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लॉकडाउन में कैद लीची की लाली, नहीं मिल रहे खरीदार

लीची लाल होने लगी है लेकिन लॉकडाउन के कारण इसके बगीचों को खरीदार नहीं मिल रहे हैं। पेश है एक रिपोर्ट..

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 May 2020 02:33 AM (IST)Updated: Tue, 12 May 2020 06:17 AM (IST)
लॉकडाउन में कैद लीची की लाली, नहीं मिल रहे खरीदार
लॉकडाउन में कैद लीची की लाली, नहीं मिल रहे खरीदार

भागलपुर [नवनीत मिश्र]। लीची लाल होने लगी है, लेकिन लॉकडाउन के कारण इसके बगीचों को खरीदार नहीं मिल रहे हैं। 15 मई के बाद से लीची बाजार में आने लगती है। भारी मात्रा में यहा की लीची दिल्ली, कोलकाता, सिलीगुड़ी, आसनसोल, जालंधर, बेंगलुरु सहित अन्य राज्यों में जाती है। इस बार खरीदार नहीं आने के कारण किसानों के चेहरे मुरझाने लगे हैं। हर साल सिर्फ नवगछिया इलाके में लगभग एक अरब रुपये की लीची का कारोबार होता है। डेढ़ अरब का हर साल कारोबार : नवगछिया इलाके में लगभग 25 से 30 हजार एकड़ में लीची के बगान हैं। प्रत्येक वर्ष डेढ़ अरब से अधिक का कारोबार होता है। जनवरी में ही बगीचा खरीदने के लिए व्यापारी पहुंचने लगते थे। इस बार जनवरी में मंजर नहीं आने की वजह से व्यापारी नहीं पहुंचे। बगीचों के मंजर से लदने के बाद लॉकडाउन शुरू हो गया। इस कारण बाहर से खरीदार नहीं पहुंच पाए। तीन व्यापारी खरीदते हैं एक बगीचा :

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एक बगीचा को तीन व्यापारी खरीदते हैं। पेड़ में मंजर आने के बाद बगीचा खरीदने वाला व्यक्ति स्थानीय होता है। स्थानीय व्यापारी से मुंगेर, बिहारशरीफ, देवघर, मालदा, सिलीगुड़ी आदि जगहों के व्यापारी बगीचा खरीदते हैं। इन व्यापारियों से दिल्ली, कोलकाता, आसनसोल, जालंधर, बेंगलुरु के व्यापारी बगीचा खरीदते हैं और लीची की पैकिंग कराकर ले जाते हैं। पैसे लौटाने के लिए कह रहे व्यापारी :

खरीक जमुनिया के मु. जलाल, बिहपुर बभनगामा के मु. राजा जैसे दर्जनभर से अधिक व्यापारियों ने पिछले वर्ष ही आधी कीमत देकर बगीचा खरीद लिया था। बाहरी व्यापारी के नहीं आने के कारण ये बगीचा मालिक से रुपये लौटाने के लिए दबाव बना रहे हैं। इन व्यापारियों का कहना है कि अगर रुपये नहीं लौटाते हैं तो वे बाकी के भी रुपये नहीं देंगे। मालिक पेशोपेश में है कि अगर रुपये लौटा देते हैं तो आगे खरीदार मिलेगा या नहीं। नहीं लौटाते हैं तो आधी कीमत पर पूरा बगीचा चला जाएगा। एक तिहाई में मांग रहे बगीचा :

कुछ व्यापारी बगीचों की कीमत की एक तिहाई दे रहे हैं। इसको लेकर भी मालिक के पास उहापोह की स्थिति है। अगर बेचते हैं तो घाटा उठाना पड़ेगा और नहीं बेचते हैं तो जो आ रहा है ओ भी नहीं आएगा। अमरपुर, बिहपुर के लीची किसान जितेंद्र कुमार का कहना है कि एक एकड़ लीची बगान में 15 हजार रुपये खर्च आता है। 30 एकड़ में ढाई से तीन लाख रुपये उन्होंने खर्च किए हैं। अभी तक एक भी खरीदार नहीं आया है। इन इलाकों में हैं बगान :

बिहपुर में 7150 एकड़, नवगछिया 3500 एकड़, गोपालपुर 2500 एकड़, खरीक में 6000 एकड़ सहित रंगरा चौक में भी लीची की पैदावार हो रही है। इसके अलावा भी कई जगहों पर बागान हैं।

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लॉकडाउन की वजह से लीची के खरीदार नहीं आ रहे हैं। लीची पकने लगी है। अगर बाहर का खरीदार नहीं आता है तो किसानों को भारी घाटा उठाना पड़ेगा।

- जितेंद्र सनगही, बिहपुर

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मंजर देर से आने की वजह से शुरुआत में बगान नहीं बिका। इसके बाद लॉकडाउन लग गया। अब लीची पकने लगी है और खरीदार नहीं आ रहे हैं।

- सुमित कुमार, खरीक


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