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स्वदेसी और स्वावलंबन के मूलमंत्र से बदल रही तस्वीर, यहां बरी और बेसन दे रहा रोजगार

खगडिय़ा के युवा स्वाबलंबन की राह पर अग्रसर हैं। आज 50 से अधिक लोग यहां पर आत्मनिर्भर हो चुके हैं। इन लोगों ने कोरोना संकट को अवसर में बदल डाला। ये लोग बरी बेसन सहित अन्य रोजगार से जुड़े हैं।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Sun, 03 Jan 2021 04:24 PM (IST)Updated: Sun, 03 Jan 2021 04:24 PM (IST)
स्वदेसी और स्वावलंबन के मूलमंत्र से बदल रही तस्वीर, यहां बरी और बेसन दे रहा रोजगार
खगडिय़ा के युवा स्वाबलंबन की राह पर अग्रसर हैं।

खगडिय़ा [निर्भय]। कोरोना काल में कई हाथ बेरोजगार हो गए। रोजी-रोजगार का ऐसा संकट कभी नहीं दिखा था। गरीब-गुरबा के सामने खाने के लाले पडऩे लगे। जिनकी घर-गृहस्थी ठीक-ठाक चल रही थी, उनके चूल्हे-चक्की भी उदास रहने लगे।लेकिन, इस संकट को कुछेक लोगों ने अपनी जुनून की बदौलत अवसर में बदल डाला।कई परिवार के चूल्हे जलने लगे और रोजी-रोजगार का नया अवसर, नए क्षेत्र बने।

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खगडिय़ा जिले के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता इंजीनियर धर्मेंद्र व चंद्रभूषण कुमार उर्फ कारेलाल ने स्वदेसी और स्वावलंबन के मूलमंत्र को अपनाते हुए लघु- कुटीर उद्योग की श्रृंखला तैयार की। दर्जनों लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया। आदि इंटरप्राइजेज के माध्यम से जब मास्क की किल्लत थी, तो दर्जनों महिलाओं को मास्क निर्माण को लेकर प्रेरित कर रोजी-रोजगार उपलब्ध कराया गया।

इसके साथ ही महिलाओं को प्रशिक्षण देकर कम पूंजी से रोजी-रोजगार के गुर सिखाए गए।आज कोई बरी बनाकर, तो कोई बेसन तैयार कर घर-गृहस्थी चला रही है।कोई अगरबत्ती निर्माण कर रहे हैं। रोजी-रोजगार से महिलाओं और पुरुषों दोनों को जोड़ा गया है।आवास बोर्ड, खगडिय़ा में कारखाना स्थापित कर आज फिनाइल, एसिड, हैंडवास, सरसों तेल आदि तैयार किए जा रहे हैं। ये खगडिय़ा बाजार में ही खप जाते हैं। रीता देवी आदि इंटरप्राइजेज से जुड़कर आज खाना-खर्ची काटकर चार हजार रुपये माह अर्जित कर रही हैं। मीरा देवी बरी बनाकर प्रतिदिन ढाई सौ रुपये अर्जित कर रही हैं। अब 50 से अधिक लोग आत्मनिर्भर हो चुके हैं।

सहकार भारती की प्रेरणा से आदि इंटरप्राइजेज के माध्यम से स्वदेसी और स्वावलंबन का मूलमंत्र अपनाते हुए रोजगार का सृजन किया जा रहा है।कोरोना संकट को अवसर में बदलने का प्रयास है। घर-घर रोजगार का सृजन हो यह कोशिश है।-ई धर्मेंद्र, संरक्षक, आदि इंटरप्राइजेज, आवास बोर्ड, खगडिय़ा।

 करोना के बाद जब लॉकडाउन लगा, तो त्राहि-त्राहि की स्थिति थी।लेकिन, हमलोगों ने हिम्मत नहीं हारी और लोगों को कम पूंजी से रोजगार को लेकर प्रेरित किया।आज 50 से ऊपर लोग आत्मनिर्भर हैं।

-चंद्रभूषण कुमार उर्फ कारेलाल, संचालक, आदि इंटरप्राइजेज।


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