Digital system : किऊल जंक्शन पर माउस क्लिक करते ही दौड़ेगी ट्रेनें Bhagalpur News
किऊल जंक्शन पर सिस्टम से जुडऩे के बाद सिग्नल से लेकर रेलवे के ट्रैक प्वाइंटर तक ऑटोमेटिक सिस्टम से बदलेंगे। ट्रेनों का परिचालन भी आसान होगा।
भागलपुर [रजनीश]। किऊल जंक्शन पर रेल परिचालन डिजिटल सिस्टम से होगा। यहां अब वर्षों से काम कर रहे अंग्रेजों के सिस्टम को अलविदा कह दिया जाएगा। जंक्शन पर बन रहे रूट रिले इंटरलॉकिंग (आरआरआइ) कक्ष में इलेक्ट्रॉनिक वीडियो डिस्प्ले लगाए जाएंगे। पूरी तरह सिस्टम कंप्यूटराइज्ड होगा। माउस क्लिक करते ही एक ही जगह से रेलवे ट्रैक और सिग्नल बदल जाएंगे। इस सिस्टम की खासियत यह है कि किस प्लेटफॉर्म पर ट्रेनें आएगी, ट्रैक कैसे बदले जाएंगे सभी वीडियो डिस्प्ले में दिखेगा। इसके लिए इलेक्ट्रिॉनिक डिस्प्ले में चिप लगे होंगे। इसी से अप और डाउन की ट्रेनें ऑपरेट होगी। जंक्शन पर आरआरआइ का काम काफी तेजी से चल रहा है। मार्च अंतिम तक इसे पूरा कर लिया जाएगा।
परिचालन होगा आसान, ट्रेनों का रूट होगा तय
सिस्टम से जुडऩे के बाद सिग्नल से लेकर रेलवे के ट्रैक प्वाइंटर तक ऑटोमेटिक सिस्टम से बदलेंगे। ट्रेनों का परिचालन भी आसान होगा। इस प्रणाली से स्टेशन मास्टर महज कुछ सेकंड में ट्रेनों के आगमन के अलग-अलग रूट तय कर सकेंगे। समय बचत के साथ-साथ दुर्घटना पर भी अंकुश लगेगा। पूरा सिस्टम चिप से ऑपरेट होगा। अभी किऊल जंक्शन पहुंचने वाली ट्रेनें तीन जगहों से ऑपरेट होता है, लेकिन नई व्यवस्था के बाद एक ही जगह से होगा।
यहां से हर दिशा के लिए गुजरती है गाडिय़ां
किऊल जंक्शन हावड़ा-नई दिल्ली रेलखंड का अतिव्यस्त रेलवे स्टेशन है। यहां से हावड़ा, उत्तर बिहार, गया, पटना, नई दिल्ली, पूर्वी बिहार के लिए ट्रेनें गुजरती है। इसके अलावा मालगाडिय़ों का परिचालन होता है। किऊल जंक्शन को आरआरआइ सिस्टम से लैस करने की पहले से ही तैयारी चल रही थी। किसी कारणवश काम शुरू नहीं हो रहा था।
किऊल जंक्शन पर आरआरआइ बनना है। पूरी तरह कंप्यूटराइज्ड होगा। इसके बनने से ट्रेन परिचालन काफी आसान होंगे। इसके निर्माण पर 85 करोड़ खर्च होंगे। -राजेश कुमार, सीपीआरओ, पूर्व मध्य रेल।