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सिपाही निरंजन रौब से कहता सेना में बड़ा अधिकारी है उसका भाई, फ‍िर करता है यह गैरकानूनी काम

सेना में बहाली के नाम पर रुपये ऐंठने वाले सिपाही निरंजन को महकमे के बड़े अधिकारियों का आशीर्वाद प्राप्त है। शायद इसलिए उसके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं होती।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 07 Jun 2019 02:01 PM (IST)Updated: Fri, 07 Jun 2019 04:03 PM (IST)
सिपाही निरंजन रौब से कहता सेना में बड़ा अधिकारी है उसका भाई, फ‍िर करता है यह गैरकानूनी काम
सिपाही निरंजन रौब से कहता सेना में बड़ा अधिकारी है उसका भाई, फ‍िर करता है यह गैरकानूनी काम

भागलपुर [जेएनएन]। भागलपुर पुलिस मुख्यालय में तैनात सिपाही निरंजन कुमार यादव सेना में बहाल कराने के लिए बेरोजगारों को यह बोल फंसा लेता था कि उसके भाई और चाचा सेना में बड़े अधिकारी हैं। गृह रक्षक योगेंद्र मंडल के बेटे को अर्धसैनिक बल में नौकरी दिलाने के लिए भी इसने ऐसा ही सब्जबाग दिखाया।

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खड़ी हिंदी में बातचीत कर सहज ही किसी को झांसे में लेने वाले निरंजन ने योगेंद्र के बेटे को बहाल करने के एवज में छह लाख रुपये लगने की बात कही थी। कहा था कि एक लाख रुपये परीक्षा का परिणाम पक्ष में निकालने के लिए और पांच लाख नियुक्ति पत्र मिलने के बाद और योगदान देने के पूर्व देना होगा।

वायरलेस विभाग में तैनात स्थायी कर्मचारी रूपा कुमारी ने लेनदेन की बातचीत में गृहरक्षक योगेंद्र का पक्ष लेते हुए निरंजन से कहा कि वह गरीब है। साथ में काम करता है। निरंजन के कहने पर योगेंद्र ने अपने बेटे शुभम को 28 अगस्त 2018 को अर्धसैनिक बल का फार्म भरवाया था। रुपये भी लिए पर शुभम की परीक्षा छूट गई उसके बाद ही निरंजन का असली रूप सामने आया। महकमे में मौजूद उसके बैच के एक साथी ने बताया कि वह पहले बीएसएफ में था। वह वहां की नौकरी छोड़ बिहार पुलिस की नौकरी में आया था।

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निरंजन को बड़े अधिकारियों का आशीर्वाद, बच रहे हैं निलंबन की कार्रवाई तक से

सेना में बहाली के नाम पर रुपये ऐंठने वाले सिपाही निरंजन को महकमे के बड़े अधिकारियों का आशीर्वाद प्राप्त है। शायद इसलिए इतने बड़े अपराध के बावजूद उसके विरुद्ध निलंबन जैसी मामूली विभागीय कार्रवाई भी अब तक करने की जहमत अधिकारी नहीं उठा रहे हैं। बहाली को लेकर संचालित गिरोह में उसे संरक्षण देने वाली लॉबी के उजागर होने का भी खतरा मंडराने लगा है। उसका रुतबा ऐसा कि गुरुवार को भी वह अल सुबह कार्यालय में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल रहा। उसके रसूख का ही फलाफल है कि इशाकचक थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर राम इकबाल यादव ने तब उसके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज नहीं की जबकि डीआइजी विकास वैभव ने इस दिशा में निर्देश दे रखा था। इधर, डीएसपी (प्रारक्ष) संजीव कांत ने मामले में अपनी जांच रिपोर्ट एसएसपी आशीष भारती को सौंप दी है। अब एसएसपी इस संबंध में एसएसपी को कार्रवाई करनी है।

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