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खगडिय़ा के किसानों का टूटा सब्र का बांध, ड्रैनेज को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए कसी कमर

खेतों में जमे पानी के कारण खगडिय़ा के किसान धान की कटनी नहीं कर पा रहे थे। दरअसल यहां पर मछआरों ने ड्रैनेज को बांध दिया था। प्रशासन भी कुछ नहीं कर रही थी। इसके बाद किसानों ने खुद कमर कस कर इसे मुक्त कराया।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 12:47 PM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 12:47 PM (IST)
खगडिय़ा के किसानों का टूटा सब्र का बांध, ड्रैनेज को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए कसी कमर
खगडिया के बेलदौर के मछुआरों द्वारा बांधे गए ड्रैनेज को तोड़कर उसे अतिक्रमण मुक्त कराया।

खगडिय़ा, जेएनएन। प्रशासनिक आश्वासन से तंग आकर किसानों के सब्र का बांध आखिरकार टूट पड़ा। गुरुवार की सुबह किसानों ने मछुआरों द्वारा बांधे गए ड्रैनेज को तोड़कर उसे अतिक्रमण मुक्त कराया। बांधे गए बांध टूटते ही ड्रैनेज में फंसे पानी तेजी से बहना शुरू हो गया है। और ड्रैनेज का पानी तेजी से घटता जा रहा है। जिससे किसानों ने राहत की सांस ली है।

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प्रशासन के द्वारा कार्रवाई के नाम पर सिर्फ आश्वासन दर आश्वासन मिलता रहा

जानकारी के मुताबिक किसान बीते एक माह से ड्रैनेज को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए प्रशासन से गुहार लगाते- लगाते थक हार गए थे। प्रशासन के द्वारा कार्रवाई के नाम पर सिर्फ आश्वासन दर आश्वासन मिलता रहा। इधर खेतों में लगी धान की फसल पककर तैयार है। धान धीरे-धीरे खेतों में ही झरना शुरू हो गया। मछुआरों द्वारा ड्रैनेज को जगह जगह- बांध देने के कारण वहां चार से पांच फीट पानी जमा हो गया था। जिससे उस पार खेत खलिहान में जल जमाव उत्पन्न हो गया। जिस वजह से मजदूर भी ड्रैनेज को पार कर खेतों में लगे धान को काटने के लिए तैयार नहीं थे। ट्रैक्टर ड्रैनेज में अधिक पानी रहने से आर- पार नहीं हो पा रहा था। साथ ही रबी फसल की बुआई को लेकर खेतों की जुताई नहीं हो पा रही थी। किसान इसको लेकर प्रशासन से गुहार लगाते- लगाते थक हार गए।

अभी तक हो गई होती रबी फसल की बुआई 

किसानों में सरपंच विनोद पासवान, देव शंकर सिंह, दिनेश मंडल, राम ङ्क्षसह ने बताया कि प्रशासन के आश्वासन से तंग आकर किसानों को स्वयं पहल करनी पड़ी। ड्रैनेज को अतिक्रमण मुक्त कराया गया। किसानों ने प्रशासन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर प्रशासन एक माह पूर्व ड्रैनेज को अतिक्रमण मुक्त करा देता, तो आज यह नौबत नहीं आती। रबी फसल की अधिकांश बुआई अभी तक हो जाती।


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