अब जेलों में बंद महिलाएं भी बन सकेंगीं न्यूज रीडर, जानिए... क्या है विशेष योजना Bhagalpur News
महिला मंडल कारा में 90 से अधिक कैदी बंद हैं। इनमें अधिकतर सजायाफ्ता हैं। सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही इन कैदियों की स्वर परीक्षा जेल में ली जाएगी।
भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। सूबे की जेलों में विचाराधीन और सजायाफ्ता महिला बंदियों को न्यूज रीडिंग का प्रशिक्षण दिया जाएगा। ताकि वे स्वावलंबी बनकर अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। गुजरात सेंट्रल जेल की तर्ज पर कारा मुख्यालय इस योजना पर काम कर रहा है। प्रायोगिक तौर पर इसे सबसे पहले महिला मंडल कारा, भागलपुर में लागू किया जाएगा।
महिला मंडल कारा में 90 से अधिक कैदी बंद हैं। इनमें अधिकतर सजायाफ्ता हैं। सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही इन कैदियों की स्वर परीक्षा जेल में ली जाएगी। स्वर परीक्षा में सफल होने वाली कैदियों को 15 दिनों का प्रशिक्षण और प्रमाण पत्र दिया जाएगा। इस इसके बाद ये एनाउंसर या न्यूज रीडर बनाने योग्य हो जाएंगी।
जेल से छूटने के बाद इस प्रशिक्षण के बूते इन महिलाओं को समाज की मुख्य धारा में शामिल होने का मौका मिलेगा। गुजरात सेंट्रल जेल की महिला कैदियों को गुजरात विद्यापीठ की ओर से न्यूज रीडिंग का कोर्स कराया गया था। विद्यापीठ से आई महिला प्रशिक्षकों की टीम ने प्रशिक्षण दिया था।
कारा उपाधीक्षक राकेश कुमार सिंह कहते हैं कि महिला कैदियों को ऐसे प्रशिक्षण देने के पीछे कारा मुख्यालय का उद्देश्य है कि वे आत्मनिर्भर बन सकें। परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद के काबिल बन सके। एक बार हाथ में हुनर आने के बाद वे आपराधिक गतिविधियों से विमुख हो जाएंगी।