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बिहार पुलिस पर नराज हुए लोकायुक्‍त, बोले-नहीं करें लापरवाही, होगी बड़ी कार्रवाई

संदिग्ध मौतों की जांच में पुलिसिया लापरवाही से लोकायुक्त नाराज। पुलिस अक्सर ऐसे मामलों को नहीं लेती है गंभीरता से। अपराध अनुसंधान विभाग के एडीजी ने दिया निर्देश। पोस्टमार्टम से पूर्व हर हाल में मृत व्यक्ति की फोटोग्राफी करवाई जाए।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Wed, 13 Oct 2021 11:28 AM (IST)Updated: Wed, 13 Oct 2021 11:28 AM (IST)
बिहार पुलिस पर नराज हुए लोकायुक्‍त, बोले-नहीं करें लापरवाही, होगी बड़ी कार्रवाई
संदिग्‍ध की मौत मामले की नहीं होती जांच।

भागलपुर [संजय सिंह]। लोकायुक्त ने संदिग्ध मौतों के मामलों में पुलिस द्वारा की जा रही लापरवाही पर गंभीर नाराजगी व्यक्त की है। लोकायुक्त की नाराजगी को देखते हुए अपराध अनुसंधान विभाग के एडीजी ने संदिग्ध मृत्यु और अकाल मौतों के मामले में बेहतर तरीके से अनुसंधान करने का निर्देश दिया है।

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जारी निर्देश में कहा गया है कि पोस्टमार्टम से पूर्व हर हाल में मृत व्यक्ति की फोटोग्राफी करवाई जाए। इसके अलावा शव के पंचनामे पर पुलिस पदाधिकारी मृतक के दो संबंधियों के हस्ताक्षर अनिवार्य रूप से उसपर लें। यदि किसी की मृत्यु पुलिस हिरासत में होती है तो इसकी जानकारी संबंधित थानाध्यक्ष को एसपी और दंडाधिकारी को देना अनिवार्य होगा। यदि मृत व्यक्ति का बिसरा जांच के लिए भेजा जाता है तो उसे साफ बोतल में रखना अनिवार्य है। बोतल को सावधानीपूर्वक सीलबंद करने की बाध्यता है।

अधिसंख्य मामलों में ऐसा नहीं किया जाता है। इससे आगे के अनुसंधान में कठिनाई होती है। यदि कोई व्यक्ति विषपान कर आत्महत्या करता है तो इसके अनुसंधान में भी सावधानी बरतने की जरूरत है। उस स्थल की पहचान में भी सतर्कता बरती जाए। जिस बिछावन पर विषपान कर व्यक्ति मरा है, उसकी तलाशी भी बेहतर तरीके से ली जाए। अगल-बगल में यदि कोई पात्र या दवा मिले तो उसे जब्त भी किया जाए। जांच-पड़ताल के दौरान संबंधित व्यक्ति का पूरा विवरण हो, जैसे-उसने मरने से पूर्व क्या खाया था, मरने से पूर्व उसके अंदर क्या लक्षण दिखे थे, वह क्या व्यवसाय करता था और किस उम्र का था आदि। इससे रासायनिक अन्वेषण में लाभ मिलने की संभावना रहती है। इसी तरह की सावधानी कुएं और तालाब में शव मिलने के दौरान भी बरतने का निर्देश दिया गया है।

पूर्व बिहार, कोसी और सीमांचल में लगभग 500 से अधिक अकाल या संदिग्ध मौतों के मामले पिछले नौ माह के दौरान सामने आए हैं। आधे से अधिक मामलों का अनुसंधान अब तक लंबित है। लोकायुक्त की नाराजगी और एडीजी (सीआइडी) के पत्र के बाद पुलिस अधीक्षकों ने थानाध्यक्षों को अनुसंधान में तेजी लाने और अनुसंधान के दौरान सावधानी बरतने की हिदायत दी है।


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