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Bihar Agricultural University : आग नहीं अब पराली को दीजिए कैप्सूल, महज इतने दिनों में खेतों की बढ़ जाएगी हरियाली

Bihar Agricultural University अब किसानों को खेतों में पराली को जलाने की जरूरत नहीं होगी। बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने भागलपुर सहित पांच जिलों में डी-कंपोजर कैप्सूल का उपयोग कर पराली को खाद में बदलने का निर्णय लिया है। इसके बाद अन्य जिलों में लागू किया जाएगा।

By Amrendra TiwariEdited By: Published: Wed, 04 Nov 2020 03:11 PM (IST)Updated: Wed, 04 Nov 2020 03:11 PM (IST)
Bihar Agricultural University :  आग नहीं अब पराली को दीजिए कैप्सूल, महज इतने दिनों में खेतों की बढ़ जाएगी हरियाली
खेतों में पराली जलाने से होता है नुकसान।

भागलपुर [ललन तिवारी]। Bihar Agricultural University : अगले दस दिनों खरीफ फसल खास कर धान की कटाई शुरू हो जाएगी। कुछ जगहों पर शुरू भी हो गई है। पिछले साल की तरह इस बार भी ज्यादातर किसान कटाई के लिए हार्वेस्टर की मदद लेने की तैयार में है। ऐसे में जाहिर सी बात है कि खेतों में पराली रह जाएगी। लेकिन अब इससे घबराने की जरूरत नहीं है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने ऐसे कैप्सूल को तैयार किया है, जो इन पराली को महज 15 दिनों में खाद में बदल देगा। इससे खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ जाएगी।

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किसानों का टेंशन हो जाएगा कम

दरअसल, बीएयू ने दिल्ली सरकार के सफल प्रयोग को देखते हुए यहां के खेतों में डी-कंपोजर कैप्सूल के प्रयोग का निर्णय लिया है। डी-कंपोजर के उपयोग से खेत में ही पराली खाद बन जाएगी। इससे किसानों को न तो पराली जलाने का टेंशन होगा और न ही काटकर खेत से खलिहान में ले जाने की। साथ ही इस प्रयोग से खेतों की सिंचाई का खर्च भी आधा होगा और यूरिया का उपयोग भी कम करना पड़ेगा।

दिल्ली के आसपास में प्रयोग रहा सफल

दिल्ली के आसपास के खेतों में पराली को लेकर यह प्रयोग सफल हो गया है। इसको देख बिहार में भी इसके प्रयोग की पहल की जा रही है। बीएयू को इसके प्रायोगिक प्रत्यक्षण की जिम्मेदारी दी गई है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा इस कैप्सूल को तैयार किया गया है।

इस तरह कर सकते हैं इस्तेमाल

बीएयू के बायोफॢटलाइजर के वैज्ञानिक महेंद्र कहते हैं कि इस कैप्सूल के इस्तेमाल से पहले पांच लीटर पानी में एक सौ ग्राम गुड़ घोल कर उबाल लें। इसके ठंडा होने के बाद 50 ग्राम बेसन के साथ कैप्सूल को मिला दें। घोल को 10 दिन तक किसी अंधेरे कमरे में रखें। उसके बाद पराली पर छिड़काव के लिए घोल तैयार हो जाता है। चार कैप्सूल से 25 लीटर का घोल तैयार किया जा सकता है। फिर इसमें छिड़काव के लिए 475 लीटर पानी मिलाकर डी कंपोजर तैयार किया जाता है। इसके छिड़काव के 15 दिन बाद खेत में पराली का नामोनिशान नहीं रहता है।

भागलपुर सहित पांच जिलों में होगा प्रयोग

बीएयू के प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. आरके सोहाने ने बताया कि सरकार के निर्देशानुसार विश्वविद्यालय में कैप्सूल मंगाया गया है। कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से भागलपुर, बांका, रोहतास, औरंगाबाद, लखीसराय जिलों के किसानों के खेतों में कैप्सूल का प्रयोग किया जाएगा।


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