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अब जापान के लोग भी पढ़ेंगे 'मैला आंचल', 1994 में रेणुगांव आए मिकी युइचिरो ने बढाया मान

जापान के रहने वाले मिकी युइचिरो ने मैला आंचल के बारे में जब सुना तो उन्हें ये उपन्यास इतना भाया कि वे दौड़ते हुए भारत चले आए। यहां वे रेणु की धरती अररिया पहुंचे। रेणु गांव पहुंचने के बाद उन्होंने भाई से अनुमति ली। 25 साल बाद...

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 03:38 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 03:38 PM (IST)
अब जापान के लोग भी पढ़ेंगे 'मैला आंचल', 1994 में रेणुगांव आए मिकी युइचिरो ने बढाया मान
फणीश्वरनाथ रेणु की लिखी किताब का हुआ अनुवाद

आशुतोष कुमार निराना,अररिया : कथा शिल्पी फणीश्वरनाथ रेणु के उपन्यास 'मैला आंचलट का जापानी भाषा में अनुवाद हो गया है। 25 साल में यह काम पूरा हो पाया। जापानी भाषा में दोरोनो सुसो (मैला पल्लू) नाम से अनुवाद होने पर रेणु के परिवार के लोग अभिभूत हैं। फणीश्वरनाथ रेणु के कनिष्ठ पुत्र कथाकार दक्षिणेश्वर प्रसाद राय ने कहा के जापान के ओसाका विश्वविद्यालय स्थित निमोह सेंबा कैंपस में उपन्यास के जापानी अनुवाद का लोकार्पण विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर संपन्न हुआ। उन्होंने बताया की जापान के रहने वाले मिकी युइचिरो ने यह अनुवाद किया है।

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मिकी ने कहा कि अब उनके देश के लोग भी भारत की महान कृति मैला आंचल को पढ़ सकेंगे। यह उनके लिए गौरव की बात होगी। दक्षिणेश्वर ने बताया कि 25 साल पूर्व उनके बड़े भाई पदम पराग राय वेणु ने मिकी युइचिरो को मैला आंचल के अनुवाद को लिखित अनुमति दी थी। रेणु गांव ही नहीं पूरे कोसी सीमांचल लोग इस गौरव से गदगद हैं। दक्षिणेश्वर ने कहा जापान में लोग इस मैला आंचल के अनुवाद को काफी पंसद कर रहे हैं। उन्होंने कहा जापान में भारतीय दूतावास के प्रधान काउंसिलर निलेश गिरी का बहुत बड़ा योगदान है जिन्होंने मिकी युइचिरो से जानकारी मिलने पर कि उनके अनुवाद किए उपान्यास को कोई प्रकाशक नहीं मिल रहा है। उन्होंने इसपर काम कर प्रकाशक के साथ साथ लोकार्पण तक करवा दिया।

उन्होंने बताया कि इस पुस्तक के लोकर्पण समारोह के संचालनकर्ता वेदप्रकाश सिंह जो से उनकी मैसेज की जरिए बात हुई है। उन्होंने कहा कि जापान में लोग काफी पंसद कर रहे हैं। उनसे आवासीय पता लिया गया है जल्द ही ये जापानी अनुवाद मैला आंचल उन्हें मिल जाएगा। उन्होंने कहा अब चूकी मैं खुद कथाकार हूं तो मुझे एक पुत्र, लेखक और पाठक होने का सौभाग्य बाबू जी की वजह से मिल सकी है जो की मेरे लिए सौभाग्य की बात है।मुझे गर्व है रेणु आज भी विश्व भर में काफी लोकप्रिय तथा सबसे ज्यादा पढे जाने वाले रचनाकार हैं। यह सम्पूर्ण देश के लिए गौरव की बात है। हिंदी साहित्य में मैं उनके अधूरे सपनों को अपनी लेखन के माध्यम से पुरा करने की कोशिश कर रहा हूं।

1994 में आए थे रेणुगांव मिकी युइचिरो

जापान के रहने वाले मिकी युइचिरो मैला आंचल के अनुवाद करने के पूर्व कई शब्दों का अर्थ समझने के लिए कथायशिल्पी फणिश्वरनाथ रेणु के गांव आए थे। दक्षिणेश्वर राय कहते हैं मिकी यहां आने पर अथि.., गुप्त प्रदेश आदि कई शब्दों का अर्थ जो आंचलिक भाषा में प्रयोग होता है, उसे समझकर लौटे थे।


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