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अब एक क्लिक में दिखेंगे जमीन के सौ साल पुराने रिकार्ड, आप इस तरह उठा सकते हैं लाभ

अब आप एक क्लिक पर जमीन के सौ साल के पुराने रिकार्ड का पता लगा सकते हैं। इसकी कवायद शुरू हो गई है। अब फर्जी कागज बनाकर सरकारी व निजी जमीन पर कब्जा करना अब कठिन से कठिन काम होगा।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 04:47 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 04:47 PM (IST)
अब एक क्लिक में दिखेंगे जमीन के सौ साल पुराने रिकार्ड, आप इस तरह उठा सकते हैं लाभ
अब आप एक क्लिक पर जमीन के सौ साल के पुराने रिकार्ड का पता लगा सकते हैं।

जागरण संवाददाता, मधेपुरा। भूमि सुधार व राजस्व विभाग अब जमीन के नक्शे व पुराने रिकार्ड के लिए डिजिटाइलेजशन की ओर कदम बढ़ाया है। अब विभाग की साइट पर एक क्लिक करते ही जमीन के सौ साल के पुराने रिकार्ड मिल जाएंगे। इसकी व्यवस्था शुरू हो गई है। अब फर्जी कागज बनाकर सरकारी व निजी जमीन पर कब्जा करना अब कठिन से कठिन काम होगा। जमाबंदी पंजी का पुराना रिकार्ड गायब होने का बहाना भी अंचल के बाबु नहीं कर सकेंगे। भूदान की जमीन न तो रिकार्ड से गायब होगी और न ही एक ही जमीन का दो बार पर्चा बंट सकेगा। सरकारी जमीन के बार-बार पैमाइश कराने के झंझट से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाएगी।

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भूमि विवाद के खात्मा का होगा उपाय

राज्य सरकार जमीन विवादों को खत्म कर अपराध रोकने की एक नई व्यवस्था करने जा रही है। इसके लिए अंचल परिसर में निर्मित अभिलेखागार को आधुनिक तकनीक से लैस किया जाएगा। अंचल के अभिलेखागार डाक्यूमेंट मैनेजमेंट सिस्टम से लैस होंगे। इसके लिए आधुनिक अभिलेखागार-सह-डाटा केन्द्र का भवन बनकर तैयार है।

अभिलेखों का डिजिटाइज्ड व स्कैन शुरू

सरकार जमीन से जुड़े अभिलेखों को व्यवस्थित व सुरक्षित रखने के लिए उन्हें डिजिटाइज्ड व स्कैन करा रही है। नई व्यवस्था में डिजिटाइजेशन की कार्रवाई इस प्रकार होगी कि भविष्य में सॉफ्टवेयर के माध्यम डॉक्यूमेंट मैनेजमेंट सिस्टम और रिकॉर्ड मैनेजमेंट सिस्टम के सॉफ्टवेयर द्वारा उन्हें ट्रैक किया जा सके।

अभिलेखागार में संरक्षित रखे जाएंगे रिकार्ड

नई व्यवस्था फूल प्रूफ हो, इसके लिए निष्पादित वादों का स्कैनिंग कर अभिलेखागार में संरक्षित रखे जाने से पहले उसके रिकार्ड संबंधित कार्यवाह लिपिक, प्रधान लिपिक तथा अंचलाधिकारी द्वारा सत्यापित किया जाएगा। इससे वादों के रिकार्ड के साथ भविष्य में छेड़-छाड़ की संभावना नहीं रहेगी7 आवश्यकतानुसार वर्षवार संधारित सॉफ्ट कॉपी को हार्ड डिस्क में भी रखा जा सकता है। उल्लेखनीय है कि राज्य के 534 अंचलों में आधुनिक अभिलेखागार भवन बनाने का काम चल रहा है। अंचल में अभिलेखागार भवन तैयार हो चुका है। इन आधुनिक अभिलेखागार भवन में डाटा सेंटर भी विकसित करने के लिए जल्द ही काम शुरू हो जाएगा।

रिकार्ड जो रखें जाएंगे सिस्टम में

कैडेस्ट्रल सर्वे खतियान, रिविजनल सर्वे खतियान, चकबंदी खतियान, राजस्व ग्राम मानचित्र, जमाबंदी पंजी (डिजिटाइज्ड), नामांतरण पंजी, नामांतरण अभिलेख, नामांतरण शुद्घि पत्र की मौजावार रक्षी पंजी, भूमि बंदोबस्ती पंजी, गैरमजरूआ आम, खास व कैसरे हिन्द भूमि पंजी, भू-हदबंदी भूमि बंदोबस्ती पंजी, भू-हदबंदी अभिलेख, भूमि क्रय पंजी, वासगीत पर्चा अभिलेख पंजी, वासगीत पर्चा अभिलेख, राज्य सरकार द्वारा निर्गत हुए पत्रों, गृह स्थल बंदोबस्ती पंजी एवं अभिलेख, भूमि मापी पंजी व अभिलेख, भू-सम्पदा पंजी, सैरात पंजी, भूमि अतिक्रमण वाद पंजी व अभिलेख, भू-दान, भूमि लगान निर्धारण एवं बन्दोबस्ती पंजी तथा अभिलेख, महादलित भूमि क्रय एवं बन्दोबस्त पंजी व अभिलेख, सैरात बंदोबस्ती पंजी व अभिलेख, वाद का पंजी व अभिलेख तथा गैरमजरूआ आम खास (मालिक)। कैसरे हिन्द, धार्मिक न्यास, वक्फ बोर्ड, कब्रिस्तान, श्मशान आदि के भूमि से संबंधित पंजी सुरक्षित रखे जाएंगे।

आधुनिक अभिलेखागार भवन में डाटा सेंटर विकसित होने से रिकार्ड को अभिलेखागार में संरक्षित रखे जाएंगे। इससे एक क्लिक करते लोग सौ साल पुराने सभी प्रकार के रेकोर्ड तलाश सकते हैं। इससे फर्जीवाड़े पर लगाम लगेगी। -जयप्रकाश राय, अंचलाधिकारी, कुमारखंड


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