Lack Of Teachers In Bihar: बिन शिक्षक 5 साल से दो दर्जन हाईस्कूल और 18 इंटर कालेज बढ़ा रहे बांका की साक्षरता
Lack Of Teachers In Bihar प्रदेश में शिक्षकों का घोर अभाव है। बांका में बिना किसी शिक्षक के संचालित हो रहे 18 इंटर स्कूल दो दर्जन हाईस्कूल पांच साल हैं। ऐसे में छात्र बिना शिक्षक ही मैट्रिक और इंटर पास हो बांका की साक्षरता दर बढ़ा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, बांका। Lack Of Teachers In Bihar: सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का कागजों पर भले लाख दावा कर ले, मगर इसकी जमीनी सच्चाई बेहद डरावनी है। अधिकांश सरकारी विद्यालय वर्षों से शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है। दो-चार शिक्षकों की तैनाती में अधिकांश डाटा संग्रह और भोजन बनवाने में व्यस्त रह जाते हैं। पढ़ाई के हिस्से बच्चों को दो चार शब्द भी मिल जाएं, तो काफी है। मगर जिले में बिना शिक्षक वर्षों से संचालित हो रहा दर्जनों सरकारी विद्यालय शिक्षा की दुर्दशा बताने के लिए काफी है।
आश्चर्य यह कि इन विद्यालयों में हर साल बच्चों का नामांकन हो रहा है और वे बिना पढ़े ही मैट्रिक और इंटर पास भी कर रहे हैं। डेढ़ दर्जन इंटर स्कूल और दो दर्जन हाईस्कूल वर्षों से बिना शिक्षक चल रहे हैं। पिछले साल 38 नए हाईस्कूल फिर बनाया गए। वे भी शिक्षक को तरस रहे हैं। प्राइमरी और मीडिल स्कूल के शिक्षक बच्चों का नामांकन लेकर फार्म भरवाते हैं और बच्चे परीक्षा भी पास कर जाते हैं। ये बस बांका की साक्षरता दर बढ़ाने जैसा ही है। बभनगामा, पीपरा भागवतचक, पड़रिया सहित कई स्कूलों में बच्चे बिना पढ़े ही पास हो रहे हैं।
गुरूजी का इंतजार करता विद्यालय!
बनता गया विद्यालय, नहीं मिले शिक्षक व भवन
शिक्षा की पहुंच लोगों तक बढ़ाने के लिए सरकार ने 2010 से ही विद्यालयों का उत्क्रमण शुरु किया। मध्य विद्यालय को उत्क्रमित कर हाईस्कूल बनाया गया। हाईस्कूल को उत्क्रमित कर इंटर स्कूल बनाया गया। दो साल पहले बिहार बोर्ड ने सभी पुराने 62 हाईस्कूल को इंटर स्कूल बना दिया। मगर 18 इंटर स्कूलों में आज तक एक शिक्षक की बहाली नहीं हो सकी। इंटर स्कूल से बच्चे पास कर गए, मगर विद्यालय अब भी पहले इंटर शिक्षक के लिए तरस रहा है। नए हाईस्कूलों का भी यही हाल है। बिना भवन और बिना शिक्षक बच्चे मैट्रिक पास हो रहे हैं। कुछ विद्यालय में साल से दो साल तो कुछ में पांच साल से यह हाल है।
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पहला मामला: शंभुगंज के उत्क्रमित उच्च विद्यालय वारसाबाद में 2018 से बच्चे मैट्रिक पास कर रहे हैं। मगर विद्यालय को अबतक पहले हाईस्कूल टीचर का इंतजार है। विद्यालय में हर साल सौ के करीब बच्चे नवमी में नामांकित हो रहे हैं। विद्यालय के प्रधानाध्यापक प्राइमरी स्कूल के शिक्षक हैं।
दूसरा मामला: शहर के समीप टीआरपीएस उच्च विद्यालय ककवारा में चार साल पहले इंटर स्कूल बन चुका है। इस साल भी 57 बच्चे इंटर परीक्षा का फार्म भर चुके हैं। जबकि नए बैच में 80 के करीब बच्चों का 11वीं में नामांकन हो चुका है। मगर विद्यालय में एक भी इंटर शिक्षक बहाल ही नहीं हुआ है। कोई अतिथि शिक्षक भी नहीं है।
तीसरा मामला: चांदन के फुलहरा उत्क्रमित उच्च विद्यालय हार्ड नक्सल प्रभाव वाले इलाके में है। छह साल से इस स्कूल में बच्चे मैट्रिक पास हो रहे हैं। मगर हाईस्कूल में कोई शिक्षक नहीं है। प्राइमरी स्कूल के शिक्षक नामांकन और फार्म भराने का काम पूरा कराते हैं।
जिला शिक्षा पदाधिकारी पवन कुमार ने कहा कि बीच में कुछ साल शिक्षकों की बहाली नहीं हुई। इससे नए स्कूलों में शिक्षक की तैनाती नहीं हो सकी है। पंचायत स्तर पर पिछले साल उत्क्रमित उच्च विद्यालयों में पढ़ाने के लिए आसपास के दो शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की गई है। पहले के कुछ स्कूलों को शिक्षक नहीं मिल सके हैं। वहां प्राइमरी और मीडिल के उच्च योग्यताधारी शिक्षकों द्वारा बच्चों को पढ़ाया जाना है।