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लोक आस्था का महापर्व : कई परिवारों के जीविका का आधार है छठ, कमा लेते हैं वर्ष भर की कमाई Bhagalpur News

छठ के लिए सूप बनाने में जुटे लोगों ने बताया कि एक सीजन में पूरे परिवार को 40 से 45 हजार रुपये तक की कमाई हो जाती है। इससे ही उनकी जीविका चलती है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 01 Nov 2019 12:14 PM (IST)Updated: Fri, 01 Nov 2019 12:14 PM (IST)
लोक आस्था का महापर्व : कई परिवारों के जीविका का आधार है छठ, कमा लेते हैं वर्ष भर की कमाई Bhagalpur News
लोक आस्था का महापर्व : कई परिवारों के जीविका का आधार है छठ, कमा लेते हैं वर्ष भर की कमाई Bhagalpur News

भागलपुर [आलोक कुमार मिश्रा]। छठ और अन्य पर्व से महादलित परिवारों को जीविका का बड़ा आधार मिला हुआ है। इनके हाथों के बने सूप, डाला, डलिया, बेना-पंखा ही त्योहार में इस्तेमाल करने की परंपरा रही है। इसलिए लोक आस्था के इन पर्व-त्योहारों के लिए महादलित परिवार की महिलाएं, पुरुष यहां तक की बच्चे भी निर्माण कार्य में जुटे रहते हैं।

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छठ के लिए सूप बनाने में जुटे लोगों ने बताया कि एक सीजन में पूरे परिवार को 40 से 45 हजार रुपये तक की कमाई हो जाती है। इससे ही उनकी जीविका चलती है। विक्रमशिला सेतु से नीचे रेलवे की परती जमीन पर झोपड़ी बना कर रह रहे महादलित परिवार और रेलवे कालोनी में रहने वाले महादलित परिवारों में कुछ तो ख्रगडिय़ा जिले के परबत्ता से आकर बकायदा सूप-डाला आदि का निर्माण करते हैं। इन महादलित परिवारों का कहना है कि छठ पूजा से छह माह पूर्व से ही वे लोग तैयारी में जुट जाते हैं।

झारखंड से मंगाते हैं बांस

सूप-डलिया बनाने के लिए झारखंड के गोड्डा और साहिबगंज से भी बांस मंगवाते हैं। एक दिन में अधिकतम 15 सूप बना पाते हैं। छठ पूजा आते-आते दो हजार से अधिक सूप तैयार कर लिया जाता है। छठ पूजा के लिए पंद्रह दिन पहले से ही लोग सूप की खरीदारी कर रहे हैं। इस बार प्रति सूप 100 रुपये तक बिक्री हुई। खरना तक एक-एक परिवार को 1800 से दो हजार की संख्या में सूप के बिकने की उम्मीद है। एक सूप को बनाने में 60 से 75 रुपये खर्च होता है।


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