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श्रावणी मेला : इस बार भी बाबा के भरोसे ही रहेंगे कांवरिया Bhagalpur News

गंगा नदी में पानी तेजी से बढ़ रहा है। घाट पर बाबा ओंकारनाथ कहते हैं कि एक दो दिन में एक फीट तक पानी बढऩे की संभावना है। ऐसे में कांवरियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 09 Jul 2019 09:33 AM (IST)Updated: Tue, 09 Jul 2019 09:33 AM (IST)
श्रावणी मेला : इस बार भी बाबा के भरोसे ही रहेंगे कांवरिया Bhagalpur News
श्रावणी मेला : इस बार भी बाबा के भरोसे ही रहेंगे कांवरिया Bhagalpur News

भागलपुर [नवनीत मिश्र]। 17 जुलाई से शुरू होने वाले श्रावणी मेला की प्रशासनिक तैयारी शुरू हो चुकी है। प्रशासनिक चाल से लगता नहीं कि इस बार भी कांवरियों को राजकीय मेले की घोषणाओं के अनुरूप सुविधाएं हासिल हो पाएंगी। आठ दिन बाद ही श्रावणी मेला है लेकिन प्रशासनिक कार्य के नाम पर चारों ओर अराजकता का माहौल है। जाहिर है इस बार भी कांवरिया बाबा भोले के भरोसे ही कांवर उठाकर बाबा धाम की ओर रवाना होंगे।

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सुबह 11 बजे सुल्तानगंज गंगा घाट पर चहल-पहल थी। बाबा अजगबीनाथ मंदिर के ऊपर काले बादल घुमड़ रहे थे। बिजली की चमक की बीच मंदिर की ओर लोगों का ध्यान बरबस आकृष्ट हो रहा था। घाट तक पहुंचने वाली सड़क कीचड़ से पूरी तरह सनी हुई थी। फिसलन इतनी कि सड़क पर चलने के दौरान गाडिय़ों के चक्के फिसल जा रहे थे। घाट के किनारे दर्जनों चौकियां लगाई गई थी। जिसपर श्रद्धालुओं के कपड़े और पूजा के सामान रखे हुए थे। घाट तक आने वाली सड़क के किनारे दर्जनभर से अधिक लग्जरी गाडिय़ां खड़ी थीं। इसमें अधिकांश लोग पश्चिम बंगाल से आए थे।

स्नान और जल भरने पहुंचे श्रद्धालुओं को गंगा नदी में उतरने में भारी परेशानी हो रही थी। फिसलन के बीच उन्हें नदी में उतरना पड़ रहा था। मिट्टी और पानी के बीच डेढ़ हाथ फासला होने के कारण उन्हें भारी परेशानी हो रही थी। बहरहाल, अजगबधाम में दुकानें सजने लगीं हैं। दो दर्जन से अधिक दुकानें तैयार हैं। कुछ दुकानों की मरम्मत हो रही है।

एक से दो दिनों में और बढ़ेगा जलस्तर

गंगा नदी में पानी तेजी से बढ़ रहा है। घाट पर बाबा ओंकारनाथ कहते हैं कि एक दो दिन में एक फीट तक पानी बढऩे की संभावना है। ऐसे में कांवरियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। बारिश के बाद फिसलन और बढ़ेगी। कांवरियों को गिर-पड़कर गंगा स्थान और जल भरना पड़ेगा। हालांकि घाट के किनारे फिसलन से बचाव के लिए बालू डाला गया है। पर इससे बचाव संभव नहीं है। घाट पर श्रद्धालुओं को पूजा करा रहे अमर बाबा का कहना है कि बालू डालते ही वह मिट्टी में मिल जा रहा है। उन्होंने तत्काल दस मु_ी बालू डाला और उसपर दस लोगों को चलने के लिए कहा गया। इसके बाद यह पता नहीं चल पा रहा था कि वहां कुछ क्षण पहले बालू डाला गया था।

तीन दिन पहले ठीक कराया गया था रास्ता, फिर खराब

दुकान तक रास्ता बना रहे महेंद्र ने बताया कि तीन दिन पहले प्रशासन की ओर से घाट को दुरुस्त कराया गया था, लेकिन बारिश होते ही स्थिति जस की तस हो गई। उन्होंने बताया कि प्रशासन की ओर से जो बालू रखा गया है, उसकी चोरी हो रही है। लोग घर बनाने के लिए ले जा रहे हैं। बालू डालने से घाट पर को असर नहीं पड़ेगा। बारिश होते ही बालू बहकर पानी में चला जाएगा। यहां बालू को जूट के बोरे में भरकर डालने की आवश्यकता है।

बारिश सिर पर, घाट किनारे एक भी शेड नहीं

घाट किनारे एक भी शेड की व्यवस्था नहीं है। धूप और बारिश में कांवरियों को भारी परेशानी होगी। या तो उन्हें बारिश में भींगना पड़ेगा या फिर धूप में तपना पड़ेगा। पंडा सुमन का कहना था कि प्रशासनिक अधिकारियों ने हिदायत दी है कि घाट के किनारे कोई भी अतिक्रमण नहीं होगा। ऐसा नहीं करने से प्रशासनिक अधिकारियों की भले ही जेब भरेगी, लेकिन कांवरियों को कोई फायदा नहीं होगा।


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