मुंगेर पंचायत चुनाव 2021: मुखिया बनने के लिए छोड़ी इंजीनियरिंग की नौकरी, कूद पड़े चुनावी दंगल में, बोले-गांव का करेंगे विकास
मुंगेर पंचायत चुनाव 2021 सदर प्रखंड के शंकरपुर पंचायत से मुखिया का चुनाव लड़ रहे सूरज यादव। मुंगेर और भागलपुर में पढ़ाई करने के बाद गुजरात कर गए थे शिफ्ट। सूरज ने कहा कि गांव का विकास करने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया है।
संवाद सूत्र, मुंगेर। सदर प्रखंड के शंकरपुर के रहने वाले सूरज यादव पेशे से सिविल इंजीनियर हैं। इनकी कहानी औरों से थोड़ा अलग है। सूरज यादव का पूरा समय इनका गुजरात में गुजर गया। अच्छी खासी नौकरी थी, पंचायत चुनाव आया तो इन्होंने पंचायत की तस्वीर बदलने की ठान ली। इन्होंने गुजरात ही नही छोड़ा बल्कि मोटी पगार वाली सिविल इंजीनियर की नौकरी से इस्तीफा दे दिया और चुनावी समर में कूद गए।
साल में इन्हें मोटी पगार मिलती थी। वह अब शंकरपुर पंचायत से मुखिया बनने के लिए जनता के बीच पहुंच गए हैं। गुजतार में सिविल इंजीनियर होने के कारण बड़ी-बड़ी इमारतें बनाने वाले सूरज गांव और पंचायत को समृद्ध करेंगे। सदर प्रखंड के शंकरपुर पंचायत से मुखिया पद के लिए चुनाव लड़ रहें है। इनके हौसले को देख गांव में लोग धीरे-धीरे इनके साथ हो रहे है। मुंगेर डीजे कालेज से स्नातक करने के बाद भागलपुर चले गए। वहां रहकर इंजीनियरिंग की तैयारी करने के बाद सिविल इंजीनियर बने।
देश की प्रसिद्ध कंपनी में इनका सेलेक्शन हुआ, उसी कंपनी में नौकरी कर ली। इनका मानना है कि सरकार की जो वो सभी कल्याणकारी योजनाएं चल रही उसका पूरा लाभ हर को मिले। उन्होंने बताया कि अपनी सारी चीजों को छोड़कर गांव लौट गए हैं, गांव वालों के साथ खड़ा हूं। इससे पहले बीस वर्षो तक इनके पिता ने मुखिया रहकर गांव को विकसित करने का काम किया। सूरज यादव की पत्नी भी स्नातक पास हैं। बच्चों ने भी खासी डिग्री ले रखी है। इनका कहना है कि जनता ने साथ दिया तो पति और पत्नी मिलकर गांव के विकास में हाथ बटाएंगे।
बरियापुर में प्रत्याशियों ने जीत की आस में खूब किए खर्च
चुनाव आयोग की ओर से खर्च की सीमा तय करने के बाद भी कई प्रत्याशियों ने खूब खर्च किए। जीत की आस में पुराने और नए प्रत्याशियों ने पैसे लुटाए। यहां के लोगों की मानें तो चुनाव के बाद क्षेत्र का विकास हो या नहीं, लेकिन पंचायत चुनाव में प्रखंड के कई गांव के मंदिरों का पूर्ण विकास हुआ है। चुनाव के पूर्व जिस मंदिर में गेट, टाइल्स लगाकर कायाकल्प ग्रामीणों ने प्रत्याशियों की सहयोग से किया। चुनाव बाद इसकी चर्चा पूरे प्रखंड में हो रही है। ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव में उतरने के पहले प्रत्याशी विभिन्न मंदिरों में पूजा अर्चना करते हैं तथा चुनाव जीतने के बाद जीते हुए प्रत्याशी मंदिर पहुंचते हैं।