Death of Mridula Sinha : लखीसराय के इसी स्कूल से मृदुला सिन्हा ने पूरी की थी माध्यमिक शिक्षा, कहा था-मैं एक नहीं, हजारों बच्चों की मां...
Death of Mridula Sinha लखीसराय के बालिका विद्यापीठ आवासीय विद्यालय से वर्ष 1958 में मृदुला सिन्हा ने माध्यमिक शिक्षा पूरी की थी। उनके निधन की खबर सुनकर यहां शोक का माहौल है। वह बालिका विद्यापीठ ट्रस्ट की 15 वर्षों से अधिक समय से अध्यक्ष थीं।
लखीसराय [मृत्युंजय मिश्रा]। Death of Mridula Sinha :वर्ष 2016 में अंतिम बार लखीसराय पहुंचीं मृदुला सिन्हा ने कहा था - मैं एक नहीं हजारों बच्चों की मां हूं। देश-विदेश के किसी भी कोने में जाती हूं, मेरे मन के एक कोने में हमेशा बालिका विद्यापीठ का अनुशासन और मनोरम दृश्य मुझे किताबों के पन्ने से जोड़े रखता है। मैं अंतिम सांस तक नारी शिक्षा एवं समाज सेवा के साथ साहित्य के विकास के लिए शंखनाद करती रहूंगी।
प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा यहीं हुई थी पूरी
अब मृदुला सिन्हा नहीं रहीं। 18 नवंबर दिन बुधवार को देश की राजधानी दिल्ली में उन्होंने सदा के लिए अपनी आंखें बंद कर ली। यह कम ही लोग जानते हैं कि 27 नवंबर 1942 को मुजफ्फरपुर में जन्मी मृदुला सिन्हा की प्रारंभिक एवं माध्यमिक शिक्षा लखीसराय में हुई थी।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने की थी स्कूल की स्थापना
महात्मा गांधी की प्रेरणा से देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद एवं ब्रजनंदन शर्मा बाबू जी द्वारा स्थापित प्रसिद्ध आवासीय नारी शिक्षण संस्थान बालिका विद्यापीठ में आवासीय शिक्षा पूरी करके वे यहीं से वर्ष 1958 में मैट्रिक की परीक्षा पास की थीं। यहां के बाद उन्होंने अन्य शहरों में रहकर आगे की पढ़ाई की।
पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल सिंह से हुई थी शादी
केंद्र में मोरारजी देसाई सरकार के मंत्री रहे रामकृपाल ङ्क्षसह से उनकी शादी हुई। साहित्य एवं समाज सेवा को उन्होंने अपने जीवन का पथ बनाया। अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में वे केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष रहीं जबकि नरेंद्र मोदी सरकार द्वार उन्हें गोवा का राज्यपाल (2014-2019) बनाया गया।
पूरे जीवन जुड़ी रहीं बालिका विद्यापीठ से
ङ्क्षहदी की प्रकांड विद्वान एवं लेखिका मृदुला सिन्हा सामाजिक पत्रिका पांचवां स्तंभ की संपादक भी थीं। अपने पूरे जीवन काल में वे बालिका विद्यापीठ, लखीसराय से खुद को दूर नहीं कर सकीं। जब टेलीफोन और मोबाइल का जमाना नहीं था उस समय भी उनका पत्र बराबर बालिका विद्यापीठ को मिलते रहता था।
2016 में आई थीं आखिरी बार लखीसराय
विगत 15 वर्षों से अधिक समय से वह बालिका विद्यापीठ को संचालित करने वाली ट्रस्ट की अध्यक्ष थीं। अंतिम बार वह गोवा के राज्यपाल रहते वर्ष 2016 में बालिका विद्यापीठ लखीसराय पहुंची थीं। परिसर में प्रवेश करते ही तमाम सुरक्षा व्यवस्था को तोड़कर वह अपने गुरुकुल की माटी को हाथ से स्पर्श करके प्रणाम किया था। उन्होंने उस समय कहा था कि मैं इस संस्थान को अपना अभिभावक समझती हैं। यहां आकर आज भी मुझे अपना बचपन याद आता है और अधूरे ज्ञान को हासिल करने का मन करता है।
सदमें में पूरा विद्यालय परिवार
बालिका विद्यापीठ की सचिव सुगंधा शर्मा एवं मुख्य प्रशासनिक अधिकारी आलोक राज ने मृदुला सिन्हा के असामयिक निधन को अपूरणीय क्षति बताया है। कहा कि अभी कुछ दिन पहले ही उनसे सुखद वार्ता हुई थीं। यकीन नहीं हो रहा है कि वे हमलोगों के बीच नहीं रहीं। मन व्यथित है। उनका निधन बालिका विद्यापीठ लिए क्षति है जिसकी भरपाई निकट समय में संभव नहीं है। इस गुरुकुल का अभिभावक सदा के लिए उठ गया।