भागलपुर में बेतहाशा बढ़ रहे टायफायड के मरीज, जानें... चिकित्सकों ने क्या बताए कारण और बचाव
दूषित पानी और भोजन से जिले में टायफायड के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इससे शहर-गांव दोनों प्रभावित हो रहे हैं। 100 मरीजों में से 30 से 35 लोग टायफायड के शिकार हैं।
भागलपुर, जेएनएन। जिले में टायफायड से पीडि़त मरीजों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। शहर के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी लोग इसके शिकार हो रहे हैं। बारिश के मौसम में यह बीमारी अधिक बढ़ती है। अभी हर क्लीनिक में रोज तीन से चार टायफायड के मरीज मिल रहे हैं।
टायफायड सेलमोनेला टायफाइ बैक्टीरिया से होता है। भोजन या पानी के जरिये बैक्टीरिया शरीर में जाता है और तीन-चार दिनों के बाद व्यक्ति बीमार होने लगता है। जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के टीबी एंड चेस्ट विभाग के अध्यक्ष एवं फिजीशियन डॉ. शांतनु घोष ने कहा कि पिछले तीन वर्षों से जिले में टायफायड के मरीजों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। घर के एक सदस्य को टायफायड है तो दूसरा सदस्य भी इससे पीडि़त हो सकता है। उन्होंने कहा कि 100 मरीजों में 30-35 मरीजों को इसमें बुखार रहता है। जांच में टायफायड होने की पुष्टि होती है। शहर के भीखनपुर, तातारपुर, तिलकामांझी, रामसर, सुरखीकल, मुंदीचक, महमदाबाद, मायागंज सहित अन्य मोहल्लों में टायफायड के मरीज हैं।
बीमारी के लक्षण : इस बीमारी में एक से दो सप्ताह तक 103 से 104 डिग्री तक बुखार रहता है। छाती, पेट और सिर में दर्द, भूख नहीं लगना, कमजोरी आदि इसके लक्षणों में शामिल हैं। मरीज को पूरी तरह से स्वस्थ होने में तीन से चार सप्ताह लगते हैं। जरा सी लापरवाही मरीजों के लिए परेशानी का कारण हो सकती है।
क्या बरतें सावधानी : बच्चों को टायफायड से बचाने के लिए टीकाकरण कराएं। पानी उबाल कर और ठंडा कर पीएं। पानी को सुरक्षित रखें। नगर निगम से आपूर्ति किए जाने वाले पानी से खाद्य सामग्री नहीं धोएं, साथ ही उस पानी से ब्रश या मुंह नहीं धोएं। यह सुनिश्चित भी करना चाहिए कि जो भोजन आप कर रहे हैं, उसे अच्छी तरह पकाया गया है। सुपाच्य भोजन करें। बाहरी खाना खाने से बचें।