नक्सली हमले के बाद निर्माण कार्य बंद, लेवी के लिए मजदूरों को निशाना बनाते रहे हैं
एक बार फिर नक्सलियों ने जमुई में दहशत फैला दी है। इससे पहले भी मजदूरों को अगवा करने तथा मारपीट की घनटा को नक्सली अंजाम दे चुके हैं। नक्सलियों के लिए कुबेर विकास योजनाएं साबित हो रही है। लोग दहशत में आ चुके हैं।
जागरण संवाददाता, जमुई। विकास योजनाएं नक्सलियों के लिए कुबेर साबित हो रही है। लेवी नहीं मिलने पर मजदूरों के साथ मारपीट तथा उन्हें अगवा करने की घटना यहां पहले भी घट चुकी है। वैसे तो सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई से नक्सली संगठन की सक्रियता कम हुई थी लेकिन अचानक से फिर उनकी सक्रियता बढ़ गई है। मंगलवार की रात हरणी-खलारी घाट पर पुल निर्माण में लगे मजदूरों के साथ मारपीट तथा बमबाजी व गोलीबारी की हुई घटना लेवी नहीं देने का ही परिणाम बताया जा रहा है। इस घटना के बाद से इलाके में लोगों के बीच दहशत व्याप्त है। कोई भी खुलकर कुछ बोलने को तैयार नहीं है। कई ग्रामीण बताते हैं कि उन्हें इसी इलाके में रहना है एवं कुछ कहने पर गंभीर परिणाम भी उन्हें भुगतना पड़ेगा। बता दें कि लेवी को लेकर 8 दिसंबर 2011 को खैरा इलाके के पकरी घाट पर पुल निर्माण में लगे आठ मजदूरों को नक्सलियों ने अगवा कर लिया था। घटना के चार दिन बाद नक्सलियों ने सभी मजदूरों को सकुशल मुक्त कर दिया था। यह सिलसिला आगे भी जारी रहा। 23 मार्च 2012 को भी नक्सलियों ने गिद्धेश्वर नदी बालू घाट में एक दर्जन ट्रकों को आग के हवाले कर दिया था। 25 जनवरी को 2014 को नक्सलियों ने बादिलडीह घाट से पुल निर्माण में लगे आठ मजदूरों को अगवा कर लिया था। जिसके बाद कई सालों तक उक्त पुल का निर्माण कार्य ठप रहा। काफी दिनों बाद कुछ साल पहले पुल निर्माण का कार्य पूरा हो पाया। इसके अलावा भी कई निर्माण कार्य में लेवी की मांग कर नक्सलियों ने खलल पैदा किया था। फिलवक्त नक्सलियों द्वारा लेवी मांगे जाने की घटना से विकास कार्यों पर ग्रहण लगने की संभावना बनी है।
सीआरपीएफ के हटते ही बढ़ी नक्सलियों की सक्रियता
नक्सलग्रस्त खैरा प्रखंड के दक्षिणी इलाके में शांति व्यवस्था कायम करने के उद्देश्य से गरही स्थित सिंचाई विभाग कॉलोनी में सीआरपीएफ कैंप की स्थापना की गई थी। कैंप स्थापना के बाद सीआरपीएफ पुलिस द्वारा लगातार चलाए गए अभियान से कई नक्सलियों की गिरफ्तारी भी हुई। साथ नक्सलियों की सक्रियता भी कम हो गई। लोग शांत माहौल में जीवन-यापन करने लगे। लेकिन हाल ही में उक्त जगह से सीआरपीएफ कैंप को हटा लिया गया। कैंप हटते ही इलाके में फिर से नक्सलियों की सक्रियता बढऩे लगी है। इस कारण इलाके में असुरक्षा का माहौल फिर से लोगों को सताने लगा है।