बाल अधिकार सप्ताह : TOB & UNICEF का ऑनलाइन कार्यक्रम, बच्चों ने लिया भाग, मिलेगा पुरस्कार
बाल अधिकार सप्ताह यूनिसेफ और टीचर्स ऑफ बिहार के संयुक्त तत्वाधान में बाल अधिकार दिवस मनाया जा रहा है। यह कार्यक्रम सात दिनों तक चलेगा। इस आयोजन में कई प्रकार की गतिविधियों को शामिल किया गया है। बच्चे इसमें भाग ले रहे हैं।
भागलपुर, जेएनएएन। बाल अधिकार सप्ताह : यूनिसेफ और टीचर्स ऑफ बिहार के संयुक्त तत्वाधान में पूरा बिहार मना रहा है बाल अधिकार सप्ताह। इसके अंतर्गत टीचर्स ऑफ बिहार लेट्स टॉक (Let's Talk) कार्यक्रम में बाल अधिकारों पर चर्चा की गई। जिसमें मुख्य रूप से किरण कुमारी (राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, बिहार शिक्षा परियोजना परिषद), प्रमिला मनोहरण (शिक्षा विशेषज्ञ, यूनिसेफ बिहार) मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। किड्स टेकओवर के रूप में बिहार यूथ फॉर चाइल्ड राइट्स की फाउंडर प्रिया स्वरा भारती- भाव्या एवं रवि रौशन सदस्य, बिहार यूथ फॉर चाइल्ड राइट्स शामिल हुए।
कार्यक्रम को नम्रता मिश्रा, द्वारा संचालित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए नम्रता मिश्रा ने बाल अधिकार पर संक्षिप्त में चर्चा करते हुए दर्शकों को बताया कि यूनिसेफ और टीचर्स ऑफ बिहार द्वारा संयुक्त रुप से बाल अधिकार दिवस दिनांक 14 से 20 नवंबर तक आयोजित किया जा रहा है इसके अंतर्गत कई प्रकार की गतिविधियां एवं प्रतियोगिताएं टीचर्स ऑफ बिहार के सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर संचालित की जा रही हैं।
बच्चों ने बढ़ चढ़ कर लिया हिस्सा, पूछे कई सवाल
कार्यक्रम की संचालिका ने कहा कि इस प्रोग्राम में बच्चों ने बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं और कई सवाल भी पूछ रहे हैं। कार्यक्रम में पूछे गए सवालों का किरण कुमारी एवम प्रमिला मनोहरम द्वारा सभी प्रश्नों के जवाब बारी-बारी से दिया गया। किरण कुमारी, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी ने छात्रों द्वारा पूछे गए कोरोनकाल समय मे बच्चों के अधिकार से संबंधित प्रश्नों के जवाब में बताया कि माइग्रेंट परिवार के बच्चों का भी विशेष रूप से नामांकन विद्यालय मे करवाया गया है। सवाल के क्रम में प्रियस्वरा के सवाल थे - कि क्या बच्चों को कोरोना के काल में योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है या नहीं क्योंकि अगर बच्चे प्रोत्साहित नहीं होंगे या अभिभावक स्कूल भेजने के लिये प्रोत्साहित नहीं होंगे तो बाल विवाह की समस्या और बाल मजदूरी की समस्या आन पड़ेगी। जिसके जवाब में किरण कुमारी ने एक पहलु को साफ-साफ रखते हुए कहा कि बिल्कुल बच्चों को हम हर तरह की भेज रहे हैं और हमारी कोशिश हर संभव है कि बच्चे विद्यालय से दूर न हो पाएं।
बच्चों की बातों को गंभीरता से लेना शिक्षकों की जिम्मेदारी
भाव्या के प्रश्नों के उत्तर में मैम ने प्रवासी लोगों के बच्चों के लिए विद्यालयी योजनाओं की बात बतायी और कहा कि कोरोना काल में विभाग और शिक्षकों के सहयोग से हमने उन बच्चों के नामांकन किये जो बाहर राज्यों से आए। प्रमिला मनोहरम द्वारा बाल अधिकार की चर्चा करते हुए बच्चों के अधिकार के साथ साथ उनके स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण भी एक अधिकार है। जरूरी है हमसब मिलकर इसको कैसे बच्चों तक पहुचाते है साथ ही बच्चों को उनका बेसिक स्टैडर्ड समझाना होगा।साथ ही शिक्षकों को भी बाल अधिकार के प्रति संवेदनशीलता पर काम करना होगा। बच्चों की बातों को सिरियस लेना शिक्षकों की प्रमुख जिम्मेदारी होनी चाहिये। जब तक बच्चे आगे नहीं होंगे बिहार आगे नही होगा। इन्होने आर्टिकल 54 के चार स्तम्भ की बातों को प्रमुखता से रखा। इस कार्यक्रम में टीचर्स ऑफ बिहार मंच से कई शिक्षकों ने अपने प्रश्न भी कमेंट के माध्यम से पूछा जिसका जवाब उपस्थित अतिथियों ने दिया। उपयुक्त बातों की जानकरी टीचर्स ऑफ बिहार के प्रदेश प्रवक्ता रंजेश सिंह ने दी।