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गिद्धौर के ऐतिहासिक दुर्गा मंदिर में आईं महालक्ष्मी, धनवर्षा के साथ मनोकामना करेंगी पूरी!

जमुई के गिद्धौर के ऐतिहासिक दुर्गा मंदिर में महामाई महालक्ष्मी की प्रतिमा की स्थापना पूरे विधि-विधान के साथ की गई। इसके बाद मंदिर को खोल दिया गया। इस मंदिर की क्षेत्र में अलग ही मान्यता है। कहते हैं यहां हर एक मनोकामना पूरी होती है....

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Tue, 19 Oct 2021 05:55 PM (IST)Updated: Tue, 19 Oct 2021 05:55 PM (IST)
गिद्धौर के ऐतिहासिक दुर्गा मंदिर में आईं महालक्ष्मी, धनवर्षा के साथ मनोकामना करेंगी पूरी!
ऐतिहासिक दुर्गा मंदिर पर स्थापित की गई महालक्ष्मी की प्रतिमा। (कान्सेप्ट इमेज)

संवाद सूत्र, गिद्धौर (जमुई)। अति प्राचीन उलाय नदी तट पर अवस्थित ऐतिहासिक दुर्गा मंदिर प्रांगण में धन वैभव की देवी मां महालक्ष्मी की प्रतिमा स्थापना विद्वान पंडितों की देख रेख में नेम-निष्ठा एवं विधि-विधान के अनुसार करवाया गया। मंगलवार की संध्या से मां महालक्ष्मी का पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। इलाके भर के श्रद्धालु धन वैभव ऐश्वर्य की देवी मां महालक्ष्मी की पूजा-अर्चना कर अपने व अपने स्वजनों के मंगल जीवन की कामना की। सदियों से दुर्गा पूजा उपरांत आश्विन शुक्ल पूर्णिमा तिथि की संध्या बेला में धन, वैभव, यश की देवी मां लक्ष्मी की पूजा प्रतिमा स्थापित कर प्राण-प्रतिष्ठा रियासत के विद्वान पंडित महेश महाराज द्वारा कराया गया।

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इस अवसर पर मां को नैवेद्य आदि का भोग लगाया गया। बताते चलें कि बंगाल राज्य में जिस प्रकार मां लख्खी की पूजा सदियों से कराए जाने की परंपरा रही है, ठीक इसी प्रकार गिद्धौर चंदेल राजवंश के शासकों द्वारा अपने राज्य के आम-आवाम की सुख, समृद्धि, शांति, धन, वैभव, यश, कृति को लेकर बंगाल के इस पूजा का ङ्क्षहदी रूपांतरण मां लक्ष्मी की पूजा के रूप में यहां मनाया जा रहा है। क्षेत्र के आम-आवाम का यह मानना है कि इस मंदिर में स्थापित लक्ष्मी मां की जो भक्त सच्चे हृदय से पूजा-अर्चना करता हैं, मां उनकी झोली धन -धान्य से भर देती है।

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गिद्धौर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डा विभूति नाथ झा के अनुसार मां महालक्ष्मी की प्रतिमा आश्विन शुक्ल पूर्णिमा मंगलवार के दिन प्राण-प्रतिष्ठा कर पूजा-अर्चना के उपरांत अगले दिन बुधवार कार्तिक प्रतिपदा को विधिवत गिद्धौर के त्रिपुर सुंदरी तालाब में संध्या आरती के साथ मां महालक्ष्मी की प्रतिमा का ढोल गाजे-बाजे व नगाड़े की थाप पर विसर्जित किया जाएगा।

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