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बोरलॉग इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एशिया के वैज्ञानिक सीमांचल में लगा रहे खेत पाठशाला, इस तरह किसानों को मिल रही जानकारी

बोरलॉग इंस्‍टीटयूट ऑफ साउथ एशिया के वैज्ञानिक इन दिनों खेती की नई तकनीक से सीमांचल के किसानों को रुबरू करा रहे हैं इसके लिए खेत पाठशाला का आयोजन किया जा रहा है। इसके माध्‍यम से कई तरह की जानकारी दी जा रही है।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Sat, 06 Mar 2021 11:08 AM (IST)Updated: Sat, 06 Mar 2021 11:08 AM (IST)
बोरलॉग इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एशिया के वैज्ञानिक सीमांचल में लगा रहे खेत पाठशाला, इस तरह किसानों को मिल रही जानकारी
सीमांचल में किसानों को खेत पाठशाला के माध्‍यम से दी जा रही जानकारी।

जागरण संवाददाता, किशनगंज।  बिहार कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा खेत पाठशाला कार्यक्रम की शुरूआत की गई है। खेत पाठशाला में किसानों को नई तकनीक का इस्तेमाल कर उन्नत खेती की जानकारी दी जा रही है। किशनगंज में कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा जलवायु अनुकूल खेती करने के लिए किसानों को जागरुक करने के उद्देश्य से खेत पाठशाला सह प्रक्षेत्र कार्यक्रम चलाया जा रहा है। किशनगंज प्रखंड के छगलिया से कार्यक्रम की शुरूआत की गई है। इसके बाद मोतीहारा तालुका, काशीपुर बेलवा, लोहाडांगा और काशीपुर गांव खेत पाठशाला लगाकर किसानों को जागरुक किया जाएगा।

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दरसअल गत वर्ष जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम से किसानों को जोड़ने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र ने प्रयास शुरू की थी। इस कार्यक्रम के तहत पांच गांवों के किसानों को जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के माध्यम से खेती कराया गया। लागत की अपेक्षा अधिक उत्पादन कर किसान आर्थिक आमदनी में बढ़ोतरी कर सकें। इस उद्देश्य से दिसंबर माह में बोरलॉग इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एशिया वीजा के विज्ञानी विजय कुमार मीणा के नेतृत्व में केवीके के वैज्ञानिकों ने 360 एकड़ भूमि को निरीक्षण कर किसानों को सुझाव भी दिए थे। अब किसानों को खेत पाठशाला आयोजित कर खेती संबंधित जरूरी जानकारी देने का काम शुरू किया गया है।

कृषि विज्ञान केंद्र के उद्यान विज्ञानी डॉ. हेमंत कुमार सिंह ने छगलिया ग्राम में किसानों को खेत पाठशाला चलाकर जल जीवन हरियाली अभियान के तहत जलवायु अनुकूल कृषि तकनीक से अवगत करवाया। इसके अतंर्गत जलवायु के अनुकूल क्रॉप साइकिल का चयन, फसल कैलेंडर के अनुसार समय पर बोआई, फसल प्रभेद व उत्तम गुणवत्ता के बीज और किसानों काे प्रशिक्षण के साथ भ्रमण भी कराया जाएगा। उत्तम बोआई तकनीक के अंतर्गत जीरो टिलेज, हैप्पी सीडर, रैजबेड, सीधी बुआई, ड्रम सीडर और पंक्ति में बोआई का उपयोग करना है। जल-पोषण-तत्व एवं खरपतवार का समुचित प्रबंध की जानकारी किसानों को उपलब्ध करवाया जा रहा है। इस प्रत्यक्षण कार्य में कृषि विज्ञानी डॉ. नीरज प्रकाश, कार्यक्रम सहायक मु. मिराज, राकेश मंडल, नीरज कुमार सिंह भी सहयोग कर रहे हैं।

कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय प्रधान विज्ञानी ई. मनोज कुमार राय बताते हैं कि जल जीवन हरियाली अभियान के अंतर्गत बेलवा पंचायत के पांच गांवों में जलवायु अनुकूल खेती का प्रयोग शुरू किया गया है। जिसमें छगलिया, बेलवा, मोतीहारा तालुका, काशीपुर, बेलवा काशीपुर और लोहाडांगा गांव शामिल है। इन सभी गांवों के लगभग 360 एकड़ खेतिहर जमीन पर गेहूं, मक्का और राई का प्रत्यक्षण कराया जा रहा है। इन पांचों गांव के 50 किसानों को प्रथम चरण में सात मार्च को बीसा समस्तीपुर में प्रशिक्षण दिए जाएंगे। साथ ही मिट्टी और जलवायु के अनुरूप फसल विविधीकरण को अपनाने के लिए लगातार खेतों का भ्रमण कर किसानों की जरूरी जानकारी भी उपलब्ध करवाए जाएंगे। 


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