जमुई में नक्सलियों का आतंक : नक्सली हमले के बाद दहशत के साये में बीती मजदूरों की रात
जमुई में परसों रात हुए नक्सली हमले के बाद निर्माण कार्य बंद। दहशत के साये में बीती मजदूरों की रात। निर्माण स्थल के समीप प्लांट में पसरा सन्नाटा। काम छोड़ घर लौटने को मजबूर हुए मजदूर। जमुई में नक्सली हमले के कारण विकास कार्य नहीं हो पाता।
जमुई [मणिकांत]। खैरा थाना क्षेत्र अंतर्गत दक्षिणी इलाके में किउल नदी के हरणी-खलारी घाट पर हो रहे उच्चस्तरीय पुल निर्माण स्थल पर मंगलवार की रात हुए नक्सली हमले के बाद मजदूरों में दहशत व्याप्त है। बुधवार की सुबह निर्माण स्थल पर कार्य बंद रहा तो प्लांट में सन्नाटा पसरा रहा। पुल निर्माण में लगे मजदूर गुमशुम उदास बैठे थे। उनके चेहरे पर दहशत का भाव दिखा।
मजदूरों ने बताया कि लगभग आधा घंटा तक नक्सलियों ने प्लांट स्थल पर आतंक मचाया। इस दौरान नक्सलियों ने हेड मिस्त्री तथा एक अन्य मजदूर की जमकर पिटाई की। मारपीट के बाद नक्सली हेड मिस्त्री को नदी के रास्ते जंगल की तरफ ले जा रहे थे लेकिन उनके द्वारा काफी आरजू मिन्नत के बाद नक्सलियों ने उन्हें मुक्त कर दिया। एक मजदूर ने बताया कि कुछ नक्सली मजदरों को गोली मारने की बात कह रहे थे लेकिन उसी में से एक नक्सली ने ऐसा करने से मना किया। जाते-जाते नक्सली लेवी की राशि नहीं देने तक कार्य को बंद करने की धमकी दी और कहा कि बिना हमलोगों के आदेश काम शुरु हुआ तो अंजाम बुरा होगा। जब नक्सली चले गए तो हम लोगों की जान में जान आई। पूरी रात दहशत के साये में बीती। भय के कारण नींद नहीं आई।
मजदूरों ने बताया कि इस परिस्थिति में यहां काम करना संभव नहीं है। क्या पता कब हमलोगों को नक्सलियों के कोपभाजन का शिकार हो जाना पड़े। इससे अच्छा है कि जीवन की सलामती के लिए घर लौटना ही अच्छा होगा। बता दें कि अर्से बाद लंबी चुप्पी के बाद एक दफा फिर से नक्सली संगठन इलाके में सक्रिय होकर सड़क एवं पुल निर्माण कंपनी से लेवी की मांग कर रही है। कुछ दिन पूर्व ही नक्सलियों ने नवादा जिला के कादिरगंज से खैरा तक एचएस 82 पर सड़क निर्माण करा रही मेसर्स गायत्री प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के मैनेजर से फोन पर लेवी की मांग की थी। पूर्व में भी संगठन खैरा थाना इलाके में पुल व सड़क निर्माण कराने वाली कंपनी से लेवी की राशि वसूल कर चुकी है। निर्माण कंपनी द्वारा लेवी की राशि नहीं देने पर मजदूरों के साथ मारपीट तथा उन्हें अगवा किए जाने की कई घटनाएं यहां घट चुकी है। नक्सलियों की अचानक बढ़ी सक्रियता से जहां निर्माण कंपनी के संवेद सकते में हैं, वही पुलिस की भी नींद हराम है।
स्थानीय लोगों की मानें तो सीआरपीएफ पुलिस के रहने से उनके मन से डर का माहौल समाप्त हो गया था। नक्सली भी इलाके से लगभग किनारे लग चुके थे। वैसे पुलिस अधिकारियों की मानें तो सीआरपीएफ की जगह गरही में बीएमपी पुलिस की तैनाती की गई है। इसके अलावा समय-समय पर सुरक्षा बलों द्वारा नक्सलियों के खिलाफ छापेमारी अभियान चलाया जाता है।