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भागलपुर में ओडीएफ की हकीकत; अब भी महिलाएं शौच के लिए करतीं हैं अंधेरा होने का इंतजार

ODF reality in Bhagalpur काम ओडीएफ प्लस पर हकीकत ओडीएफ से भी दूर। डेढ़ वर्ष पहले शहरी क्षेत्र ओडीएफ घोषित हो गया रेलवे लाइन व नदी के किनारे महिलाओं को अंधेरे में जाना पड़ रहा शौच। निगम को 51 वार्डों में 5443 शौचालय का 2016 में मिला था लक्ष्य।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Thu, 11 Mar 2021 01:51 PM (IST)Updated: Thu, 11 Mar 2021 01:51 PM (IST)
भागलपुर में ओडीएफ की हकीकत; अब भी महिलाएं शौच के लिए करतीं हैं अंधेरा होने का इंतजार
निगम ने सभी वार्डों में 5600 लाभुकों की बनाई सूची, लक्ष्य से बाहर होने 157 लोग योजना से वंचित।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। भागलपुर शहर खुले में शौच मुक्त होने का दावा कर ओडीएफ का तमगा ले लिया। डेढ़ साल पहले निगम को यह उपलब्धियां मिल गई। अब ओडीएफ प्लस की ओर शहर बढ़ गया है। लेकिन, हकीकत में शहर अब भी ओडीएफ से दूर है। अधिकांश वार्डों के स्लम बस्ती के लोगों को आज भी रेलवे लाइन, नदी के किनारे या फिर मैदान में शौच करने को विवश है। निगम से अनुमति मिलने पर लोगों ने गड्ढा खोद दिया। लेकिन, राशि नहीं मिलने पर गड्ढे को भर दिया। कई लाभुकों का चार वर्षों बाद भी शौचालय अधूरा है। जबकि निगम की ओर से सरकार को शत फीसद लक्ष्य की उपलब्धि का ब्योरा भेज दिया है।

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यह है योजना का हाल

दरअसल, वर्ष 2016 में स्वच्छ भारत मिशन के तहत व्यक्तिगत शौचालय की योजना से जोड़ा जाना था। स्वच्छ भारत मिशन के तहत निगम को 51 वार्डों में 5443 शौचालय का वर्ष 2016 में लक्ष्य मिला था। निगम ने सभी वार्डों में 5600 लाभुकों की सूची तैयार कर दी। सरकार के लक्ष्य से बाहर होने पर 157 लोग योजना से वंचित रह गए। जानकारी के अनुसार 650 लोगों को दूसरे व 40 लोगों को पहले किस्त नहीं मिला है। जबकि योजना के तहत 12 हजार रुपये लाभुक को दो किस्त में साढ़े 7500 और दूसरा किस्त 4500 रुपये देना है। आज भी लोग किस्त की राशि का इंतजार कर रहे हैं। कई लोग शौचालय से वंचित रह गए।

कहां फंसा है भुगतान का मामला

सरकार ने लाभुकों के बैंक खाते में भुगतान के लिए सीएफएमएस सिस्टम लागु किया है। डेढ़ साल पहले आनलाइन सिस्टम लागू हुआ, अब निगम के अधिकारी तकनीकी कारण को राशि खाते में नहीं जाने का कारण बता रहे हैं। विभाग के स्तर से भुगतान को लंबित बता रहे हैं।

क्या है ओडीएफ

शहर में 80 फीसद घरों में शौचालय होने की स्थिति को ओडीएफ यानी खुले में शौच मुक्त को माना जाता है। निगम का दावा है कि इस लक्ष्य को हासिल कर लिया गया है। स्वच्छ भारत मिशन के नोडल अधिकारी रवीश चंद्र वर्मा की माने तो लक्ष्य पूरा कर लिया गया। अब ओडीएफ प्लस के तहत कार्य शुरू हुआ है। इसके तहत सामुदायिक शौचालल व पब्लिक शौचालय के रख-रखाव व रंग रोगन का कार्य चल रहा है।

खुले में शौच से हो रहे शर्मिंदा

मिरजानहाट के तांती टोला व मदादलित टोला की महिलाओं को रेलवे लाइन व खुले मैदान में शौच के लिए जाना पड़ता है। यहां ऐसे करीब 330 से अधिक घरों की महिलाओं को अंधेरे होने का इंतजार करना पड़ता है। यह स्थिति बूढ़ानाथ, खंजरपुर व मुसहरी घाट के आसपास स्लम बस्ती की बनी है। यहां के अधिकांश लोगों को शौचालय का लाभ नहीं मिला है। तांती टोला की राधा देवी ने बताया कि योजना में शामिल होने पर पहले गड्ढा खोदवाया, दो साल तक राशि नहीं मिली तो भरना पड़ा। वही मीरा देवी, सुनीता देवी व भगवती देवी ने कहा पहले किस्त की राशि मिली, लेकिन दूसरा किस्त नहीं मिली। उल्टे निगम ने कार्रवाई का नोटिस भेज दिया। अब कर्ज लेकर कार्य पूरा करना पड़ा। जिसका प्रतिमाह 500 रुपये सूद महाजन को देना पड़ रहा है।

पार्षदों ने कहा जबरन कराया ओडीएफ

पार्षद संजय सिन्हा, गोविंद बनर्जी फरहाना व दीपिका ने बताया कि शहर के ओडीएफ घेाषित होने की गहराई से जांच होनी चाहिए। संजय सिन्हा ने कहा सिटी मैनेजर ने दवाब देकर पार्षदों से हस्ताक्षर कराया। कहा गया विशेष फंड शहर को मिलेगा। लेकिन आज भी बूढ़ानाथ के समीप नदी किनारे के लोगों को लाभ नहीं मिला। हकीकत में सैड़कों लाभुकों को प्रथम व द्वितीय किस्त का इंतजार है।

12 हजार रुपये अनुदान की राशि है। जिन लाभुकों को लाभ नहीं मिला है उसका भौतिक सत्यापन के बाद भुगतान होगा।- प्रफुल्ल चंद्र यादव, नगर आयुक्त


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