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अब पॉली हाउस के बाहर भी होगी 'चेरी टमाटर' की खेती, जानिए... इसके फायदे व उपजाने की विधि

चेरी टमाटर की खेती पॉली हाउस में जूलाई से और पॉली हाउस के बाहर सितंबर से होती है। मार्च में सबसे अधिक फल होता है। जो जून तक जारी रहता है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 23 Apr 2019 12:04 PM (IST)Updated: Mon, 29 Apr 2019 09:18 AM (IST)
अब पॉली हाउस के बाहर भी होगी 'चेरी टमाटर' की खेती, जानिए... इसके फायदे व उपजाने की विधि
अब पॉली हाउस के बाहर भी होगी 'चेरी टमाटर' की खेती, जानिए... इसके फायदे व उपजाने की विधि

भागलपुर [अमरेन्द्र कुमार तिवारी]। फाइव स्टार होटलों के सलाद डिश में परोसा जाने वाला चेरी टमाटर अब आम लोगों की थाली का भी स्वाद बढ़ाएगा। अंगूर की तरह फलने वाले इस टमाटर की खेती पहले पॉली हाउस में होती थी। कृषि वैज्ञानिकों ने इस किस्म में सुधार करते हुए इसे खेतों के अनुकूल बना लिया है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय उद्यान सब्जी विभाग के वैज्ञानिक डॉ. रणधीर कुमार ने इसकी नई किस्म बीआरसीटी-1 ईजाद की है। जिसकी उत्पादन क्षमता साढ़े तीन से चार क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

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12 राज्यों में चल रहा है मल्टी लोकेशन ट्रायल

विभिन्न जलवायु एवं मिट्टी में इसकी उपज क्षमता के मूल्यांकन के लिए देश के 12 राज्यों में मल्टी लोकेशन ट्रायल चल रह है। इसमें दिल्ली, पंजाब, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, उड़ीसा और बंगलुरू आदि शामिल हैं।

चेरी टमाटर का खासियत

चेरी टमाटर सामान्य टमाटर से दोगुना मीठा है। इसमें 9.4 टीएसएस है, जबकि सामान्य टमाटर में टीएसएस 3.5 तक होता है। इसमें बीज की मात्रा और रस बहुत कम होती है। सलाद में इसे बंच के रूप में परोसा जाता है। जिसे लोग अंगूर की भांति बंच से तोड़-तोड़ कर खाते हैं।

प्रचुर मात्रा में होता है विटामिन

इस टमाटर में प्रचुर मात्रा में विटामिन ए और लाइकोपीन है। जो रोग निरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करता है। यह यह लाल, गुलाबी और पीले रंग में होता है। इसका आकार अंगूर की भांति गोल, लंबा और अनार की भांति भी होता है।

कब होती है खेती

इसकी खेती पॉली हाउस में जूलाई से और पॉली हाउस के बाहर सितंबर से होती है। मार्च में सबसे अधिक फल होता है। जो जून तक जारी रहता है। प्रति हेक्टेयर इसकी उत्पादन क्षमता पॉली हाउस में सात से आठ क्विंटल जबकि पॉली हाउस के बाहर साढ़े तीन से चार क्विंटल होता है।

किचन गार्डेन में खेती संभव

वैज्ञानिक डॉ. रणधीर ने कहा कि अब स्वास्थ्य जागरूकता समय की मांग हो गई है। लोग अपने भोजन में शामिल सलाद जो खीरा, गाजर और टमाटर को काट कर खाते थे, उसमें से 80 फीसद तक टमाटर बर्बाद चला जाता था, लेकिन चेरी टमाटर जो सामान्य की तुलना में अधिक मीठा होता है। उसे लोग सलाद में अंगूर की भांति ज्यादा खाना पसंद करते है। इसके लिए चेरी टमाटर की नई विकसित किस्म को आम आदमी भी अपने किचन गार्डेन व गमला में भी उपजा सकते हैं। इसकी पौधे की ऊंचाई साढ़े तीन मीटर तक होती है। जनवरी से जून तक यह खूब फलता है।

स्थानीय स्तर पर बढ़ रही है मांग

वैज्ञानिक ने कहा कि इस उत्पाद को बेहतर बाजार मिल सके। इसके लिए हम किसान मेला के माध्यम से इसे आम लोगों तक पहुंचने का प्रयास कर रहे है। इसका स्वाद लेने वाले लोग अब इसके गुणों से प्रभावित होकर इसकी मांग करने लगे हैं। खासकर शहर के मारवाड़ी परिवार के लोग इसे पसंद करने लगे हैं। शादी-विवाह एवं पार्टियों में भी स्थानीय स्तर पर इसकी मांग दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। बहरहाल जब बाजार में सामान्य टमाटर प्रति किलोग्राम 80 रुपये किलो तक बिकता है तो इसकी बाजार मूल्य 150 रुपये किलो तक होती है। जब लोकल टमाटर का बाजार मूल्य गिर कर दस रुपये किलो हो जाता है तो इसका बाजार मूल्य 50 रुपये किलोग्राम तक होती है। उन्होंने कहा कि इसकी खेती किसानों को दोगुनी करने में वरदान साबित होगा।

बीएयू के निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. आरके सोहाने ने कहा कि चेरी टमाटर के स्वाद का अब लोग कायल होने लगे हैं। बाजार में इसकी मांग बढऩे लगी है। बीएयू की नई विकसित किस्म जल्द रीलिज होने की उम्मीद है।

बीएयू के कुलपति डॉ. अजय कुमार सिंह ने कहा कि किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने की दिशा में विवि प्रतिबद्ध है। वैज्ञानिक नित नए शोध में लगे हैं। चेरी टमाटर का विकसित प्रभेद देश के किसानों के लिए वरदान बनेगा।


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