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श्रद्धांजलि : हिंदी के आलोचक नामवर सिंह का भागलपुर से भी रहा था गहरा संबंध, जानिए

हिंदी के जानेमाने आलोचक और साहित्यकार नामवर सिंह का 19 फरवरी 2019 को दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। 19 फरवरी को रात 11.52 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। वे बीमार थे।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 04:39 PM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 10:05 PM (IST)
श्रद्धांजलि :  हिंदी के आलोचक नामवर सिंह का भागलपुर से भी रहा था गहरा संबंध, जानिए
श्रद्धांजलि : हिंदी के आलोचक नामवर सिंह का भागलपुर से भी रहा था गहरा संबंध, जानिए

भागलपुर [जेएनएन]। हिंदी साहित्य के जानेमाने आलोचक और साहित्यकार नामवर सिंह दो बार भागलपुर आए थे। वे 20 नवंबर 1965 को विश्वविद्यालय में हिंदी के पाठ्यक्रम को ठीक कराने भागलपुर आए थे। उनके साथ खगेन्द्र ठाकुर भी थे। इसके बाद 1992 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग प्रायोजित राष्ट्रीय सेमिनार में भाग लेने मारवाड़ी कॉलेज आए थे। उन्होंने हिंदी शिक्षण विधि पर उद्घाटन भाषण दिया था।

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पीजी हिंदी के प्राध्यापक और डीन प्रो. बहादुर मिश्र ने बताया कि कॉलेज के प्राचार्य प्रो. विष्णु किशोर झा वेचन के आग्रह पर आए नामवर सिंह कहा था कि हिंदी साहित्य की कोई शिक्षण विधि नहीं हो सकती है। जिस तरह किताब पढ़कर कोई तैराक नहीं बन सकता है, उसी तरह नाटक, कविता, स्मरण, आलोचना, कहानी आदि के लिए शिक्षण विधि नहीं बल्कि प्रयोग जरूरी है। जिस प्रकार पानी में कूदकर ही कोई तैराक बन सकता है, ठीक उसी प्रकार प्रयोग करने के बाद ही हिंदी की रचना लिखी जा सकती है। सेमानार की प्रोसेडिंग खुद बहादुर मिश्र ने तैयार की थी और धन्यवाद दिया था। इसके बाद नामवर सिंह भगवान पुस्तकाल गए थे और आचार्य रामचंद्र शुक्ल पर व्याख्यान दिए थे।

उन्होंने कहा था 1929 में हिंदी का वैज्ञानिक इतिहास लिखने वाले शुक्ल की किताब को सभी हिंदी पढऩे वालों को पढऩा चाहिए। जिस प्रकार हिंदू गीता और रामायण पढ़ते हैं, उसी प्रकार हिंदी पढऩे वालों को शुक्ल जी की किताब पढऩी चाहिए। मैं भी प्रतिदिन आचार्य शुक्ल की दो से तीन पेज पढ़ता हूं। उन्होंने बताया कि नामवर सिंह पर लगातार शोध हो रहे हैं। प्रो. मिश्र के निर्देशन में रघुवर नामवर सिंह और राम विलास शर्मा पर आलोचना की दृष्टि से तुलनात्मक अध्ययन शोध कर रहे हैं।

गीतकार कवि राजकुमार ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि 'लोकतांत्रिक परंपरा के सच्चे संवाहक साहित्यिक जगत के नामवर कवि, कहानीकार, ललित निबंधकार, संपादक के साथ-साथ आचार्य महवीर प्र.द्विवेदी, रामचंद्र शुक्ल, नंद दुलारे वाजपेयी, हजारी प्र.द्विवेदी तथा रामविलास शर्मा के बाद डा. नामवर सिंह जैसे सर्वस्वीकृत आलोचना के प्रखर प्रकाश स्तंभ के चले जाने से हिन्दी जगत की अपूरणीय क्षति हुई है। जिसकी भरपाई करना संभव नहीं है।'

नहीं रहे हिंदी के जानेमाने आलोचक नामवर सिंह

हिंदी के जानेमाने आलोचक और साहित्यकार नामवर सिंह का 19 फरवरी 2019 को दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। वे 93 वर्ष के थे। बेटी समीक्षा ठाकुर ने बताया कि 19 फरवरी को रात 11.52 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। नामवर सिंह पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। इसी साल जनवरी में वे अपने आवास पर गिर गए थे। इसके बाद उन्हें एम्स के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था। चिकित्सकों के अनुसार नामवर सिंह को ब्रेन हेमरेज हुआ था। हालांकि वे खतरे से बाहर आ गए थे। उनकी हालत में सुधार हो रहा था। नामवर सिंह के परिवार के अनुसार दिल्ली के लोधी रोड स्थित श्मशान घाट में बुधवार को दोपहर बाद उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।


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