Makar Sankranti 2020 : तिल-गुड़ देकर बच्चों को दिया आशीर्वाद... परिवार के साथ मिलकर की कुलदेवी की पूजा Bhagalpur News
मकरसंक्रांति आज 15 जनवरी को है। इस दिन शुभ मुहूर्त पूरे समय रहेगा। पंडित इस दिन को कुछ इस प्रकार खास बता रहे हैं। शुभ मूहर्त जानकर करें पूजा-पाठ।
भागलपुर, जेएनएन। Makar Sankranti 2020 : मकरसंक्रांति पर बुधवार को सुबह से ही गंगा सहित विभिन्न नदियों और जलाशयों में स्नान करने लोग की भीड़ उमड़ी। सूर्योदय के पहले से ही लोग घाटों पर आने लगे। इस भीषण ठंड में लोगों की आस्था नहीं डगमगाई। गंगा स्नान करने घर के सदस्य सामूहिक रूप से आ रहे हैं। घाटों पर भीड़ लग गई है। गंगा स्नान कर लोगों ने दान दिया। गंगा की पूजा अर्चना की। स्वजनों ने एक साथ मिलकर घर में अपने कुलदेवी की पूजा की। विभिन्न देवी-देवताओं के मंदिरों में भी लोगों ने पूजा की। इस बार संक्रांति 15 जनवरी को है।
मकर संक्रांति का त्योहार बुधवार को लोगों ने शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया। हालांकि कड़ाके की ठंड होने की वजह से सूर्योदय के पहले गंगा तटों पर आस्था की डुबकी लगाने बहुत कम लोग पहुंचे। कोहरा छटने ही धूप निखर आई। इसके बाद श्रद्धालुओं की भीड़ गंगा तटों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के ताल तलैया पर जुटने लगी।
बड़ी संख्या में लोगों ने बरारी पुल घाट, हनुमान घाट और आदमपुर घाट पर स्नान-ध्यान के दान-पुण्य कर मकर संक्रांति का त्योहार उल्लास पूर्वक मनाया। भगवान सूर्य को दही चूड़ा, तिल और लाई का भोग लगाने के बाद प्रसाद ग्रहण किए।
खिचड़ी का भी लगाया गया भोग
मकर संक्राति पर खिचड़ी बनाने, भोग लगाने और खाने का भी विशेष महत्व है। इस मौके पर नये चावल, उदर की दाल, नमक, हल्दी, मटर व फूलगोभी डालकर खिचड़ी तैयार की जाती है। भगवान को भोग लगाया जाता है। पंडि़त गौरी शंकर त्रिवेदी की माने तो ऐसी मान्यता है कि चावल को चंद्रमा, काली दाल को शनि, हरी सब्जी का संबंध बुध से होती है। कहा जाता है कि खिचड़ी की गर्मी व्यक्ति को मंगल और सूर्य से जोड़ती है और राशि का शुभ संयोग बनता है।
पतंगबाजी का भी बच्चों ने लिया आनंद
मकर संक्रांति पर पतंगबाजी की भी पुरानी परंपरा रही है। धूप खिलने के साथ ही लोग पूजा पाठ के बाद घरों से बाहर आए। सबौर हाई स्कूल के मैदान में युवाओं और बच्चों की धीरे धीरे टोली जमा हो गर्ई। फिर क्या था शुरू हो गई पतंगबाजी की होड़।
खुले मैदान में पतंगबाजी कर युवाओं ने इस परंपरा को जीवंत बनाए रखा। वहीं कुछ बच्चे अपने अभिभावकों संग घर के छत से ही पतंगबाजी का आनंद लेते देखे गए। ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग पतंगबाजी को लेकर रोमांचित रहे।
भागलपुर के बारारी गंगा घाट के अलावा सिढ़ी घाट, खिरनी घाट, आदमपुर घाट, कोयलाघाट, गोलाघाट, एसएम कॉलेज घाट, चंपानगर, नाथनगर आदि गंगा तट पर लोगों ने गंगा स्नान किया। भागलपुर शहर के अलावा कहलगांव के बटेश्वरस्थान और सुल्तनगंज के अजगैबीनाथ गंगा घाटों पर स्नान करने के लिए लोगों की काफी भीड़ उमड़ी। गंगा स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने यहां गंगा तट पर स्थित विभिन्न मंदिरों में पूजा की।
लगातार एक सप्ताह से दिन में भी घिरे रहने वाले कुहासे और तेज हवा के कारण कनकनी वाली ठंढ से बुधवार को मकर संक्रांति स्नान के लिए भागलपुर जिले के अजगवीनाथ मंदिर गंगा घाट (सुल्तानगंज) पर श्रद्धालुओं खास कर महिला श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ आई। स्नान के बाद मां गंगा और बाबा अजगवीनाथ की पूजा भी श्रद्धालुओं ने पूरे मनोयोग से की।
कटिहार के मनिहारी गंगा घाट पर भी लोगों ने गंगा स्नान किया। बांका जिले के बौंसी मंदार तट स्थित पापहरणी सरोबर में भी लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई।
जमुई के पत्नेश्वर धाम शिव मंदिर में सुबह से ही पूजा अर्चना करने लोग आ रहे है।
स्नान और पूजा के बाद घर के बड़े स्वजन खासकर मां, पिता, दादा, दादी ' ने तिल तिल बो देsभे नि' ऐसा कहकर तिलकूट, तिल, चावल, गुड़ दिया। यह एक आशीर्वाद है। जो अपने बच्चों को पल पल उन्नति की ओर बढ़ने के लिए होता है। इसके बाद सभी ने एक साथ दही, चूड़ा, गूड़, तिलकूट आदि ग्रहण किया। रात में खिचड़ी बनाई जाएगी। जिसे भी सभी लोग एक साथ मिलकर खाएंगे।
पूजा-पाठ व दान के लिए ये है शुभ मुहूर्त (भागलपुर जिले के गोवरांय निवासी आनंदमूर्ति आलोक जी महाराज के अनुसार)
-स्नान : ब्रह्म मुहूर्त में 5:30 से 6:30 बजे के बीच करें, घर पर स्नान करते समय तिल और गंगा जल का प्रयोग करें।
-पूजा : 6:30 से 9:11 बजे के बीच स्नान के बाद पूजा-पाठ करें।
-आशीर्वाद : 9:11 से 11:30 तक अपने से बड़ों से तिल और गुड़ के साथ आशीर्वाद लें।
-दान : 10:31 से 11:51 तक चौघडिय़ा मुहूर्त के अनुसार दान का शुभ महूर्त है।
-दान : 11:30 से 12:30 तक अभिजित मुहूर्त के अनुसार दान का शुभ महूर्त है।