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सिपाही निरंजन के बचाव में लगी लॉबी का रकम वापसी पर जोर

सेना में बहाली के नाम पर रुपये ऐंठने वाले सिपाही निरंजन को महकमे के बड़े अधिकारियों का आशीर्वाद प्राप्त है। शायद इसलिए उसके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं होती।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 09 Jun 2019 12:01 PM (IST)Updated: Mon, 10 Jun 2019 09:40 AM (IST)
सिपाही निरंजन के बचाव में लगी लॉबी का रकम वापसी पर जोर

भागलपुर [जेएनएन]। सेना में बहाली कराने का गिरोह संचालित करने के आरोपित सिपाही निरंजन कुमार यादव के बचाव में लगे अधिकारियों की लाबी ने गृह रक्षक को उसकी रकम वापस करा दी है। शुक्रवार को ऐसी चर्चा पुलिस केंद्र में दबी जुबान से बाहर आने लगी। शिकायतकर्ता गृह रक्षक योगेंद्र मंडल के पुत्र की छह लाख में सेना में भर्ती कराने की बात कह योगदान के पूर्व की पहली किश्त 93 हजार रुपये लेने वाले निरंजन से वापस कराई गई है। रकम एक इंस्पेक्टर के समक्ष वापस किए जाने की बात कही जा रही है। यह भी कहा जा रहा है कि सिपाही निरंजन के विरुद्ध महकमे के वरीय अधिकारियों के पास दाखिल शिकायत पत्र को वापस ले ले। ताकि निरंजन पर प्राथमिकी और विभाग की ओर से होने वाली बड़ी कार्रवाई से बचाया जा सके।

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निरंजन के विरुद्ध डीएसपी(प्रारक्ष) संजीव कांत ने बर्खास्तगी की चेतावनी पत्र जारी करते हुए एसएसपी को रिपोर्ट सौंप रखी है। उसके बचाव के लिए निरंजन के पक्ष में लगी अधिकारियों की लाबी जी जान से जुटी है। इसके लिए एक माह से उसके इस गंभीर अपराध के लिए भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद भी उसके विरुद्ध दंड की छोटी कार्रवाई निलंबन से भी बचते रहे। अब सवाल उठता है कि सेना में बहाल कराने के नाम पर गृह रक्षक से रुपये ऐंठने वाले निरंजन की ओर से रकम वापस कर लिए जाने के बाद कार्रवाई नहीं होगी? क्या रकम वापस कर दिए जाने से उसके अपराध खत्म हो गए? जबकि गृह रक्षक के एटीएम से भी धोखाधड़ी कर उसने कई बार पुलिस क्लब स्थित एटीएम से रकम निकाली थी? ऐसे में आम आदमी की ओर से किए गए ऐसे अपराध पर पुलिस क्या ऐसा रूख अपनाए रहती। आम आदमी को पुलिस बिना जांच के तत्काल प्राथमिकी दर्ज कर जेल भेजने में गुरेज नहीं करती। लेकिन विभागीय सिपाही के बड़े अपराध पर भी चुप्पी साध अंदर ही अंदर उसके बचाव के सभी उपाय किए जा रहे हैं।

सेना में बहाली कराने वाले गोल्डन सिंह और रंजीत यादव का भी गिरोह सक्रिय

सेना और बिहार पुलिस में बहाली कराने में आरा के गोल्डन सिंह गिरोह और खगडिय़ा के रंजीत यादव का गिरोह भी सूबे में सक्रिय है। यह गिरोह पूर्व में भागलपुर में तैनात 2008 बैच के तीन सिपाहियों को एनसीसी के फर्जी सर्टिफिकेट मुहैया कराकर भी बहाली कराने में सफल रहा था। लिखित परीक्षा की शुरूआत बाद गोल्डन और रंजीत के गिरोह ने स्कॉलर भी बैठाने शुरू कर दिए। घोघा की एक महिला की शिकायत पर पुलिस मुख्यालय दोनों गिरोह की ओर से बहाल कराए गए कुछ सिपाहियों की जांच भी कर रहा है।

 

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