National Tourism Day 2022: 20 करोड़ होंगे ऐतिहासिक ऋषिकुंड, खड़गपुर झील और काली पहाड़ी पर खर्च, पर्यटन के मानचित्र पर दिखेंगी बिहार की ये धरोहर
National Tourism Day 2022 हर साल 25 जनवरी को राष्ट्रीय पर्यटन दिवस मनाया जाता है। बिहार की धरती पर्यटकों के लिए मशहूर है। ऐसे में हम बात करने जा रहे हैं योग नगरी मुंगेर की जहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं...
जागरण संवाददाता, मुंगेर : राष्ट्रीय पर्यटन दिवस- पर्यटन के मानचित्र पर जिले के कई धरोहर दिखेंगे। सरकारी स्तर पर इसकी कवायद शुरू कर दी गई है। दो जगहों के लिए राशि की स्वीकृति मिल गई है। पर्यटन स्थल बनने के बाद पर्यटकाें की संख्या में काफी इजाफा होगा। मुंगेर का नाम सूबे के पर्यटन वाले जिलों की सूची में शामिल होगा। सरकारी खजाना भरेगा। ऋषिकुंड और खड़गपुर झील के लिए 20 करोड़ की राशि भी स्वीकृत हो गई है। जल्द ही दोनों जगहों पर काम भी दिखने लगेगा। दरअसल, बरियारपुर प्रखंड स्थित ऋषिकुंड अब बिहार पयर्टन विभाग के नक्शे पर दिखेगा। पर्यटक स्थल का दर्जा मिलने के बाद न सिर्फ रोजगार के अवसर बढ़ेंगे बल्कि सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा।
ऋषिकुंड पहाड़ की तराई में स्थित है। पहाड़ से निकलने वाले अनवरत गर्म जल के श्रोत ऋषिकुंड की पहचान है। ठंड के दिनों में गर्म जल के कुंड में स्नान करने दूर दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। यहां प्रत्येक तीन वर्ष पर राजगीर और पुष्कर की तर्ज पर एक माह का मलमास मेला लगता है। पर्यटन क्षेत्र में बदलाव के लिए मुंगेर के सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह का अथक प्रयास आज रंग ला रहा है। ऋषिकुंड और खड़गपुर झील का काम जल्द शुरू होगा। पर्यटन के नक्शे पर जल्द ही मुंगेर दिखेगा।
7.5 करोड़ से संवरेगा ऋषिकुंड
गर्मकुंड के लिए प्रसिद्ध विभांडक मुनि सहित कई महान ऋषि-मुनियों की तपोस्थली, ऋषि श्रृंगी की जन्मस्थली, श्यामा चरण लाहिरी की का समाधि स्थल, बाबा भुजंगी दास महाराज की दीक्षा स्थली भी है। पहाड़ की तराई में स्थित ऋषिकुंड की दूरी मुंगेर मुख्यालय से 20 किलोमीटर है। सर्द मौसम का आनंद उठाने बड़ी संख्या में सैलानी पहुंचते हैं। ऋषिकुंड में सालों भर सैलानियों की भीड़ रहती है। ऋषि कुंड में गर्म जल का कुंड है, इसमें कई औषधीय गुण भी है। आसपास के लोग कुंड के जल का सेवन करते हैं। कुंड के जल में औषधीय गुण होने के कारण चर्म रोग व पेट संबंधी बीमारी दूर होने की बात यहां के ग्रामीण बताते हैं।
- - पर्यटन के मानचित्र पर दिखेंगे मुंगेर की कई धरोहरें
- -ऋषिकुंड, खड़गपुर झील और भीम बांधा का होगा कायाक्लप, मिल चुकी है स्वीकृति
- -पर्यटकों का होगा जुटान, बढ़ेगा का राजस्व, जिला प्रशासन ने शुरू कर दी कवायद
- -16 किमी दूर है जिला मुख्यालय से
- -38 किमी दूर है खड़गपुर झील मुंगेर से
- -63 किमी के आसपास है भीमबांध है
- -20 करोड़ रुपये दोनों जगहों पर होंगे खर्च
किला की खाई में नौका विहार
मुंगेर शहर की पहचान किला से है। किला के नीचे खाई में नौकाकायन की तैयारी है। जिलाधिकारी ने निरीक्षण भी किया है। खाई में नौकायान शुरू कराने कराने की तैयारी है। नमामि गंगे से मोटर वोट की शुरुआत किला के खाई में होने से विकास को पंख लगेंगे। मुंगेर विधायक इसके लिए पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव से मिलकर बात भी की है।
जमालपुर में नौकायान शुरू होने की उम्मीद
महाभारतकालीन जमालपुर की ऐतिहासिक काली पहाड़ी जल्द ही पर्यटन के मानचित्र पर दिखेगी। जिला प्रशासन की ओर से इसकी कवायद शुरू कर दी गई है। काली पहाड़ी में बनी नहर में नौका विहार होगा। नक्शा और भूमि सर्वे का काम शुरू हो गया है। काली पहाड़ी नहर व वाटर फिल्टर नहर में नौकायान की तैयारी है। जिला प्रशासन इसकी पूरी डीपीआर बनाकर पर्यटन विभाग को भेजेगा। प्राचीन काली पहाड़ी को पर्यटन स्थल का दर्जा मिलने के बाद जमालपुर में रोजगार का सृजन ही नहीं होगा, बल्कि सैकड़ों हाथों को रोजगार भी मिलेगा। सरकार के राजस्व में बढ़ोतरी होगी।
बदल जाएगी खड़गपुर झील की सूरत
हवेली खड़पुर झील पर सरकार की नजरें इनायत हो गई है। पहाड़ की मनोरम वादियां और झील को विकसित कर पर्यटन का दर्जा देने से सरकार का राजस्व बूम करेगा। सूबे के कई कैबिनेट मंत्री भी यहां की वादियों की तुलना नैनिताल से कर चुके हैं। 12.5 करोड़ से खड़गपुर झील का कायाक्लप होगा। हवेली खड़गपुर के पहाड़ और जंगल की दहलीज पर तथा घने जंगलों के बीच भीमबांध, रामेश्वर कुंड, भौरा कुंड, हाहा पंचकुमारी, ऋषिकुंड जैसी मनोरम वादियां को विकसित करने की जरूरत है।