राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस : प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति डोर टू डोर चलाया गया जागरुकता अभियान
राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति लोगों को आकर्षित करने के लिए आयुष मंत्रालय पूरी सक्रियता के साथ लोगों को जागरूक कर रहा है। कोरोना महामारी से बचने के उपाय भी प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में है।
किशनगंज, जेएनएन। राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस : भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की ओर से 18 नवंबर को प्राकृतिक चिकित्सा दिवस मनाया जाता है। 2018 में पहली बार राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान पुणे द्वारा मनाया गया था। इसी आयोजन की कड़ी में तृतीय राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के रूप में आज समाधान काया कल्प केंद्र, पिपरीथान के द्वारा मनाया जाएगा।
काेरोना वायरस से बचने की जानकारी दी गई
केंद्र के मुख्य संरक्षक व प्राकृतिक चिकित्सक डॉ. मंडेला सरजू ने बताया कि आयुष मंत्रालय अंतर्गत कार्य करने वाली राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान, पुणे के निर्देशानुसार मंगलवार को बेसरबाटी पंचायत के पिपरीथान में प्राकृतिक चिकित्सा के संबंध में डोर टू डोर जागरुकता अभियान चलाया गया। चौक-चौराहों व गांवों में आमजनों के बीच कोविड-19 के संक्रमण से बचने हेतु क्या करें और क्या नहीं करें की जानकारी दी गई। साथ ही यह भी बताया गया कि प्राकृतिक चिकित्सा से ही कोरोना जैसी महामारी को खत्म किया जा सकता है।
प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति पर करें विश्वास
डॉ. मंडेला सरजू ने बताया कि महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के तहत राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस-2020 के तहत 18 नवंबर को कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस वर्ष उक्त कार्यक्रम के माध्यम से रिटर्न टू नेचर यानि प्रकृति से जो लिया है, उसको वापस करने का अभियान का आयोजन पूरे देश में चलाया जाएगा। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से उपचार में बहुत विश्वास था। 18 नवंबर 1945 को उन्होंने ऑल इंडिया नेचर क्योर फाउंडेशन ट्रस्ट की स्थापना की थी। इसलिए देश में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने 18 नवंबर को प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है। प्राकृतिक चिकित्सा योग के प्रति जन जन को जागृत करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। मौके पर डॉ. नीलम सरजू, डॉ. सात्विक सरजू, ग्रामीण तेजनारायण यादव आदि मौजूद थे।