कोसी-सीमांचल में रुक जाएगा पलायान, 'एक चैनल' से हजारों लोगों को मिलेगा रोजगार, सरकार को उठाना होगा ये कदम
कोसी और सीमांचल में एक चैनल से हजारों लोगों को रोजगार मिल सकता है। साथ ही इस क्षेत्र से पलायान भी रुक सकता है। इसके लिए सरकार को प्रयास करना होगा। स्थानीय किसानों ने इस संबंध में कई बार...
संवाद सूत्र, सरायगढ़ (सुपौल)। कोसी-सीमांचल में एक चैनल के माध्यम से हजारों लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है। साथ ही इस क्षेत्र से पलायान को भी रोका जा सकेगा। अभी यहां के लोग बड़ी संख्या में रोजी-रोजगार के लिए दूसरे राज्यों की ओर रुख कर रहे हैं। इसके लिए सरकार को पहल करना होगा।
दरअसल, सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड क्षेत्र में कोसी पूर्वी तटबंध के 17 वें किलोमीटर पर एक चैनल की खदाई नहीं होने से हजारों एकड़ जमीन बंजर बनी हुई है। चैनल के बन जाने से कल्याणपुर, सदानंदपुर, पिपराखुर्द, पुरानी भपटियाही, गढिय़ा, सरायगढ़, गंगापुर, चिकनी, चांदपीपर, अंदौली, बैजनाथपुर, थरिया, थरबिटिया, रतनपुरा के लोगों की उपजाऊ जमीन सीपेज से मुक्त हो जाएगी।
अभी सिमरी गांव से थरिया गांव तक बाढ़ और सुखाड़ में जलजमाव रहता है। बरसात के दिनों में तो वहांं 03 से 04 फीट तक पानी बहता है। जलजमाव के कारण सुखाड़ में भी ऐसे खेतों में बहुत कम ही जगह पर लोग फसल लगा पाते हैं। उस पर उनकी कटनी का समय आने तक खेतों में सीपेज का पानी भर जाता है। कुछ वर्ष पूर्व सीपेज के पानी से बने इस गंभीर समस्या के निदान के लिए सदानंदपुर गांव के पास कोसी पूर्वी तटबंध से सुपौल उपशाखा नहर के आगे घाघर नदी तक चैनल खोदाई हेतु डीपीआर बनाने की चर्चा हुई थी लेकिन उस दिशा में कोई काम नहीं हुआ।
सरायगढ़-भपटियाही, किशनपुर तथा सुपौल प्रखंड के कुछ हिस्सों के लिए सीपेज वर्षो से अभिशाप बना हुआ है। इन गांवों के वैसे लोग जिनकी जमीन इस जल जमाव वाले क्षेत्र में पड़ती है वे खेती नहीं कर पाते और रोजी-रोटी के लिए उनका अन्य प्रदेशों को जाना मजबूरी है। अगर चैनल बन जाए तो यह पलायन की राह रोक सकती है।
किसान हैं बेहाल
पूर्वी कोसी तटबंध के सटे क्षेत्र में जितने लोगों की जमीन से सीपेज का पानी बहता है वे लंबे समय से बेहाल हैं। जमीन रहने के बावजूद सैकड़ों किसान अपने खेतों में फसल नहीं लगा पाते। सुखाड़ के समय जब खेतों में मूंग, धान, पाट, गरमा धान लगाते भी हैं तो कटाई के समय तक पानी भर जाता है और किसान फसल अपने घर नहीं ले जा पाते हैं। हालात यह है कि सीपेज प्रभावित खेतों में न तो मछली पालन हो पाता है और ना ही कोई दूसरी खेती।
यदि कहीं मछली पालन किया भी जाता है तो वह सारी मछली पानी की तेज धारा में बह जाती है। सीपेज के पानी से सबसे बड़ी परेशानी भपटियाही, कल्याणपुर, सरायगढ़, चांदपीपर, जरौली, कुलीपट्टी, कुसहा आदि गांव में देखने को मिल रही है। खेती पर निर्भर रहने वाले लोग अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए मजबूरी में पलायन करते हैं।
बने चैनल तो मुक्त हो जाएगी जमीन
कोसी पूर्वी तटबंध के गोपालपुर गांव समीप से भपटियाही गांव तक निकल रहे सीपेज के पानी का समाधान कब होगा इस बारे में लोगों को कोई जानकारी नहीं मिल रही है। सदानंदपुर गांव के पप्पू कुमार, सूर्यनारायण मेहता, भपटियाही गढिय़ा के मुनर मेहता, सुखदेव प्रसाद यादव, सरायगढ़ वार्ड नंबर 15 निवासी सत्यनारायण मुखिया, रामसुंदर मुखिया चांदपीपर गांव के लक्ष्मी मंडल, अरुण कुमार यादव, मु. फरमूद आलम, कुशहा गांव के अशोक कुमार यादव, अजय कुमार, प्रमोद कुमार, बैजनाथपुर गांव के ब्रह्मदेव प्रसाद यादव, विपिन कुमार यादव, अंदौली गांव के शफीउर रहमान आदि कहते हैं कि इतनी बड़ी समस्या के प्रति प्रशासन तथा सरकार के लोग उदासीन बने हुए हैं। सीपेज के कारण हजारों परिवार प्रभावित हैं लेकिन एक चैनल की खोदाई की दिशा में कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है जो दुखद है। लोगों का कहना है कि पूर्वी कोसी तटबंध के 17 किलोमीटर समीप चैनल खुदाई होने से सीपेज का पानी घाघर नदी में गिरेगा और फिर सभी किसानों की जमीन सीपेज से मुक्त हो जाएगी।