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प्राइवेट स्‍कूल की तरह हाईटेक है सुपौल का यह सरकारी स्‍कूल, टेबल-कुर्सी पर बैठकर बच्‍चे करते हैं भोजन

प्राइवेट स्‍कूल की तरह ही सुपौल का सुमरित कन्या मध्य विद्यालय हाईटेक है। स्कूल में जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं और बच्चियों को भोजन टेबल पर बिठाकर कराया जाता है। साथ ही यहां पर लाइब्रेरी भी है।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Mon, 30 May 2022 01:16 PM (IST)Updated: Mon, 30 May 2022 01:16 PM (IST)
प्राइवेट स्‍कूल की तरह हाईटेक है सुपौल का यह सरकारी स्‍कूल, टेबल-कुर्सी पर बैठकर बच्‍चे करते हैं भोजन
प्राइवेट स्‍कूल की तरह ही सुपौल का सुमरित कन्या मध्य विद्यालय हाईटेक है।

संवाद सूत्र, प्रतापगंज (सुपौल)। सरकारी स्कूल की चर्चा होते ही लोगों के जेहन में जो तस्वीर उभरती है वह खंडहरनुमा घर, दरवाजे-खिड़कियां खुली, जहां-तहां पसरी गंदगी, दीवारों पर लगे दाग-धब्बे वाली होती है। इन सबके बीच अगर आप सुपौल जिले के प्रतापगंज प्रखंड मुख्यालय स्थित सुमरित कन्या मध्य विद्यालय को देखेंगे तो इसकी खूबसूरती के कायल हो जाएंगे। यह विद्यालय खूबसूरत छटा बिखेरता है। इसका भवन किसी प्राइवेट स्कूल से कम सुंदर नहीं दिखता है। स्कूल में जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं, और बच्चियों को भोजन टेबल पर बिठाकर कराया जाता है। इसे प्रखंड के माडल विद्यालय का दर्जा प्राप्त है।

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विद्यालय प्रधान कृष्णदेव रजक ने अपने कुशल प्रबंधन की वजह से विद्यालय परिवार के सदस्यों के बीच समन्वय स्थापित कर पठन-पाठन, स्वच्छता, बच्चों की अनुशासित शिक्षा की चर्चा प्रखंड क्षेत्र में काफी सुर्खियों में है। आकर्षक दिखने वाले इस विद्यालय में सीमित संसाधनों में से विद्यालय प्रधान ने विद्यालय को सीसीटीवी कैमरे से लैस करने, पुस्तकालय, शिक्षिका द्वारा सिलाई-कटाई प्रशिक्षण आदि की व्यवस्था के साथ-साथ इलेक्ट्रानिक बेल, सिलेबस के मुताबिक बच्चों की पढ़ाई करवाने सहित अन्य गतिविधियों को स्वच्छ वातावरण में करवाते आ रहे हैं।

यही कारण है कि आज इस विद्यालय में अभिभावक बिना किसी चिंता के अपनी बच्ची का नामांकन प्राइवेट स्कूलों से कटवा कर इस विद्यालय में करवाने के प्रति उत्सुक दिख रहे हैं। विद्यालय में प्रधान सहित 11 शिक्षक-शिक्षिकाएं 653 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं। कुछ दशक पूर्व तक यह विद्यालय गर्ल्स मिड्ल स्कूल के नाम से जाना जाता है लेकिन को-एजुकेशन की व्यवस्था हो जाने के बाद छात्रों का भी नामांकन प्रारंभ होने लगा लेकिन सामाजिक व्यवस्था के तहत कक्षा चार पास होने के बाद छात्रों को नजदीकी विद्यालयों में आगे की कक्षा में नामांकन कराने की व्यवस्था कर दी गई है।

विद्यालय में बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु शिक्षक एवं शिक्षिकाओं के साथ बच्चों का आत्मीय संवाद की वजह से विद्यालय की हर गतिविधियां आकर्षक बनी रहती है। जहां बच्चियां बेफिक्र व बेहिचक स्कूल आने में गौरवान्वित महसूस करती हैं।

परिसर की साफ-सफाई, बरामदे में रखे हरे-भरे गमले, क्यारियों में लगे बड़े-बड़े पेड़-पौधे विद्यालय की खूबसूरती में चार चांद लगा रहे हैं। स्कूल का कार्यालय, वर्ग कक्ष, विद्यालय परिसर बेहद आकर्षक हैं। विद्यालय पहुंचे किसी भी आगंतुक पदाधिकारियों को कुछ समय तक व्यवस्था को देख चकित होना पड़ता है।

टाइम टेबल से पढ़ाई, चेतना सत्र में स्पीकर की व्यवस्था, मीनू के अनुसार नियमित रूप से एमडीएम दिया जाना ही व्यवस्था को दिखाने के लिए ही काफी साबित हो रहा है। बच्चों को खेल-खेल में गतिविधियों द्वारा उनकी रुचि के अनुसार भी शिक्षा दी जाती है।


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