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बांग्लादेश से रेल संपर्क बहाल होने से मक्का और मखाना किसानों को होगा लाभ

किशनगंज का बांग्‍लादेश से रेल संपर्क हो जाने के बाद यातायात सुविधा और सहज हो जाएगा। यहां के किसानों को मक्का मखाना जूट चाय चावल और गेहूं की बढ़ेगी मांग। किसानों को बड़ा बाजार मिल जाने से उत्‍पाद का बेहतर बाजार मूल्‍य मिलेगा।

By Amrendra kumar TiwariEdited By: Published: Sat, 02 Jan 2021 12:32 PM (IST)Updated: Sat, 02 Jan 2021 12:32 PM (IST)
बांग्लादेश से रेल संपर्क बहाल होने से मक्का और मखाना किसानों को होगा लाभ
अनाज की मांग बढऩे से किसानों को होगा अधिक मुनाफा

किशनगंज, [अमितेष ] । 55 साल बाद भारत के हल्दीबाड़ी और बांग्लादेश के चिल्हाटी के बीच रेल सेवा शुरू होने से सीमांचल का अब बांग्लादेश से सीधा रेलसंपर्क बहाल हो गया है। इसका सीधा लाभ सीमांचल के किसानों को मिलेगा। खासकर मखाना, मक्का, जूट, चाय, गेहूं और चावल की मांग अधिक होने से सीमांचल के किसान अब अपना उपज सीधा बांग्लादेश निर्यात कर पाएंगे। सीमांचल में अनुमान के मुताबिक 20 हजार टन मखाना, 50 हजार टन मक्का और पांच हजार टन चाय का उत्पादन हो रहा है। हल्दीबाड़ी-चिल्हाटी रेल ङ्क्षलक बहाल होने से अनाज की मांग भी बढ़ेगी और किसानों को मुनाफा भी अधिक होगा।

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दरअसल हल्दीबाड़ी-चिल्हाटी रेल लिंक के शुरूआत होने से यह रेलसंपर्क किशगनंज होकर शुरू हो चुका है। 55 साल बाद शुरू हुआ यह रूट न सिर्फ बांग्लादेश बल्कि भूटान, म्यांमार आदि पूर्वोत्तर के देशों के लिए गेट वे बन जाएगा। इस नए रेल ङ्क्षलक की वजह से बांग्लादेश की दूरी कम होगी। जिससे सीमांचल के रास्ते पूर्वोत्तर के देशों के साथ कृषि आधारित व्यापार को गति मिलेगी। सीमांचल समेत पूरे कोसी के इलाके में बड़े पैमाने पर हो रहे मक्का, मखाना, जूट, गेहूं, चावल, केला, आलू और चाय जैसे उत्पादों की मांग अब बांग्लादेश में मांग पहले की अपेक्षा बढ़ेगी। जिससे कोसी जोन के इस इलाके में कृषि और कृषि आधारित संकाय व व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए एक नया रास्ता भी खुलेगा। इससे कृषि उत्पदान के क्षेत्र में रोजगार सृजन का भी असवर बढ़ेगा।

2020 में पूर्णिया के गुलाबबाग मंडी से 10 हजार टन मक्का बांग्लादेश भेजा गया है। बिहार के किशनगंज स्टेशन, बंगाल के दालकोला व सूर्यकमल समेत अन्य स्टेशनों से हर साल 50 से अधिक मक्का का रैक बांग्लादेश भेजा जा रहा है। इसके अलावा सड़क मार्ग से भी मक्का, मखाना, जूट, गेहूं, चावल आदि भेजे जाते हैं। बांग्लादेश फिलहाल असम से चाय खरीद रहा है, लेकिन यह रूट शुरू होने से किशगनंज में उत्पादित हो रहे चाय भी भेजे जा सकेंगे। इसके अलावा कोसी सीमांचल में बड़े पैमाने पर हो रहे मखाना की भी मांग बढ़ेगी। फिलहाल सड़क मार्ग से मखाना भेजा जा रहा हैै।

बांग्लादेश के फूड हैबिट को आधार मानकर भोला पासवान शास्त्री कृषि कॉलेज पूर्णिया के मखाना अनुसंधान परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. अनिल कुमार बताते हैं कि प्याज और लहसुन के अलावा मक्का, चावल, गेहूं, जूट, चाय के साथ-साथ मखाना की मांग अधिक है। बांग्लादेश समेत पूर्वोत्तर देशों की मांग के अनुसार कोसी-सीमांचल के किसानों के लिए अब यह रेल संपर्क एक बेहतर विकल्प बनेगा। उन्होंने भोला पासवान शास्त्री कृषि कॉलेज के द्वारा 27 सितंबर 2019 को कराए गए अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का जिक्र करते हुए कहा कि उक्त वेबिनार में शिरकत कर रहे ढाका यूनिवर्सिटी के एक्वा कल्चर के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बिनय कुमार चक्रवर्ती ने मखाना उत्पदान में गहरी रुचि दिखाई थी। जिसमें बताया गया कि बांग्लादेश में बेकार जलजमाव क्षेत्र अधिक है बावजूद मखाना भारत से आयात करना पड़ता है। इसलिए हमें भारत के साथ मिलकर मखाना उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशाा में कदम बढ़ाना होगा। 


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