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जमुई के चंदमंडीह गांव में मशरूम की खेती से जिंदगी सवार रहे दंपती

कल तक आर्थिक तंगी से जूझ रहे जमुई के चंदमंडीह गांव निवासी मनोज दास आज मशरूम की खेती कर 30 से 35 हजार प्रतिमाह कमा रहे हैं। इस कार्य में उनकी पत्‍नी भी उन्‍हें मदद कर रही हैं।

By Amrendra TiwariEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2020 06:45 PM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 06:45 PM (IST)
जमुई  के चंदमंडीह गांव में मशरूम की खेती से जिंदगी सवार रहे दंपती
मशरूम की सफल खेती कर रहे जमुई चंदमंडीह गांव के मनोज दंपती

 जमुई, [अमित कुमार राय], कभी आर्थिक तंगी से परेशान रहने वाला मनोज अब अपनी पत्‍नी के साथ मशरूम की खेती से अपनी ङ्क्षजदगी सवार रहे हैं। चंद्रमंडीह गांव निवासी मनोज दास पूंजी के अभाव में किसी भी प्रकार का धंधा नहीं कर पा रहा था लेकिन इसी बीच कम पूंजी की व्यवस्था कर उसने अपने घर पर ही मशरूम का व्यवसाय शुरू किया जिसमें उसने अपनी पत्नी का भी भरपूर सहयोग लिया और आज वह प्रतिमाह 35 से 45 हजार कमाकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहा है। यही नहीं, मशरूम की खेती से मनोज और उसके स्वजन की जिंदगी संवर गई है।

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दो वर्ष पूर्व राजगीर में लिया था प्रशिक्षण

करीब दो साल पूर्व मनोज दास ने कृषि विभाग के एक अधिकारी के साथ मशरूम की खेती का प्रशिक्षण राजगीर में जाकर लिया था। जिसके बाद से मनोज के मन में मशरूम की खेती के प्रति इच्छा जगी लेकिन मनोज की इच्छा कुछ दिनों तक पूंजी के अभाव में दबी रही। हालांकि मनोज ने हार नहीं मानी और किसी तरह पांच हजार रुपया का इंतजाम कर राजगीर से बीज मंगाकर अपने घर पर ही मशरूम की खेती शुरु की। मनोज की इस मुहिम में उसकी पत्नी बबीता ने जी-जान से साथ दिया। मनोज बताते हैं कि नवंबर के दूसरे सप्ताह से मशरूम का उत्पादन अधिक होता है। हालांकि, यह सालों भर उगता है लेकिन जाड़े के मौसम में इसका उत्पादन अधिक होता है।

आठ सौ रुपये प्रतिकिलो बिकता है सूखा मशरूम

उन्होंने बताया कि उत्पादित कच्चा मशरूम बाजार में दो सौ रुपए किलो और सूखा आठ रुपए किलो बिक जाता है। मनोज ने बताया कि एक कमरे में रस्सी की मदद से झुलानामा ढांचा खड़ा किया जाता है। ढांचे में चार खाने तैयार करने होते हैं। ढांचे के चारों ओर धान की पराली खड़ा किया जाता है। ढांचे में पॉलिथीन की सीट बिछाई जाती है। सीट को भूसे से तैयार मटेरियल में कंपोस्ट मिलाकर बीज के साथ भरा जाता है और खेती प्रारंभ हो जाता है।

कम पूंजी में अधिक आमदनी

इसकी खेती से उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है। वे बताते हैं कि अन्य लोग भी मशरूम उत्पादन कर अपनी आमदनी अच्छी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कम पूंजी में भी मशरूम की खेती की जा सकती है और अच्छी कमाई हो सकती है। अगर ठीक-ठाक मशरूम का उत्पादन हुआ तो 35-50 हजार तक भी कमाया जा सकता है। युवा बेरोजगार कम पूंजी में मशरूम की खेती कर अपने आप को आत्मनिर्भर कर सकते हैं।


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