डकरानाला परियोजना को पुनर्जीवित करने की जरूरत, जानिए किसानों को क्या होगा लाभ
मुंगेर जिले के किसानों के लिए अति महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजना डकरानाला को पुनर्जीवित करने की योजना बन रही है। यह पहल राज्य के लघु सिंचाई मंत्री संतोष कुमार सुमन ने शुरू की है। इस परियोजना को पुन जीवनदान मिल जाने से किसान खुशहाल हो जाएंगे।
मुंगेर [ केएम राज] । मुंगेर जिले की अति महत्वाकांक्षी सिंचाई परियोजना डकरानाला को फिर से पुनर्जीवित किए जाने की आस जगी है। राज्य के लघु सिंचाई मंत्री संतोष कुमार सुमन ने जमालपुर दौरे पर डकरानाला सिंचाई पंप परियोजना का जीर्णोद्धार कर उसे किसानों के हित में पुनर्जीवित करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा यह परियोजना किसानों के हित में है। इसे पुनर्जीवित करने की दिशा में दलगत राजनीति से उपर उठ कर सबको सामूहिक प्रयास करने की जरूरत है।
क्षेत्र के किसानों के बहुरेंगे दिन
मंत्री की घोषणा से क्षेत्र के किसानों में नई उम्मीद जगी है। उनके चेहरे पर हंसी लौटी है। किसानों की माने तो इस परियोजना के जीर्णोद्धार के बाद मुंगेर के साथ ही पड़ोसी जिला लखीसराय के सीमावर्ती इलाके के किसान भी लाभान्वित होंगे।
1200 एकड़ भूमि होगी सिंचित
किसान भरत सिंह , प्रशांत सिंह, चंदन सिंह , शंभु सिंह , दिलीप तांती, कल्लू ठाकुर, राजेंद्र मंडल, सुरेंद्र मंडल, संजय सिंह , सुकेश सिंह और शंभु ने कहा कि डकरानाला परियोजना के जीर्णोद्धार के बाद 12 सौ एकड़ से अधिक भूमि सिंचित हो सकेगी। इससे किसानों को काफी लाभ होगा। किसान दो फसल रबी और खरीफ की खेती कर सकेंगे।
15 मौजा के हजारों किसानों के खेत को मिलेगा पानी
रामपुर, इंदुरूख, मोलिमचक, चालीस बिग्घी, धरहरा, हेमजापुर, सिंघिया, परहम, तेपारी, मैनमाटाल, दशरथपुर, घोघी, बरियारपुर, फरदा और हेरुदियरा आदि मौजा में जमीन सिंचित होगी। बताते चलें कि यह सिंचाई परियोजना 1974 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री डीपी यादव की पहल पर शुरू हुआ। योजना के क्रियान्वयन पर 68 करोड़ रुपये खर्च किए गए। जिसमें डकरा नाला के पास गंगा के पानी को पंप कर केनाल और नहरों के माध्यम से इस पूरे क्षेत्र को सिंचाई सुविधा मुहैया कराने का प्रयास किया गया।
लघु सिंचाई विभाग के मंत्री की पहल पर बदलेगी तस्वीर
बाद के दिनों में इस परियोजना को धीरे धीरे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। आज की तारीख में यह सिंचाई परियोजना बदहाल हो कर रह गया है। कई किलोमीटर लंबी नहर और कैनाल धीरे-धीरे ध्वस्त हो गए। कई जगहों पर कैनाल और नहर पर लगे ईंट पत्थर आसपास के लोग उखाड़ ले गए। योजना के फ्लॉप होने की एक वजह गलत स्थल का चयन होना भी बताया जा रहा है। गंगा की धारा इस परियोजना स्थल से कोसों दूर पश्चिम की ओर चले जाने से इस परियोजना को गति प्रदान नहीं किया जा सका। अब बिहार सरकार के लघु सिंचाई मंत्री संतोष कुमार सुमन के आश्वासन के बाद अब नए सिरे से उम्मीद जगी है कि उनके खेतों तक पानी पहुंच जाएगा।