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समर्थन मूल्य मिलने से दलहन उत्पादन में समृद्ध होंगे कोसी के किसान

सरकार ने जिले में दलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए उसका समर्थन मूल्‍य देने की योजना बनाई है। अब तक दलहन उत्‍पादक किसानों को अपने उत्‍पाद का बेहतर बाजार मूल्‍य नहीं मिल पाता था जिससे यह फसल घाटे का सौदा बना जाता था।

By Amrendra TiwariEdited By: Published: Sat, 19 Dec 2020 12:55 PM (IST)Updated: Sat, 19 Dec 2020 12:55 PM (IST)
समर्थन मूल्य मिलने से दलहन उत्पादन में समृद्ध होंगे कोसी के किसान
खेती में बढ़ेगी रूचि, उत्‍पादन का मिलेगा बेहतर लाभ

संवाद सहयोगी, सहरसा। अब गेहूं और धान की तरह दलहन का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित होगा। राज्य सरकार ने निश्चय-2 के तहत किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर दलहन खरीदने की रणनीति बनायी है। इस योजना से कोसी क्षेत्र में दियारा विकास योजना को बल मिलेगा और कोसी क्षेत्र दलहन उत्पादन में समृद्ध हो सकेगा। इससे किसानों की आय बढ़ेगी। किसानों को अपने संयोये सपनों को पूरा करने में कोई संकट नहीं आएगा। वे सहजता से अपना जीवन जी सकेंगे। 

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दियारा विकास योजना को मिलेगा बढ़ावा

कोसी क्षेत्र में बाढ़ का पानी उतरने के बाद सहरसा, सुपौल और मधेपुरा जिले में हजारों एकड़ जमीन बेकार रह जाती है। कृषि विभाग ने इस जमीन को दलहन और तिलहन की खेती के उपयुक्त माना। इसके लिए कोसी क्षेत्र में दियारा विकास योजना भी प्रारंभ की गई। गत वर्ष दियारा इलाके में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में तीनों जिले में लगभग डेढ़ हजार हेक्टेयर भूमि में तिलहन की खेती भी की गई। इस वर्ष इसे बढ़ाने की योजना है। दूसरी ओर राज्य सरकार द्वारा पहली बार केंद्र सरकार के सहयोग न्यूनतम समर्थन मूल्य पर दलहन खरीदे जाने की तैयारी से इलाके के किसानों का उत्साह बढ़ा है। इससे दियारा विकास योजना को बल मिलने की संभावना प्रबल हो गई है।

किसानों को मिलेगा मुफ्त बीज व तकनीकी सहायता

दियारा विकास योजना के तहत तटबंध के अगल- बगल पानी उतर जाने के बाद मूंग, चना, अरहर, मसूर, आदि की बड़े पैमाने पर खेती की जाएगी। इसके लिए इच्छुक किसानों को विभाग द्वारा मुफ्त बीज व तकनीकी सहायता भी दी जाएगी।

क्‍या कहते हैं जिला कृषि पदाधिकारी

जिला कृषि पदाधिकारी दिनेश प्रसाद सिंह ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मिलने से दहलन उत्पादन के प्रति किसानों का उत्साह बढ़ेगा। इस इलाके में दियारा विकास योजना को भी इससे बल मिलेगा। कोसी के बेकार पड़ी भूमि का उपयोग होगा और दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ने से इस इलाके का भी विकास होगा।  


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