बाढ़ से कई जगह कट गई NH-80, भागलपुर से घोघा के बीच नहीं हो रहा ट्रकों का परिचालन
बाढ़ से कई जगहों पर एनएच-80 बह गई है। इससे भागलपुर से घोघा के बीच ट्रकों का परिचालन बाधित हो गया है। हालांकि बाढ़ का पानी उतरने के बाद सड़क मरम्मत की दिशा में कवायद शुरू हो गई है। उसे चलने लायक बनाया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। एनएच-80 होकर ट्रक भागलपुर नहीं आ रहा है। ट्रकों को घोघा तक पहुंचने के बाद सन्हौला की ओर मोड़ दिया जाता है। सन्हौला से जगदीशपुर होते हुए बाइपास होकर ट्रक विक्रमशिला सेतु तक पहुंच रहा है। इसके लिए 50 किलोमीटर अधिक दूरी तय करनी पड़ रही है। ट्रक मालिकों का कहना है कि दो हजार की जगह चार हजार रुपये का डीजल जल रहा है। ट्रक मालिकों ने बताया कि एनटीपीसी आने वाले ट्रकों को आने-जाने दिया जा रहा है। लेकिन आम ट्रकों को सड़क जर्जर कहकर रोक दिया जा रहा है। इसे लेकर ट्रक मालिकों ने डीएम को ईमेल भेजना शुरू कर दिया है।
दो चरणों में होगा सड़क का निर्माण
मुंगेर के घोरघट से झारखंड के मिर्जाचौकी के बीच 120 किलोमीटर एनएच-80 का नए सिरे से निर्माण होगा। सड़क का निर्माण दो चरणों में होगा। सड़क को दस मीटर चौड़ा किया जाएगा। पहले चरण में जीरोमाइल से मिर्जाचौकी और दूसरे चरण में मुंगेर से नाथनगर बाइपास मोड़ तक सड़क बनेगी। आवश्यकता अनुसार कुछ जगहों पर सड़क फोरलेन भी बनेगी। सड़क निर्माण के पूर्व अतिक्रमण हटाया जाएगा। इसके लिए विभाग जिला प्रशासन की मदद लेगा।
एनएच-80 की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट और निर्माण की राशि 971 करोड़ की स्वीकृति केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय की केंद्रीय कमेटी से मिल गई है। 57 किलोमीटर सड़क दस मीटर चौड़ी होगी। मसाढ़ू में जर्जर पुल की जगह नए पुल का निर्माण होगा। सड़क को पीसीसी बनाया जाएगा। दोनों ओर फुटपाथ होगा। घोघा और कहलगांव में गोलंबर का निर्माण होगा। 55 से 60 कलभर्ट का निर्माण होना है। सड़क एक मीटर ऊंची की जाएगी।
सहोड़ा सहित एक दर्जन गांव के लोगों की घरों का चूल्हा कोसी नदी पार खेती योग्य जमीन से चलता है
रंगरा चौक प्रखंड के सहोड़ा, सधुआ, चापर, भवानीपुर, साधोपुर सहित एक दर्जन गांव के लोगों का चूल्हा कोसी नदी के पार खेती योग्य जमीन से चलता हैं। कोसी नदी के उस पार लगभग पांच हजार एकड़ जमीन हैं। जिस पर लोग किसान खेती करते हैं। खेती करने के लिए किसान वहां पर बासा भी बना लिया था। खेत व चारे की वजह से उस पार ही किसान मवेशी पालते हैं। कोसी नदी के उस पार 12 महिना लोगों का आना जाना होता है