अब किसानों की समस्याओं के निवारण के लिए शोध करेगा बीएयू, जैसी हो चाहत, वैसी लगाएं फसल
अब जो किसान जहां हैं और जैसी किसानी करना चाहते हैं वह करें। बिहार कृषि विश्वविद्यालय आपकी हर-एक समस्या का बारीकी से अध्ययन कर रही है। उसका स्थाई समाधान निकालेगा। विज्ञानी दल इस कार्य में लगे हुए हैं।
संवाद सहयोगी, भागलपुर। अब किसानी का खर्च कम होगा। जो जहां हैं और जैसी किसानी करना चाहते हैं, वह करें। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) आपकी हर-एक समस्या का बारीकी से अध्ययन करेगा और उसका स्थाई समाधान निकालेगा। बीएयू में स्थानीय स्तर पर किसानों की चाहत के अनुसार अनुसंधान किया जाएगा या यूं कहें कि अब भागलपुर के लिए अनुसंधान होगा।
बीएयू के शोध की नई परियोजनाओं में क्षेत्रवार किसानों की समस्या को चिन्हित कर शामिल किया जाएगा। किसानों के भी विचार लिए जाएंगे, ताकि शोध से प्राप्त फलाफल का लाभ सीधे किसानों को मिल सके। उनकी आय में वृद्धि हो सके और अनुसंधान किसानों के लिए उपयोगी साबित हो। शोध के प्रति छात्रों का रुझान बढ़ाने के लिए ऐसे अनुसंधान परियोजनाओं में छात्रों की भी मदद ली जाएगी।
जैसी चाह वैसी राह
विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डा. फिजा अहमद कहते हैं कि जैसी चाह वैसी राह की तर्ज पर अब अनुसंधान की प्राथमिकता होगी। उन्होंने कहा कि यदि भागलपुर जिले के किसान दलहन की पैदावार करना चाहते हैं और उनकी निचले स्तर की भूमि है, तो उनके लिए ऐसी किस्मों का विकास किया जाएगा जो निचली भमि पर भी बेहतर उत्पादन दे सकें। किसी क्षेत्र में यदि सुखाड़ की स्थिति होगी तो उन्हें ऐसी किस्में उपलब्ध कराई जाएगी, जिसमें ङ्क्षसचाई बहुत की कम लगे ताकि उनका खर्च कम हो सके। रसायनिक उर्वरक का कम उपयोग हो। पारंपरिक फसलों के साथ ही उद्यान्न, सब्जी आदि पर भी किसानों को खेती में आ रही समस्या का आकलन कर उसके समाधान के लिए कार्ययोजना बनाकर अनुसंधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उच्च स्तरीय बैठक में इस प्रकार का निर्णय लिया गया है। जिस जिला के लिए जो प्राथमिकता होगी, उसी प्रकार का स्थाई शोध किया जाएगा।
स्थानीय स्तर पर शोध के माध्यम से किसानों की समस्या का समाधान किया जाएगा। किसान का खर्च कम होगा और आमदनी बढ़ेगी। इसके लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है। जल्द ही धरातल पर यह पहल दिखेगी। - डा. अरुण कुमार, कुलपति, बीएयू सबौर