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अब बिहार के छात्रों को टीबी देखते हुए अपनी तस्‍वीर भेजनी होगी, जिला शिक्षा पदाधिकारी चिंतित, कैसे संभव है यह?

कोरोना वायरस के कारण बिहार में लाकडाउन है। स्कूल बंद है। 06 से 12वीं तक के मेरा दूरदर्शन-मेरा विद्यालय कार्यक्रम चल रहा है। प्रथम से पांचवीं तक के छात्रों के लिए टोला सेवक और तालिमी मरकज में पढ़ाई की व्‍यवस्‍था की गई है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Fri, 28 Jan 2022 05:47 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jan 2022 05:47 PM (IST)
अब बिहार के छात्रों को टीबी देखते हुए अपनी तस्‍वीर भेजनी होगी, जिला शिक्षा पदाधिकारी चिंतित, कैसे संभव है यह?
कोरोना संक्रमण को लेकर स्कूलों में पढ़ाई बंद है।

जागरण संवाददाता, सुपौल। कोरोना संक्रमण को लेकर स्कूलों में पढ़ाई बंद है। कक्षा छह से 12वीं तक के बच्चों की पढ़ाई दूरदर्शन पर और कक्षा एक से पांच तक के बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा तालिमी मरकज और टोला सेवक को दी गई है। अब विभाग ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को बच्चों की पढ़ाई की फोटो और वीडियोग्राफी भेजने का निर्देश दिया है। सच तो यह है कि तालिमी मरकज और टोला सेवकों द्वारा बच्चों की पढ़ाई नहीं करवाई जा रही है, दूरदर्शन का लाभ कितने बच्चे लेते हैं यह भी संशय में है। ऐसे में फोटो भेजने की औपचारिकता ही होगी।

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स्कूलों के बंद रहने का असर बच्चों की पढ़ाई पर नहीं पड़े और उनकी पढ़ाई निरंतर जारी रहे इसके लिए सरकार ने कक्षा एक से पांच तक की पढ़ाई का जिम्मा तालिमी मरकज और टोला सेवक को दिया है। ये दोनों टोले में पहुंचकर बच्चे को समूह में बांटकर पढ़ाने का काम करेंगे, जबकि कक्षा छह से 12वीं तक के बच्चे दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले मेरा दूरदर्शन-मेरा विद्यालय के माध्यम से कोर्स को पूरा करेंगे। इसके लिए विभाग ने सभी प्रधानों को पढ़ाई की मानीटरिंग करने का निर्देश दिया है। विभाग का यह निर्देश सिर्फ कागजों पर ही सिमटा हुआ है। टोला सेवक व तालिमी मरकज के द्वारा कहीं भी इस आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है।

इधर बच्चे या उनके अभिभावक को भी पता नहीं है कि बंद के दौरान उनके बच्चों को पढ़ाई की व्यवस्था की गई है। जहां तक छठी से 12वीं कक्षा के बच्चों की पढ़ाई की बात है तो इनमें कई ऐसे पेच है जिससे बच्चे पढ़ नहीं पाते हैं। कारण है कि काफी संख्या में बच्चों के घर टेलीविजन नहीं है। दूसरी बात कि ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली के आने-जाने का समय नहीं है। इधर मौसम भी बराबर खराब रह रहा है। आसमान में बादल छाए रहने पर सिग्नल कमजोर पड़ जाता है जिससे तस्वीर और आवाज साफ नहीं मिलती है। सबसे बड़ी बात यह कि यह पढ़ाई बच्चों को रास नहीं आ रही है। बच्चों का कहना है कि वर्ग कक्ष में बैठकर पढऩा और टीवी देखकर पढ़ाई करने में बड़ा अंतर है। कक्षा में शिक्षक से सवाल पूछकर अपने जिज्ञासा को शांत कर लिया जाता है लेकिन टीवी देखकर मन में उपजे सवाल सिर्फ सवाल बनकर रह जाते हैं।

अब विभाग ने पढ़ाई करते ऐसे बच्चों की तस्वीर और वीडियो प्रत्येक शनिवार को भेजने का निर्देश दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब टोला सेवक और तालिमी मरकज बच्चों की पढ़ाई नहीं करवा रहे हैं तो क्या टीवी देखते बच्चों की तस्वीर विभाग देखेगा, या फिर अपनी गर्दन बचाने के लिए मैनेज फोटो भेजकर निर्देश की औपचारिकता पूरी होगी। हालांकि इस संबंध में पूछे जाने पर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी एसएसए राहुलचंद चौधरी ने बताया कि कोरोना काल को लेकर दिए निर्देश का पालन हो रहा है। बच्चों की पढ़ाई जारी है। विभाग के वाट्सएप ग्रुप पर फोटो डालने के लिए कहा गया है।


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