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जानिए मुंगेर के 'रेफर' अस्पताल के बारे में, 80 फीसद मरीज कर दिए जाते हैं रेफर

मुंगेर का सदर अस्पताल रेफर अस्पताल बन गया है। यहां से 80 फीसद मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। रोड हादसे में मामूली घायलों का भी यहां इलाज नहीं किया जाता है। इससे लोगों की परेशानी बढ़ गई है।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Mon, 20 Sep 2021 03:14 PM (IST)Updated: Mon, 20 Sep 2021 03:14 PM (IST)
जानिए मुंगेर के 'रेफर' अस्पताल के बारे में, 80 फीसद मरीज कर दिए जाते हैं रेफर
मुंगेर का सदर अस्पताल रेफर अस्पताल बन गया है।

मुंगेर [हैदर अली]। जिले की लगभग 18 लाख की आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने की जिम्मेदारी महज 74 डाक्टरों के कंधों पर है। यह स्थिति तब है, जब डाक्टरों के स्वीकृत पद 154 हैं। अकेले मुंगेर शहरी इलाके की आबादी करीब तीन लाख से ज्यादा है। अभी तक रिक्त पदों पर चिकित्सकों की तैनाती नहीं हुई है। कई चिकित्सक खुद छोड़कर चले और कुछ का तबादला हो गया। एक तरह से जिले में स्वास्थ्य सेवा कितनी बदहाली के दौर से गुजर रहा है। सदर अस्पताल के कई विभाग बिना डाक्टर के संचालित है।

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स्वास्थ्य कर्मियों की भारी कमी के कारण कई विभागों में डाक्टर को ड्रेसर से लेकर कंपाउडर तक का कमा करना पड़ता है। सदर अस्पताल में चिकित्सकों की कमी के कारण गंभीर या हादसे के शिकार औसतन 20 में 16 मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। यहां चर्म रोग, ईएनटी, सर्जन, नेफ्रो विशेषज्ञ, न्यूरो सर्जन के विशेषाज्ञ नहीं होने से ज्यादातर मरीजों को रेफर कर दिया जाता है।

दोपहर बाद एक कंधों पर जिम्मेदारी

सदर अस्पताल का आलम यह है कि दिन के तीन बजे के बाद एक चिकित्सक के कंधो पर पूरे अस्पताल की जिम्मदारी होती है। जैसे अस्पताल का इमरजेंसी वार्ड, एसएनसीयू, आइसीयू, पुरुष वार्ड, महिला वार्ड और प्रसव वार्ड की जिम्मेदारी एक ही चिकित्सक के कंधों पर होती है। सिविल सर्जन डा. हरेंद्र कुमार आलोक ने बताया कि सदर अस्पताल में 23 नए डाक्टरों ने योगदान दिया। चिकित्सकों की कमी दूर करने के लिए विभाग को पत्र लिखा गया है।

भगवान भरोसे शिशु वार्ड

सदर अस्पताल का शिशु वार्ड भगवान भरोसे है। छह बेड का शिशु वार्ड तो बना दिया गया है, लेकिन बीमार शिशु को सुविधा उपलब्ध कराने में असफल साबित हो रहा है। रविवार को सदर अस्पताल के शिशु वार्ड में चार मरीज भर्ती थे, लेकिन उन मरीजो को देखने वाला कोई नहीं था। मरीज खुद से स्लाइन को बंद कर रहें थे। एक मरीज तो डाक्टर के नही रहने के कारण सलाइन का पाइप खोल कर निजी क्लनिक जाते दिखे।

केस स्टडी : एक

दो नंबर गुमटी के राजेश बिंद ने कहा रविवार की सुबह दो वर्षीय पुत्र को लेकर शिशु वार्ड पहुंचे। रात्रि डयूटी की नर्स स्टाफ ने निबंधन और बीएसटी पर्ची रख कर घर चली गई। सुबह दस बजे के करीब बच्चे की हालत गंभीर हो गई। डाक्टर दवा लिखने से इन्कार कर दिया। डाक्टर ङ्क्षनबधन पर्ची पर ही दवा लिखने की बात कर रहे थे।

केस स्टडी : दो

परहम के ननकु मांझी ने कहा आठ वर्षीय बेटी सुनीता को तेज बुखार के कारण चार दिनों से शिशु वार्ड में भर्ती है। यहां की व्यवस्था के कारण बच्चे की हालत में सुधार नहीं हो रहा है। बच्ची को दिखाने के लिए इमरजेंसी सेंटर में बैठे डाक्टर के पास जाना पड़ता है।

अस्पतालों में तैनात चिकित्सकों की नियुक्ति

सदर अस्पताल, स्वीकृत पद- 32 उपलब्ध-22

जमालपुर,स्वीकृत पद--07 उपलब्ध-04

असरगंज, स्वीकृत पद--07 उपलब्ध-04

तारापुर, स्वीकृत पद--36 उपलब्ध-13

धरहरा, स्वीकृत पद--11 उपलब्ध-04

संग्रामपुर, स्वीकृत पद--11 उपलब्ध-05

हवेली खडग़पुर,स्वीकृत पद -29 उपलब्ध -13

टेटिया बंबर, स्वीकृत पद -07 उपलब्ध -04

बरियारपुर,स्वीकृत पद -07 उपलब्ध -03

सदर प्रखंड,स्वीकृत पद- 07 उपलब्ध -02


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