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मधेपुरा : 20 हजार हेक्टेयर में हर साल बाढ़ से प्रभावित होती है धान की खेती, इस बार 75 हजार हेक्टेयर में होगी खेती

मधेपुरा में हर साल बाढ स़े करीब बीस हजार हेक्टेयर धान की खेती को नुकसान होता है। बाढ़ के कारण जिले के चौसा आलमनगर पुरैनी और उदाकिशुगंज में धान की खेती हर वर्ष प्रभावित होती है। यद्यपि बाढ़ का आंशिक असर अन्य प्रखंडों में भी देखने को मिलता है।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Sat, 12 Jun 2021 11:32 AM (IST)Updated: Sat, 12 Jun 2021 11:32 AM (IST)
मधेपुरा : 20 हजार हेक्टेयर में हर साल बाढ़ से प्रभावित होती है धान की खेती, इस बार 75 हजार हेक्टेयर में होगी खेती
मधेपुरा में हर साल बाढ स़े करीब बीस हजार हेक्टेयर धान की खेती को नुकसान होता है।

जागरण संवाददाता,मधेपुरा। कोसी के इस इलाके के किसानों के लिए हर वर्ष बाढ़ अभिशाप बनकर आती है। बाढ़ के कारण जिले के चार प्रखंड के दर्जनों पंचायत के किसानों के धान की फसल डूब जाती है। बाढ़ का कोई स्थायी निदान नहीं हो पाने के कारण किसान इसको अपना नियति मान बैठे हैं। मालूम हो कि जिले में करीब 75 हजार हेक्टेयर में प्रति वर्ष धान की खेती होती है। लेकिन बाढ़ के कारण जिले के चौसा, आलमनगर, पुरैनी और उदाकिशुगंज में धान की खेती हर वर्ष प्रभावित होती है। यद्यपि बाढ़ का आंशिक असर अन्य प्रखंडों में भी देखने को मिलता है। कृषि विभाग के मुताबिक उदाकिशुनगंज अनुमंडल क्षेत्र को मुख्य रूप से बाढ़ प्रभावित माना जाता है। यहां बाढ़ का प्रभाव हर वर्ष देखने को मिलता है। उदाकिशुनगंज अनुमंडल के चौसा, आलमनगर, पुरैनी व उदाकिशुनगंज प्रखंड क्षेत्र में बाढ़ के कारण प्रत्येक वर्ष करीब 20 से 25 हजार हेक्टेयर में धान की खेती बाढ़ से प्रभावित होती है।

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बाढ़ प्रभावित इलाकों में अल्प अवधि की खेती पर जोर

कृषि विभाग की ओर से बाढ़ से प्रभावित होने इलाकों में किसानों के लिए आकस्मिक फसल योजना का लाभ दिया जाता है। इस योजना के तहत अल्प अवधि में होने वाले फसलों का बीज यहां के किसानों को मुफ्त में उपलब्ध कराया जाता है। कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अल्प अवधि में मुख्य रूप से मक्का, सरसो, तोरिया की अगात बीज उपलब्ध कराया जाता है।

सर्वेक्षण कर दिया जाता है अनुदान

बाढ़ के कारण फसल नष्ट होने पर प्रभावित इलाकों के किसानों का सर्वेक्षण कृषि विभाग के द्वारा कराया जाता है। सर्वेक्षण के आधार पर प्रभावित इलाकों में अनुदान देने की घोषणा की जाती है। कृषि विभाग की ओर से 33 प्रतिशत से अधिक क्षति होने पर किसानों को फसल क्षति का अनुदान दिया जाता है।

जिले में बाढ़ से प्रभावित होने वाले किसानों को फसल क्षति अनुदान का लाभ दिया जाता है। वहीं प्रभावित इलाकों के किसानों को अल्प अविधि में होने वाले फसल का बीज मुफ्त में आकस्मिक फसल योजना के तहत दिलाया जाता है। -राजन बालन, जिला कृषि पदाधिकारी, मधेपुरा।


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