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अब तेज धूप और गर्मी के मौसम में भी होगा चना, जानिए... कैसे करें खेती

बिहार में मात्र 65 हजार हेक्टेयर भूमि में चना की खेती होती है। राज्य के चावल उत्पादन वाले क्षेत्र में धनकटनी के बाद तकरीबन एक मिलीयन हेक्टेयर भूमि परती रह जाती है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 01:15 PM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 03:47 PM (IST)
अब तेज धूप और गर्मी के मौसम में भी होगा चना, जानिए... कैसे करें खेती
अब तेज धूप और गर्मी के मौसम में भी होगा चना, जानिए... कैसे करें खेती

भागलपुर [ललन तिवारी]। अब तेज धूप और गर्मी के मौसम में भी चना की खेती हो सकेगी। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) सबौर के वैज्ञानिक ने चना की नई किस्म विकसित की है। इसके लिए पिछले आठ वर्षों से शोध चल रहा था। चना की नई किस्म तेज धूप और अधिक गर्मी सह सकेगी। इससे इसकी पैदावार बढ़ेगी भी। अधिक गर्मी सहन करने वाली चना की नई किस्म बीआरसी 421 सीजन समाप्त होने के बाद भी लगाया जा सकेगा। सीजन पर लगने वाले चना से इसका औसत से दो गुणा ज्यादा पैदावार होगी। इसकी जांच देश के कई संस्थानों में भी चल रही है, ताकि इसे राष्ट्रीय स्तर पर रिलीज किया जा सके। बिहार की जलवायु और मिट्टी में इसका सफल मूल्यांकन अंतिम दौर में है।

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पीली किसानी लाएगी समृद्धि

विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. आइएस सोलंकी का कहना है कि बिहार में मात्र 65 हजार हेक्टेयर भूमि में चना की खेती होती है। राज्य के चावल उत्पादन वाले क्षेत्र में धनकटनी के बाद तकरीबन एक मिलीयन हेक्टेयर भूमि परती रह जाती है। चना की नई किस्म राइस फेलो एरिया के लिए कारगर है। कटनी के बाद चना का ऑफ सीजन होने के बाद भी बुआई की जा सकेगी और इसकी बंपर पैदावार होगी। बिहार में चने का औसत उत्पादन 11 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और राष्ट्रीय औसत 8.41 क्विंटल है। जबकि नई किस्म का उत्पादन 20 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर संभव है। अर्थात पीली किसानी से किसान समृद्ध बनेंगे।

ऐसा है किस्म

चना की नई किस्म को विकसित करने वाली वैज्ञानिक डॉ. रफल सुल्ताना कहती हैं कि एक डंठल में दो फूल और दो फल निकलते हैं। छोटा दाना होता है। इरेक्ट टाइप पौधा होता है, जो मशीन से कटाई के लिए उपयुक्त है। इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता होने की वजह से झुलसा, उठा जैसी बीमारी बहुत कम लगती है। चना लगाने का सामान्य सीजन 15 नवंबर तक है, जबकि इसे दिसबंर तक लगाया जा सकता है। यह कम अवधि (130 दिन) में पक कर तैयार हो जाता है। पौधे में काफी चना फलता है। बिहार के लिए यह किस्म वरदान साबित होगा।

बिहार कृषि विवि के कुलपति डॉ. अजय कुमार सिंह ने कहा कि चना की नई किस्म का सफल शोध किया जा रहा है। बिहार के दलहनी फसल में उक्त किस्म किसानों के लिए काफी लाभप्रद होगा। यह बहुत जल्द रिलीज किया जाएगा।


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