15 महीने से कागजों पर चालू हो रहा एमआरआइ
अस्पताल में धरातल पर कुछ नहीं दिख रहा है। जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय में कुछ ऐसी ही बानगी 15 महीने से देखने को मिल रहा है।
भागलपुर। स्वास्थ्य सुविधाओं में बढ़ोत्तरी सिर्फ घोषणाएं तक रह गई है। अस्पताल में धरातल पर कुछ नहीं दिख रहा है। जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय में कुछ ऐसी ही बानगी 15 महीने से देखने को मिल रहा है। मामला एमआरआइ (मैगनेटिक रिजोनेंस इमेजिंग मशीन) की स्थापना की है। इसे अस्पताल में स्थापित करने के लिए चार बार निविदा निकाली गई, अस्पताल प्रबंधन ने कई बार कागज पर ही चालू होने की घोषणा कर दी है। लेकिन अभी तक मशीन का एक पार्ट ही इंस्टॉल किया गया है। अस्पताल से रोजाना चार से पांच मरीजों को एमआरआइ जांच कराने के लिए पटना या फिर दूसरे शहरों का रूख करना पड़ता है।
जेएलएनएमसीएच में एमआरआइ मशीन लगाने की कवायद वर्ष 2017 के जनवरी से ही शुरू हुई थी। जनवरी से लेकर सितंबर के बीच चार बार निविदा निकाली गई। लेकिन हर बार कुछ न कुछ तकनीकी पेच में फंस जाने के कारण मशीन लगाने की तारीख बढ़ता चला गया। इसके बाद अधीक्षक और प्राचार्य ने स्वास्थ्य विभाग से लोकल स्तर पर मशीन लगाए जाने की अनुमति ली थी।
बीते पांच सितंबर को प्राचार्य और अधीक्षक की हुई बैठक में हर हाल में दिसंबर तक एमआरआइ मशीन लगाने को लेकर बात कही गई थी। 21 सितंबर को निविदा भरने की तारीख भी तय हुई थी। कोलकाता की एक कंपनी ने निविदा भी भरी। फिर एक बार पेच फंस जाने से इसे भी टाल दिया गया। इसके बाद दिसबंर में बंगलुरु की कंपनी को मशीन लगाने के लिए राजी किया गया।
पीजी की मान्यता को लेकर चल रही थी तैयारी
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की टीम दिसंबर के अंत तक मशीन लगाने का निर्देश दिया था। मशीन लगने पर ही पीजी विभाग के भाग्य का फैसला होना था। इसलिए अस्पताल और कॉलेज प्रशासन ने दिसंबर तक हर हाल में मशीन स्थापित करने के लिए लगातार बाहरी कंपनियों से संपर्क किया और निविदा निकाली। जनवरी तक हर हाल में मशीन स्थापित करने की घोषणा हुई थी। लेकिन अभी स्थिति यह है कि जून से पहले मशीन चालू नहीं हो सकेगा।
बाहर जाने से मिलेगी छुटकारा
एमआरआइ की सुविधा शुरू होने के बाद प्रमंडल के मरीजों को काफी सहूलियत होगी। साथ ही भागलपुर के आसपास जिलों के लोगों को भी फायदा होगा। अभी जेलएनएमसीएच में एमआरआइ की सुविधा नहीं होने से क्षेत्र के मरीजों को पटना का या दूसरे जगह रूख करना पड़ता है। अब जब यह सुविधा शुरू होगी, तो मरीजों को पटना जाने के झझट से निजात मिल जाएगी।
क्या है एमआरआइ
ज्यादातर एमआरआइ मशीन एक लंबे ट्यूब की भाति दिखता है। जिसमें एक बड़ा सा चुंबक लगा रहता है। एमआरआइ के दौरान मरीज को टेबल पर लिटाकर एमआरआइ स्थान पर ले जाता जाता है। जिस अंग का एमआरआइ करवाना होता है, टेक्नीशियंस उस खास अंग पर क्वाइल लपेट देते हैं। इसका प्रयोग दिमागी बीमारी को पकड़ने, स्पोटर्स इंज्यूरी, मस्कोस्केलेटल समस्या, स्पाइनल समस्या, बस्कूलर समस्या, फिमेल पेलविक समस्या, प्रोस्टेट समस्या, गैस्ट्रो समस्या और इएनटी की समस्या को जानने में किया जाता है।
इस संबंध में जेएलएनएमसीएच के अधीक्षक आरसी मंडल ने बताया कि अस्पताल में एमआरआइ लगाने की कवायद शुरू कर दी गई है। मशीन का कुछ हिस्सा इंस्टॉल कर लिया गया है। जून तक हर हाल में मशीन चालू कर दिया जाएगा।