मरौना पीएचसी का हाल : संसाधनों और स्वास्थ्य कर्मियों की कमी से जूझ रहा अस्पताल, पड़ोसी जिले से भी इलाज के लिए पहुंचते हैं लोग
सुपौल के मरौना पीएचसी में संसाधनों की भारी कमी है। साथ ही यहां पर स्वास्थ्य कर्मियों की भी कमी है। एक लाख 80 हजार लोगों के स्वास्थ्य का जिम्मा संभाले कोसी नदी के पेट में बसे मरौना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को खुद इलाज की जरूरत है।
सुपौल [मनोज कुमार]। व्यवस्था में परिवर्तन की लाख बात कर ली जाए परन्तु कोसी तटबंध के अंदर की सेहत पर इसका कोई खास प्रभाव नहीं दिखता। एक लाख 80 हजार लोगों के स्वास्थ्य का जिम्मा संभाले कोसी नदी के पेट में बसे मरौना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को खुद इलाज की जरूरत है। एक तो यहां सृजित पद के मुताबिक चिकित्सक नहीं हैं। वहीं कर्मियों की कमी के कारण उत्तम स्वास्थ्य सेवा देने का दावा महज दिखावा है। उसमें भी तब जब एक तरफ सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने का ढिढ़़ोरा पीट रही है और दूसरी तरफ कोरोना संक्रमण से हाय-तौबा मचा है। इस पीएचसी में ए ग्रेड नर्स से लेकर महिला चिकित्सक, ड्रेसर, कंपाउंडर आदि जैसे महत्वपूर्ण पद खाली पड़े हैं।
ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां किस स्तर का इलाज मरीजों को मिलता होगा। मरौना प्रखंड जिले के पश्चिमी सीमा पर अवस्थित है। जो तीनों ओर से नदियों से घिरा हुआ है। जहां के लोगों के लिए उक्त स्वास्थ्य केंद्र पीएमसीएच से कम नहीं है। परंतु लोगों का यह भ्रम तब टूट जाता है जब वे इलाज को केंद्र पहुंचते हैं। वहां उन्हें परामर्श तक नहीं मिल पाता है। कहने को तो यहां स्वास्थ्य कर्मियों का एक लंबा पद सृजित है। परंतु अधिकांश पद पर या तो कर्मी ही नहीं है या फिर सृजित पद के अनुकूल कम ही तैनात हैं। ऐसे में यहां के लोगों को स्वास्थ्य सेवा के लिए अन्य जगहों का रूख करना पड़ता है। खासकर प्रसव की व्यवस्था यहां काफी लचर बनी हई है। एक तो महिला डाक्टर नहीं है और ए ग्रेड नर्स का पद सृजित रहने के बावजूद भी इनकी पदस्थापना यहां नहीं हुई है। खासकर स्वास्थ्य कर्मियों के कमी का खामियाजा यहां के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। इधर विभाग है कि सब कुछ जानते हुए भी अनजान बना बैठा है।
डॉक्टर और कर्मियों का अभाव
अस्पताल में प्रतिदिन लगभग 150 की संख्या तक मरीज आते हैं। 15 से 20 मरीज प्रसव के लिए, जबकि 15 से 20 के करीब बच्चे प्रतिदिन आते हैं। डॉक्टर एवं संसाधनों के अभाव के चलते अधिकांश मरीजों को सही से इलाज नहीं हो पाता है। वर्तमान में डॉक्टर के 13 सृजित पद में मात्र 07 पदस्थापित, एएनएम के 52 सृजित पद के विरुद्ध 52, पांच लैब टेक्नीशियन के स्थान पर एक पदस्थापित, एक फार्मासिस्ट एवं एक ड्रेसर का पद रिक्त है। महिला रोग विशेषज्ञ भी एक पद है जो खाली है। शिशु रोग विशेषज्ञ का पद खाली है। बीसीएम आदि कई ऐसे अहम पद हैं जो वर्षों से खाली हैं। जिसके चलते अधिकांश अस्पताल पहुंचे मरीजों को प्राथमिक उपचार भी सही तरीके से संभव नहीं हो पाता है।
बीमार एंबुलेंस की बदौलत चलता है पीएचसी
अस्पताल में कहने के लिए तो एंबुलेंस है लेकिन स्थिति यह है कि एंबुलेंस खुद बीमार है। एंबुलेंस का अधिकांश समय गैराज में ही बीतता है। जिसके कारण प्रसता को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। हालांकि कुछ दिन पहले जिला से एक एंबुलेंस दिया गया है फिलहाल उसी से काम चल रहा है।
बारिश होते ही अस्पताल में घुस जाता है पानी
जब भी बारिश होती है तो अस्पताल के चारों तरफ जहां बारिश का पानी जमा हो जाता है वहीं ज्यादा पानी होने पर अस्पताल के अंदर कमरे में भी पानी घुस जाता है। इस कारण मरीजों का इलाज करने में परेशानी होती है। खासकर पानी फैलने से मरीज को अधिक परेशानी होती है।
कहते हैं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ बीके पासवान ने कहा है कि 13 पंचायत सहित मधुबनी के कुछ मरीज भी यहां इलाज कराने आते हैं। संसाधनों के अभाव से इलाज में परेशानी का सामना तो करना ही पड़ता है। फिर भी जितना साधन है उसके मुताबिक हर संभव प्रयास किया जाता है।