहे नवनिर्वाचित विधायक

नई सरकार के गठन के बाद सीमाचंल के नेताओं की बेचैनी बढ़ गई है। यहां से इस बार केवल एक नेता को कैबिनेट में जगह मिल पाई है। राजनीतिक हलकों में भी यहां के नुमाइदों को मंत्रीमंडल में स्थान नहीं दिए जाने की चर्चा जोरों पर है।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Thu, 19 Nov 2020 12:05 PM (IST)Updated: Thu, 19 Nov 2020 12:05 PM (IST)
नई सरकार के गठन से बढ़ी सीमांचल के एनडीए नेताओं की बेचैनी, मंत्री बनने की वाट जोर रहे नवनिर्वाचित विधायक
सीमांचल क्षेत्र से एक उप मुख्यमंत्री को छोड़ नहीं बनाए गए हैं एक भी मंत्री।

पूर्णिया [मनोज कुमार]। विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद राज्य में नई सरकार का गठन हो चुका है। नई पारी में भी पूर्व के पार्टनर भाजपा के साथ एक बार फिर नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली हैं। उनके साथ ही दो उप मुख्यमंत्री एवं 12 मंत्रियों ने भी शपथ ली है। लेकिन नई सरकार में सीमांचल से एक मात्र नेता उप मुख्यमंत्री बनाये गए हैं जबकि पूर्णिया सहित सीमांचल के जिलों में बड़ी संख्या में एनडीए प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है। उनमें कई तो लगातार चौथी बार चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं। साथ ही एनडीए को सरकार बनाने के लिए आवश्यक बहुमत जुटाने में भी सीमांचल ने अहम भूमिका अदा की है। बावजूद मंत्रीमंडल में यहां के एनडीए नेताओं की उपेक्षा ने उनकी बेचैनी बढ़ा दी है। राजनीतिक हलकों में भी यहां के नुमाइदों को मंत्रीमंडल में स्थान नहीं दिए जाने की चर्चा जोरों पर है।

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सीमांचल के 24 विस क्षेत्र में 12 पर हुई है एनडीए की जीत

राज्य में तीन चरणों में हुए चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर रही। 10 नवंबर को जब मतों की गिनती शुरू हुई तो स्थिति 20-20 क्रिकेट मैच जैसी थी। कभी लगता महागठबंधन आगे है तो कभी लगता कि एनडीए की जीत सुनिश्चित है। सरकार बनाने के लिए आवश्यक बहुमत का आंकड़ा 122 था जिसके आस पास दोनों दल पहुंच गए थे। परंतु अंतत: एनडीए ने 125 का नंबर प्राप्त कर सरकार बनाने का आंकड़ा प्राप्त कर लिया। परंतुु उक्त मैजिक नंबर तक पहुंचने में सीमांचल ने बड़ा योगदान दिया। जब पूर्व और दक्षिण बिहार के विधानसभा क्षेत्रों के वोटों की गिनती हुई तो महागठबंधन और एनडीए की स्थिति लगभग बराबर थी। परंतु जब सीमांचल क्षेत्र के ईवीएम खुले तो पलड़ा एनडीए का भारी हो गया। सीमांचल के पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज में 24 विस क्षेत्र हैं जिसमें एनडीए की झोली में 12 सीटें गई। जबकि महागठबंधन सात पर ही सिमट गई। पांच सीट पर एआईएमआईएम ने कब्जा जमा लिया। यहां महागठबंधन को मिली शिकस्त ने एनडीए की जीत का रास्ता साफ कर दिया। बावजूद मंत्रीमंडल में यहां के नेताओं को स्थान नहीं दिया जाना राजनीतिक विश्लेश्कों को चौंका रहा है।

पूर्णिया के चार विधायक लगातार चौथी बार पहुंचे हैं विस

सीमांचल में एक बार फिर मतदाताओं ने एनडीए की झोली में जमकर वोट बरसाए हैं तथा पुराने चेहरे पर पुन: विश्वास जताया। रूपौली, धमदाहा एवं बनमनखी पिछले 15 साल से एनडीए के कब्जे में है। फिर इस चुनाव में भी वहां के मतदाताओं ने एनडीए पर ही भरोसा जताया है।

धमदाहा से जदयू की लेशी सिंह, रूपौली से बीमा भारती तथा बनमनखी से भाजपा के कृष्ण कुमार ऋषि ने चौथी बार विजय हासिल की है। जबकि पूर्णिया सदर से विधायक विजय खेमका दूसरी बार जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे हैं। हालांकि यह सीट पिछले दो दशक से एनडीए के पास है। हालांकि कांग्रेस के अफाक आलम ने भी चौथी बार विधानसभा का रूख किया है लेकिन एनडीए की संख्या इस बार महागठबंधन पर भारी रही। यहीं वजह है कि सत्ता में एनडीए की वापसी सुुगम हो पाई। इसलिए राजनीतिक पंडितों को उम्मीद थी कि मंत्रीमंडल के गठन में यहां के विधायकों को अवश्य तरजीह मिलेगी। लेकिन जब 16 नवंबर को जब मंत्रीमंडल का गठन हुआ तो उसमें सीमांचल से सिर्फ एक चेहरा कटिहार के सदर विस क्षेत्र से विधायक बने तारकिशोर प्रसाद को उप मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके अलावा पूर्णिया, अररिया, किशनगंज आदि क्षेत्रों से एक भी मंत्री को शामिल नहीं किया गया। इसके लेकर यहां के एनडीए नेताओं सहित राजनीतिक प्रेक्षकों में बेचैनी है।  


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