Move to Jagran APP

राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस : मिट्टी, पानी, धूप, हवा और आकाश की करें रक्षा, स्वस्थ जीवन का यही है मंत्र

राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस प्राकृतिक चिकित्सा से सभी रोगों का इलाज संभव। प्राकृतिक चिकित्सा स्वस्थ जीवन बिताने की एक कला और विज्ञान है। विजातीय पदार्थों के जमा होने से ही होती है रोग की उत्पत्ति। प्रकृति की रक्षा भी करें।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Thu, 18 Nov 2021 11:21 PM (IST)Updated: Thu, 18 Nov 2021 11:21 PM (IST)
राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस : मिट्टी, पानी, धूप, हवा और आकाश की करें रक्षा, स्वस्थ जीवन का यही है मंत्र
राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस पर विशेष। प्रकृति सर्वशक्तिमान है।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। प्रकृति सर्वशक्तिमान है। मानव शरीर प्रकृति के पंचतत्वों से निर्मित है। मिट्टी, पानी, धूप, हवा और आकाश जैसे तत्वों से शरीर की सफाई व मरम्मत करना उचित है। प्राकृतिक चिकित्सा स्वस्थ जीवन बिताने की एक कला एवं विज्ञान है। यह ठोस सिद्वान्तों पर आधारित बिना दुष्प्रभाव के रोग निवारण पद्वति है। स्वास्थ्य, रोग तथा चिकित्सा सिद्वान्तों के संबंध में प्राकृतिक चिकित्सा के विचार अत्यंत मौलिक है।

loksabha election banner

गंगा धाम प्राकृतिक चिकित्सा महाविद्यालय के वैध देवेन्द्र कुमार गुप्त ने बताया कि वेदों, प्राचीन ग्रंथों में वर्णन है कि विजातीय पदार्थों के जमा होने से ही रोग की उत्पत्ति होती है, जिनकी प्राकृतिक जीवनी शक्ति कमजोर पड़ जाती है, उन्हें प्रकृति व अन्य तरीकों से शरीर के बाहर करती है, जिसे मौसमी रोग कहते हैं। इन्ही मौसमी रोग में गंदगी (विजातीय पदार्थ) को दबा देने पर असाध्य रोग होते हैं।

ये विजातीय पदार्थ अप्राकृतिक खान-पान, रहन-सहन, तनाव, सोने-जागने, कार्य करने व यौन संबंधी आचरण में विषमता करने से जमा होते रहते हैं। प्राकृतिक चिकित्सा व्यक्ति को उसके शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक तलों पर प्रकृति के रचनात्मक सिद्धांतो के अनुकूल निर्मित करने की एक पद्धति है। इसमें स्वास्थ्य संवर्धन, रोगों से बचाव, रोग निवारण और पुन स्थापना कराने की अपूर्व क्षमता है। रोग का मुख्य कारण जीवाणु नहीं है।

जीवाणु शरीर में जीवनी शक्ति के कमजोर होने पर विजातीय पदार्थों के जमाव होने पर ही आक्रमण कर पाते हैं, जब शरीर में उनके रहने और पनपने लायक अनुकूल वातावरण तैयार हो जाता है। अत: मूल कारण विजातीय पदार्थ है, जीवाणु नहीं। जीवाणु द्वितीय कारण है। प्रकृति स्वयं सबसे बड़ा चिकित्सक है। शरीर में स्वंय को रोगों से बचाने व अस्वस्थ हो जाने पर पुन: स्वास्थ्य प्राप्त करने की क्षमता विधमान है। इसमें केवल रोग की नहीं बल्कि रोगी के पूरे शरीर की होती है। मनुष्य के शरीर में स्वंय को रोग मुक्त करने को अपूर्व शक्ति है।

प्राकृतिक चिकित्सा में विभिन्न विधियां आहार चिकित्सा, उपवास चिकित्सा, मिट्टी चिकित्सा, जल चिकित्सा, मालिश चिकित्सा, सूर्य किरण चिकित्सा, वायु चिकित्सा, क्षेत्रीय वनौषधियां का बिना दुष्प्रभाव प्रयोग होता है, जिसमें मुख्य उपचार मिट्टी की पट्टी, मिट्टी का स्नान, सूर्य स्नान, गर्म और ठंडा सेक, कटी स्नान, मेहन स्नान, पैर-हाथ का गर्म सेंक, वाष्प स्नान, पूर्ण टब स्नान, रीढ़ स्नान सर्वांग गीली चादर लपेट, छाती की पट्टी, व घुटने की पट्टी, एनिमा, जलनेती, वमन, माथे की पट्टी, पेट की पट्टी रोगानुसार मालिश की क्रियाएं की जाती है। यह सरल सहज, उपचार की प्रक्रिया है, जिसे हमें जीवन में अपनानी चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.