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दुष्‍कर्म पीडि़त परिवार को झूठे मुकदमें में फंसा कर भेज दिया जेल, मामला सीएम नीतीश कुमार के पास पहुंचा तो...

दुष्‍कर्म पीडि़त परिवार जब शिकायत लेकर थाने पहुंचे तो थानेदार ने उल्‍टे झूठे मुकदमें में फंसा कर पीडि़त परिवार को जेल में डाल दिया। लेकिन पीडि़त परिवार ने हार नहीं मानी और उन्‍होंने इसकी शिकायत मुख्‍यमंत्री के जनता दरबार...

By Abhishek KumarEdited By: Published: Mon, 10 Jan 2022 07:06 AM (IST)Updated: Mon, 10 Jan 2022 07:06 AM (IST)
दुष्‍कर्म पीडि़त परिवार को झूठे मुकदमें में फंसा कर भेज दिया जेल, मामला सीएम नीतीश कुमार के पास पहुंचा तो...
जमुई पुलिस की कार्यशैली पर उठने लगे हैं सवाल।

संवाद सहयोगी, जमुई। अपने कारनामों से समय-समय पर दागदार होती रही जमुई पुलिस का चेहरा एक बार फिर बेनकाब हुआ है। इस बार तो झाझा पुलिस ने सारी हदें पार कर सच को झूठ और झूठ को सच करार दे दिया था। हालांकि इसके बाद भी पीड़िता ने हिम्मत नहीं हारी और मामले को मुख्यमंत्री के जनता दरबार तक पहुंचा दिया। फिर क्या था मुख्यमंत्री का तेवर सख्त हुआ और जमुई पुलिस बैकफुट पर आ गई।

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जिस मामले को फाइनल कर कोर्ट में अंतिम प्रपत्र समर्पित कर दिया गया था उसकी फाइल पुलिस ने फिर से खुलवाई। जांच जब शुरू हुई तो सारा सच सामने आ गया। फरियाद लेकर थाना पहुंची दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग को थाने से कैसे रुखसत कर दिया गया और न्यायालय में परिवाद दर्ज करने के बाद उसकी फरियाद को एक बार फिर से पुलिस ने किस प्रकार खारिज कर दिया, इसकी बानगी फिर से हुई जांच में दिखी। न्यायालय को यह बता दिया गया कि इस नाबालिग के आरोप मनगढ़ंत और बेबुनियाद हैं।

दूसरी ओर दुष्कर्म के आरोपित चंदन कुमार के पिता राजेंद्र साह की शिकायत पर थाने में अपहरण का मुकदमा दर्ज होता है। इसके बाद दुष्कर्म पीड़िता के परिवार के लोगों को अपहरण के झूठे मुकदमे में जेल की हवा खानी पड़ती है। यह पूरी कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं। अब जब केस रि-ओपन होने के बाद पूरा सच सामने आया है तब हर कोई दांतो तले उंगली दबा रहा है। हैरत की बात तो यह थी कि दोनों ही मामले की जांच झाझा थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष श्रीकांत कुमार ही कर रहे थे।

वैसे श्रीकांत अपनी सफाई में कहते हैं कि तब जो जांच में दिखा वह उन्होंने लिखा। इन सबके बीच लाख टके का सवाल है कि आखिर हवस का शिकार बना पूरी पटकथा रचने वाले पिता-पुत्र के खिलाफ लगे आरोप असत्य और पीड़िता के परिवार के खिलाफ लगे आरोप सत्य नजर आने के पीछे की वजह क्या रही ? क्या न्याय की कीमत तय हुई ? क्या हवस की शिकार पीड़िता थानेदार के मानदंड पर खरा नहीं उतर पाई थी ? ऐसे और भी कई सवाल हैं जो पुलिस महकमा को देने होंगे। खासकर खुद के दामन पर लगे दाग धुलने के लिए तो और भी आवश्यक हो गया है। बहरहाल अब लोगों की नजर पुलिस के आला अधिकारी और नए पुलिस अधीक्षक शौर्य सुमन की ओर जा टिकी है। लोगों की नजरें तो न्यायपालिका की ओर भी टिकी है। आखिर जांच और पर्यवेक्षण पदाधिकारी ने न्याय की मंदिर को भी गुमराह करने की कोशिश जो की है।


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