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नक्सलियों से आज भी कांपता है मुंगेर प्रमंडल, डेढ़ दशक में कई जनप्रतिनिधि की हत्या

मुंगेर प्रमंडल के जिलों में नक्‍सलियों का आतंक कायम है। नक्सलियों के निशाने पर रही है गांव की सरकार कई जनप्रतिनिधियों की गई है जान। नक्सलियों की बात या फरमान नहीं मानने वालों को जान से धोना पड़ता है हाथ।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Fri, 24 Dec 2021 05:37 PM (IST)Updated: Fri, 24 Dec 2021 05:37 PM (IST)
नक्सलियों से आज भी कांपता है मुंगेर प्रमंडल, डेढ़ दशक में कई जनप्रतिनिधि की हत्या
मुंगेर प्रमंडल में नक्‍सलियों का आतंक कायम है।

मुंगेर [रजनीश]। मुंगेर प्रमंडल से नक्सलियों के पांव उखडऩे के बजाय जमते जा रहे हैं। यहां आज भी नक्सलियों का लाल आतंक कायम है। इनका फरमान नहीं मानने वाले मौत के घाट उतार दिए जाते हैं। अपने आतंक से पंचायत की सरकार मुट्ठी में कर रखा है। जो पंचायत प्रतिनिधि इनकी बात नहीं मानते उसका सिर कलम कर देते हैं। प्रमंडल में बीते 10 से 15 वर्षों में कई मुखिया, पंचायत समिति सदस्य नक्सलियों के हाथों मारे जा चुके हैं। एक तरह से कहें तो नक्सल प्रभावित इलाकों में गांव की सरकार नक्सलियों की हुकूमत चल रही है। नक्सलियों का पंचायत और गांव में सिक्का जमा है।

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गुरुवार की रात धरहरा प्रखंड के मथुरा गांव में अजीमगंज पंचायत के नवनिर्वाचित मुखिया परमानंद टुड्डू का नक्सलियों ने सर कलम किया है, उससे प्रमंडल के मुंगेर, लखीसराय और जमुई जिले के जनप्रतिनिधयों में दहशत है। नक्सली प्रमंडल में पहले भी इस तरह की घटना को अंजाम दे चुके हैं। इतनी निर्मम हत्या, इतना विभत्स मंजर, क्या पुलिस या प्रशासन को इस बात का जरा सा अंदाजा नहीं था कि चुनाव खत्म होने के बाद नक्सली फिर से एक्टिव हो जाएंगे? परमानंद टुड्डू हत्याकांड कई सवाल अपने पीछे छोड़कर जा रहा है। दरअसल, परमानंद टुड्डू की तरह ही नक्सलियों ने धरहरा प्रखंड में वर्ष 2007 के जुलाई माह में बंग्लवा पंचायत के सतघरवा टिलहाटांड के दो लोगों की पुलिस मुखबिरी का आरोप लगाकर सिर को धड़ से अलग कर दिया था। धरहरा प्रखंड हमेशा नक्सलियों की लाल सलाम से तबाह रहा है। यहां नक्सलियों एक दर्जन से ज्यादा हत्या कर चुके हैं। लखीसराय जिले में 2007-08 के बीच खैरा के मुखिया साधुशरण यादव को नक्सलियों ने मौत के घाट उतार दिया था।

खडग़पुर में आज भी चलती है समानांतर सरकार

हवेली खडग़पुर क्षेत्र में भी 23 फरवरी 2004 में नक्सलियों ने दरियापुर टू पंचायत के तत्कालीन मुखिया अरुण यादव की निर्मम हत्या कर दी थी। 11 मार्च 2009 को खडग़पुर के शिवपुर लौगांय में दरियापुर टू पंचायत के मुखिया के पुत्र वरुण पासवान की गला रेत कर हत्या हुई। 22 मार्च 2018 को दरियापुर टू पंचायत के मुखिया भोला प्रसाद वर्मा और उनके पुत्र शंभू वर्मा का अपहरण नक्सलियों ने किया था। 13 जनवरी 2019 को पोखरिया गांव के पूर्व प्रखंड प्रमुख पति राकेश कुमार उर्फ नारद और उनके भतीजे पुरुषोत्तम कुमार का अपहरण किया गया था।

जमुई में कई मुखिया की जान ले चुके हैं नक्सली

नक्सल प्रभावित जमुई जिले में नक्सलियों के निशाने पर शुरू से ही मुखिया और पंचायत प्रतिनिधि रहे हैं। चुनावी रंजिश में हत्या की पहली वारदात 2001 में मिर्जागंज पंचायत के तत्कालीन मुखिया रामचंद्र गुप्ता की हत्या सोए हुए अवस्था मे धारदार हथियार से हत्या से हुई थी। 2003 में खैरा थाना क्षेत्र के रोपावेल पंचायत के मुखिया रहे गोपाल साव सहित तीन की नक्सलियों ने गला रेत हत्या कर दी थी। इसी साल पैरामटिहाना पंचायत के मुखिया शत्रुध्न ङ्क्षसह की नक्सलियों ने गला रेत कर दी थी। 2007 में सोनो क बाबूडीह पंचायत के मुखिया अशोक दास की नक्सलियों ने कर दी थी। अब तक लगभग दर्जनभर मुखिया व पंचायत प्रतिनिधि की हत्या नक्सलियों और अपराधियों ने की है। कहीं वर्चस्व की जंग तो कहीं नक्सलियों ने मुखिया को निशाना बनाया है।

बांका में हो चुका है खूनी खेल

बांका जिले में 2002 में बसमाता पंचायत के मुखिया भोला प्रसाद यादव की नक्सलियों ने हत्या की है। निमियां पंचायत के मुखिया नूतन देवी के पति कृष्णानंद ङ्क्षसह की हत्या 2013 में नक्सलियों ने कर दी थी। 2006 में तेलियाकुमारी पंचायत के मुखिया अनिल यादव का जमनी दुहबा गांव में महिला नक्सली दस्ता ने की थी। लौढिय़ा पंचायत के मुखिया प्रह्लाद उर्फ पप्पू साह की हत्या 2012 में नक्सलियों ने दर्शनियां स्कूल के पास कर दी थी।

धरहरा की घटना के बाद विशेष अभियान चलाने पर रणनीति तैयार की जा रही है। नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। प्रमंडल स्तर पर हर जिले में ज्वाइंट आपरेशन चलेगा। तीनों जिले की पुलिस मिलकर अभियान चलाएंगे। -कुणाल कुमार, एएसपी अभियान।


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