डिजिटल मैप जांचेगा मिट्टी की सेहत
बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) सबौर ने भागलपुर का पहला डिजिटल मैप तैयार किया है।
भागलपुर। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), सबौर ने भागलपुर का पहला डिजिटल मैप तैयार किया है। इसकी खासियत यह है कि यह मिट्टी की सेहत बता सकेगा। इस आधार पर किसान खेतों में उर्वरकों का प्रयोग, मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी आदि के बारे में जानकारी हासिल कर सकेंगे। उपयुक्त फसल लगाकर किसान उत्पादन बढ़ा सकेंगे।
बीएयू ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के हैदराबाद केंद्र के सहयोग से देश में पहली बार इतना सटीक मृदा उर्वरा डिजिटल मैप बनाया है। बिहार के आठ अन्य जिलों नालंदा, मधेपुरा, भागलपुर, पटना, अररिया, रोहतास, पूर्णिया, कटिहार और सहरसा का मैप भी एक सप्ताह के अंदर जारी कर दिया जाएगा। बिहार के सभी जिलों का मैप बनाने की योजना है। अब तक नहीं बना इतना सटीक मैप
मैप पर रिसर्च कर रहे मृदा विज्ञानी डॉ. सुनील कुमार कहते हैं कि मैप पहले भी देश के कई संस्थान तैयार करते रहे हैं, लेकिन इतना सटीक मैप अब तक नहीं बनाया गया। मैप से एक किलोमीटर के दायरे की मिट्टी के नाइट्रोजन, पीएच (मिट्टी की रासायनिक अभिक्रिया), ईसी (विद्युत चालकता), जैविक कार्बन, फास्फोरस, पोटैशियम, सल्फर, जिंक, कॉपर, आयरन, मैगनीज और बोरोन आदि तत्वों के बारे में सटीक जानकारी हासिल की जा सकती है। कैसे करता है इसरो सहयोग
मैप निर्माण में काम कर रहे विनोद कुमार विमल कहते हैं कि इसरो की शाखा एनआरएससी (नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर) हैदराबाद से उन्हें मिट्टी, वनस्पति और जलस्रोतों की चयनित जगहों की तस्वीर प्राप्त होती है। इनका अध्ययन और विश्लेषण कर प्राकृतिक संसाधनों का अनुप्रयोग किया जाता है।
भागलपुर की मिट्टी में आयरन की अधिकता
प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. आरके सोहाने की मानें तो भागलपुर जिले का भौगोलिक क्षेत्रफल 3556 वर्ग किलोमीटर है जिसमें दो हजार से ज्यादा सैंपलिंग ली गई है। मैप के आधार पर कंक्रीट जानकारी मिली है कि जिले की मिट्टी में आयरन की अधिकता है जबकि नाइट्रोजन की काफी कमी है। किसानों को अब अपने क्षेत्रानुसार मिट्टी के पोषक तत्वों के बारे में जानकारी मिल जाएगी। जरूरत के अनुसार उर्वरकों का उपयोग और फसलों का चयन कर किसानी होगी।
आने वाले समय में खेत तक की मिलेगी जानकारी
विवि एक और एप विकसित कर रहा है। आने वाले समय में डिजिटल मैप के सहारे किसान अपने खेत पर क्लिक करेंगे तो जानकारी मिल जाएगी कि उनके खेत में किस पोषक तत्व की कमी है।
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डिजिटल मैप किसानी को नया आयाम देगा। इसके माध्यम से खेत में जहां उर्वरकों का उपयोग कम होगा, वहीं उस मिट्टी के अनुसार चयनित फसल लगाई जाएगी। इससे कम लागत में किसान अधिक उत्पादन कर सकेंगे।
- डॉ. अजय कुमार सिंह
बीएयू, सबौर